ज्यादातर लोगों के अंधेपन का कारण ग्लूकोमा ही होता है।
हमारे देश में हर साल कई लोग ग्लूकोमा की समस्या के शिकार होते हैं। उनमें से ज्यादातर लोगों के अंधेपन का कारण ग्लूकोमा ही होता है। ग्लूकोमा के मरीज़ की आंखें कई बार लाइट की चकाचौंध से पूरी नहीं खुलती हैं। आसपास की चीजें धुंधली और अस्पष्ट दिखती हैं। रंग पहचानने में मुश्किल आती है। रात में कुछ भी साफ नहीं दिखाई देता है। तो ये लक्षण ग्लूकोमा के हो सकते हैं।
ग्लूकोमा अंधेपन का कारण
ग्लूकोमा आंखों की ऑप्टिक नर्व को नष्ट कर देता है जिससे धीरे धीरे आंखो की रोशनी खत्म हो जाती है| अगर आपको इस रोग के कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं तो आपनी आंखों की नियमित जांच कराकर ही इस रोग से बच सकते हैं। जिन लोगों की आंखों से ज्यादा पानी आता है उन्हें इस रोग का खतरा ज्यादा होता है। एक्वियस ह्यूमर नाम का द्रव्य जितनी तेजी से आंखों में बनता है उतनी ही तेजी से आपकी आंखों का आंतरिक विकास भी होता है| जिस व्यक्ति की आंखों में इसका दबाव पड़ता है, उसकी आंखों में इस द्रव्य का स्वाभाविक विकास नहीं हो पाता जिसके कारण इस द्रव्य का उस व्यक्ति के ऑप्टिक फाइबर पर बहुत अधिक दबाव पडने लगता है और धीरे धीरे उस व्यक्ति की ऑप्टिक नर्व को नष्ट कर देता है जिसके कारण व्यक्ति अंधा हो जाता है |
सर्जरी
ग्लूकोमा का एकमात्र इलाज है सर्जरी। इसके बिना ग्लूकोमा से छुटकारा नहीं मिल सकता है। ग्लूकोमा की सर्जरी भी अब काफी आसान व दर्दरहित हो गई है। और सर्जरी के बाद मरीज की आंखों की रोशनी में बहुत तेजी से सुधार होता है। इस सर्जरी के तुरंत बाद लोग सामान्य कामकाज कर सकते हैं। स्टेलैरिस-माइक्रो इनसीजन कैटरैक्ट नामक सर्जरी (एस- एमआईसीएस) पूरी तरह से सुरक्षित है और कम समय लेती है। इसमें आंखों में एक चीरा लगया जाता है जो अपने आप समय के साथ ठीक हो जाता है। इसमें दर्द ना के बराबर होता है। अधिकतर रोगी पहले की तुलना में बेहतर देखने लगते हैं। साथ ही इसके कोई दुष्प्रभाव भी नहीं है। ग्लूकोमा
ध्यान रखने योग्य बातें
- आपकी उम्र चाहे जो भी हो, मोतियाबिंद का इलाज जितना जल्दी हो सके करा लेना चाहिए। क्योंकि, देर करने पर दृष्टि में होने वाली कमी गंभीर हो सकती है।
- ग्लूकोमा से बचने के लिए इसका शुरूआती स्तर पर ही पता लगाने के लिए 40 वर्ष या इससे अधिक के सभी लोगों को आंखों की जांच कराते रहना चाहिए।
- आंखों से पानी आने या दूर की चीज देखने में परेशानी हो तो उसे हल्के में नहीं लें। तुरंत डॉक्टर को दिखाएं व आंखों की जांच कराएं।
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