गर्भपात के बाद सबसे बड़ी समस्या, ज्यादा ब्लीडिंग होना होती है। किसी - किसी महिला को गर्भपात के बाद इतना ज्यादा फ्लो होता है कि उसे हर दो घंटे में एक पैड बदलना पड़ता है। गर्भपात के बाद, पीरियडस में भी ज्यादा ब्लीडिंग होती है। लेकिन अगर आपको समस्या ज्यादा लगे तो डॉक्टर के पास जाने में देरी न करें।
बार - बार गर्भपात का होना
कई महिलाओं को यह समस्या होती है। पहली बार उनका गर्भपात हो जाने के बाद लगातार दो से तीन बार उनका गर्भपात होता जाता है। ऐसे में उनका शरीर बेकार हो जाता है।गर्भपात के बाद महिलाओं की योनि और बच्चेदानी में संक्रमण बहुत जल्दी फैल जाता है। गर्भपात के बाद के संक्रमण घातक होते है। संक्रमण होने पर कतई लापरवाही न करें और तुंरत डॉक्टर से सम्पर्क करें।
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एक्टोपिक प्रेग्नेंसी
गर्भपात के बाद महिला में एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने के चांस काफी बढ़ जाते है। यह एक प्रकार की गर्भावस्था होती है जिसमें अंडे, महिला की बच्चेदानी में न बढ़कर फैलोपियन ट्यूब या कहीं और पनपने लगते है। इस प्रकार के गर्भधारण का कोई मतलब नहीं होता है लेकिन फिर से शरीर को एबॉर्शन आदि की दिक्कत झेलनी पड़ सकती है।कई बार गर्भपात के बाद महिलाओं के शरीर में विकार उत्पन्न हो जाते है। चिंता का स्तर बढ़ जाता है और पीटीएसडी या पोस्ट - ट्रामेटिक स्टेस डिस्आर्डर आ जाता है, इससे महिलाएं अवसाद में भी चली जाती है।
बांझपन
गर्भपात के बाद महिला के बांझ बनने के चांस काफी बढ़ जाते है। गर्भपात का सीधा असर प्रजनन क्षमता पर पड़ता है, हो सकता है कि अगली बार गर्भ धारण करने में समस्या उत्पन्न हो। गर्भपात, किसी औरत के शरीर पर ही बुरा प्रभाव नहीं छोड़ता है बल्कि इस हादसे से उसके पार्टनर और अन्य परिवारीजनों पर भी प्रभाव पड़ता है। इस बुरे वक्त में आप चाहें तो किसी अच्छे मनोचिकित्सक से भी सलाह ले सकते हैं।
इलाज से बेहतर है कि आप रोकथाम कर लें और हर स्थिति का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर लें। ऐसे वक्त में धैर्य रखें और हिम्मत से काम लें।
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