प्रदूषण को रोकने और वातावरण को साफ रखने के लिए दिल्ली ने पुरानी डीजल व पेट्रोल गाडियों को हटाकर सीएनजी युक्त गाड़ियों के प्रयोग की पहल की थी। पर एक शोध के मुताबिक ये फैसला भी स्वास्थ्य के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित नहीं हुआ है। दिल्ली यानी देश की राजधानी में सीएनजी युक्त गाडि़यों की संख्या बहुत है। सभी को लगता है इससे प्रदूषण नहीं होता और यह हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह भी नहीं है। लेकिन सीएसआईआर के सर्वे की मानें तो इससे निकलने वाला धुआं जानलेवा हो सकता है और इससे कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होने की संभावना भी अधिक है। आइए इस बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।
क्या कहती है शोध
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) की एक रिपोर्ट में सीएनजी से चलने वाली गाड़ियों के धुंए से कैंसर होने का खतरा बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक सीएनजी गाड़ियों से निकने वाले धुएं में नैनो कार्बन का पता चला। जो मानव शरीर के लिए बहुत अधिक खतरनाक होता है। ये कण वातावरण में चारों ओर घूम रहे हैं और सांस के साथ फेफड़ों में जा रहे हैं। वहां से ये मेंब्रेन के जरिये रक्त में प्रवेश कर रहे हैं। नैनो कार्बन इंसानी शरीर में कैंसर पैदा कर सकते हैं।
इस रिपोर्ट के बाद ये धारणा बदल गई है कि सीएनजी एक साफ फ्यूल है, डीजल और पेट्रोल की बजाय सीएनजी से चलने वाले वाहन प्रत्यक्ष धुएं का उत्सर्जन नहीं करते, जिससे पर्यावरण और हमारी सेहत को नुकसान नहीं पहुंचता। लेकिन शोध के बाद ये तय है कि सीएनजी गाड़ियों से भले ही धुंआ निकलते ना दिखे लेकिन उससे निकलने वाली नैनो कार्बन गैस की वजह से पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है जिसकी वजह से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
वायु प्रदूषण से बचने के तरीके
इऩसे बचने के लिए आप दिन में बाहर जाते समय मुंह और नाक पर रुमाल बांधें। इससे हानिकारक कणों से बचा जा सकता है। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे कि फल और सब्जियों का सेवन उचित मात्रा में करना चाहिए, क्योंकि यह शरीर को प्रदूषण से पैदा होने वाले हानिकारक कणों से सुरक्षित रखते हैं।अच्छी गुणवत्ता के तरल पदार्थ, जिसमें शराब शामिल नहीं है, शरीर के अंदरूनी हिस्सों में नमी बनाए रखते हैं। अधिक प्रदूषण वाली जगहों पर व्यायाम नहीं करना चाहिए। अगर ऐसे हालात हों तो घर पर ही व्यायाम करना ज्यादा बेहतर है या फिर प्रदूषण मुक्त वातावरण का चुनाव करें। वायु में मौजूद बेंजीन, टॉल्युन, पेस्टिसाइड और सॉल्वेंट एवं आयोनाइजिंग रेडिएशन कैंसर के मुख्य कारण माने जाते है।
हवा में मौजूद बारीक कण इसके लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। ढाई माईक्रोन से भी छोटे ये कण आसानी से देखे भी नहीं जा सकते हैं और बहुत आसानी से हमारे शरीर में दाखिल हो जाते हैं।
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