
ग्लूकोमा अंधेपन का एक प्रमुख कारण है। मुश्किल बात तो यह है कि इसके लक्षणों को शुरुआती अवस्था में ही पकड़ पाना कई बार मुश्किल हो जाता है। ग्लूकोमा के गंभीर परिणामों से बचने के लिए इसका पूर्वानुमान और समय रहते इसका निदान कर लेना जरूरी होता है। इस लेख में आप जानेंगे ग्लूकोमा का पूर्वानुमान और निदान कैसे किया जाए।
गलूकोमा नाम की यह बीमारी आपकी आंखों की रोशनी छीन सकती है। यह बीमारी है धीरे-धीरे आंखों की रोशनी चुरा लेती है। ग्लूकोमा के बारे में आमतौर पर लोगों को कम ही जानकारी होती है, जिस कारण यह और विक्राल रूप दिखाती है। ग्लूकोमा को प्रचलित भाषा में कालामोतिया के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग में दृष्टि को दिमाग तक ले जाने वाली नस अर्थात ऑप्टिक नर्व की कोशिकाएं धीरे-धीरे नष्ट होती जाती हैं। ग्लूकोमा का समय पर इलाज करना बेहद जरूरी है। ऐसा न करने पर ऑप्टिक नर्व को गंभीर नुकसान हो सकता है। ग्लूकोमा से जो नुक्सान होता है वो इलाज के बाद भी कम ही ठीक हो पाता है।
ग्लूकोमा के चलते नजर को हुआ नुकसान का कोई इलाज नहीं है। अगर पता न चले तो यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता रहता है। रोग के ज्यादा बढ़ जाने पर अंधेपन की भी नौबत आ सकती है। अगर वक्त रहते अगर इस बीमारी का चल जाए तो भविष्य में होने वाले नुकसान से बचने के लिए इलाज और देखभाल की जा सकती है।
ग्लूकोमा दो प्रकार का होता है-
ओपन एंगल ग्लूकोमा -
ओपन एंगल ग्लूकोमा में आंख के तरल का प्रेशर (जिसे इंट्राकुलर दबाव भी कहते हैं) धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। मरीज को अपनी बीमारी का अहसास नहीं हो पाता, जिस कारण आंखों को काफी नुकसान पहुंचता रहता है। समय पर इलाज न होने पर यह अंधेपन का कारण भी बन सकता है।
क्लोज्ड एंगल ग्लूकोमा -
क्लोज्ड एंगल ग्लूकोमा में एक्वस ह्यूमर का प्रवाह अकस्मात ही रुक जाता है। अचानक एंगल्स बंद होने से तेज सिरदर्द, दिखाई देना बंद होना, आंखें लाल होना, उल्टी और चक्कर आने जैसी समस्याएं होती हैं। यदि इस रोग के प्रति लापरवाही बरती जाए, तो एंगल्स धीरे-धीरे पूरी तरह बंद हो जाते हैं। और इलाज के बाद भी दृष्टि को हुआ नुकसान ठीक नहीं हो पाता।
ग्लूकोमा का पूर्वानुमान और निदान
ग्लूकोमा रोग की पहचान तब होती है जब नेत्र चिकित्सक को ऑप्टिक तंत्रिका में क्षति का एक विशेष प्रकार, जिसे कुपिंग भी कहते हैं, दिखाई देता है। इस रोग की पहचान दोनों, उच्च इंट्राकुलर दबाव (आंख में तरल का दबाव) के साथ या बिना हो सकती है। एक सामान्य इंट्राकुलर दबाव की परिवर्तन सीमा 12 और 22 mmHg (पारे के मिलीमीटर, दबाव की एक माप) के बीच होती है।
इस बात की पूरी संभावना है कि अगर आपकी आंख पर दबाव उच्च है तो आपको ग्लूकोमा हो। हालांकि कोई सारे लोग ऐसे भी हैं जिनकी आंख का दबाव अधिक होने पर भी उनमें ग्लूकोमा का विकास कभी नहीं हुआ। और ऐसा भी देखा गया है कि ग्लूकोमा के साथ कुछ लोगों की आंख में उच्च दबाव नहीं था। ग्लूकोमा में आंख के दबाव की सामान्य श्रेणी को "नोर्मल टैंशन ग्लूकोमा" कहा जाता है।
नैदानिक परीक्षा
आंखों के परीक्षण के दौरान दबाव की जांच करने के अलावा नेत्र चिकित्सक ऑप्टिक तंत्रिका की जांच करने के लिए पुतली को चौड़ा करने के लिए ड्रॉप्स का इस्तेमाल कर सकता है। साथ ही डॉक्टर ऑप्टिक तंत्रिका को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए डाइग्नोस्टिक मशीनों, जैसे ओटीएक्स, जीडीएक्स या एचआरटी का उपयोग भी कर सकता है।
यदि नुकसान काफी गंभीर है, तो दृष्टि में परिवर्तन को परिधीय दृष्टि परीक्षण जिसे एक विजुअल फील्ड टेस्ट के रूप में भी जाना जाता है, के द्वारा पता लगाया जा सकता है। अक्सर रोगी को दृष्टि में कोई बड़ी हानि होने तक परिधीय दृष्टि में परिवर्तन की जानकारी नहीं हो पाती है। एक बार ऑप्टिक तंत्रिका परीक्षा या दृश्य क्षेत्र परीक्षण द्वारा ग्लूकोमा की पहचान हो जाने पर उपचार भी शुरू कर दिया जाता है।
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