केमिकल खाद तथा कीटनाशकों के अवैज्ञानिक उपयोग से पर्यावरण को नुकसान होता ही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इससे पशुओं में बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है और मानव में कैंसर से प्रभावित होने की आशंका छह गुना से अधिक बढ़ जाती है।
संश्लेषित खाद के अत्यधिक उपयोग ने पर्यावरण को बहुत अधिक हानि हो रही है और अप्रत्यक्ष रूप से मानव जीवन पर प्रभाव पर रहा है। केमिकल खाद के कारण मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट आने के साथ ही फसलों का उत्पादन भी कम हुआ है। इसके कारण पशु स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है। स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार खाद में भारी धातुएं होती हैं जिनमें सिल्वर, निकिल, सेलेनियम, थैलियम, वनेडियम, पारा, सीसा, कैडमियम और यूरेनियम शामिल हैं जो सीधे मानव स्वास्थ्य के खतरों से जुड़ी हैं।
इनसे वृक्क, फेफड़े और यकृत में कई प्रकार की बीमारियां हो सकती है। खाद के कारण मस्तिष्क कैंसर, प्रोस्टेट ग्रंथि कैंसर, बड़ी आंत के कैंसर, लिम्फोमा और श्वेत रक्त कण की कमी का खतरा छह गुना से अधिक बढ जाता है। केमिकल खाद के उपयोग से नाइट्रस आक्साइड गैस बनती है जो एक शक्तिशाली ग्रीन हाउस गैस है जिससे तापमान में वृद्धि होती है। कृषि मृदा से कुल प्रत्यक्ष उत्र्सजित नाइट्रस आक्साइड में खाद का हिस्सा 77 प्रतिशत है।
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