बदलती जीवनशैली का असर सिर्फ बड़ों पर ही नहीं बल्कि बच्चों पर भी हो रहा है। जी हां, पहले तनाव को उम्रदराज लोगों से जोड़कर देखा जाता था, लेकिन अब स्कूल जाने वाले बच्चे भी डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। यहां तक कि बच्चों में आत्महत्या की प्रवृति भी तेजी से बढ़ रही है। बच्चे खासकर सायकोटिक डिप्रेशन के शिकार होते हैं। इस बीमारी में बच्चा कोई बात अपने दिल में बैठा लेता है। बच्चों में डिप्रेशन का प्रमुख कारण या तो पढ़ाई का बोझ होता है या फिर माता-पिता की डांट। अक्सर मां-बाप भी अपने बच्चों को समझ नहीं पाते और अपनी मर्जी उन पर लादने लगते हैं। जिसके कारण बच्चा डिप्रेशन में आता है। बच्चा अलग-अलग रहने लगता है। कहीं आपका बच्चा भी तनाव में तो नहीं।
डिप्रेशन है क्या
डिप्रेशन एक सायकोटिक डिसऑर्डर है। इस डिसऑर्डर के कारण दो सप्ताह या उससे ज्यादा दिनों तक उदासी बनी रहती है। बच्चा किसी काम में दिलचस्पी नहीं लेता। साथ ही उसमें नकारात्मक विचार हमेशा बने रहते हैं। बच्चे की ऊर्जा का स्तर लगातार घटता चला जाता है। उसकी रोजमर्रा की जिंदगी बिल्कुल अस्त-व्यस्त हो जाती है। ऐसे में बच्चा दूसरों को नुकसान भी पहुंचा सकता है।
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बच्चों में तनाव के कारण
- आजकल बच्चे बड़े पैमाने पर तकनीक का इस्तेमाल बच्चे कर रहे हैं। तकनीक पर अत्यधिक निर्भरता बच्चों के तनाव की बड़ी वजह है। बच्चे आपस में ही इन सोशल साइट्स पर एक दूसरे से आगे बढने की होड़ में लगे रहते हैं।
- स्कूल में पढ़ाई का ज्यादा दबाव भी बच्चों को डिप्रेशन में डाल रहा है। सिलेबस पूरा न कर पाने के कारण बच्चा तनाव में आ जाता है।
- मां-बाप का दबाव भी बच्चों को तनाव में डालता है। बच्चों पर ज्यादा नंबर लाने का दबाव मां-बाप ही डालते हैं जिसके कारण बच्चा डिप्रेशन में आता है।
- कभी-कभी माता-पिता अपने सपनों के लिए भी बच्चों पर दबाव डालते हैं। अभिभावक यह सोचते हैं कि बच्चा उनके अधूरे सपनों को पूरा करेगा जिसके कारण भी बच्चा डिप्रेशन में आता है।
- अगर बच्चा किसी प्रतियागिता में फेल हो जाता है तो उस पर अनायास ही दबाव डाला जाता है जो कि बच्चे को तनाव में लाता है। जबकि यहां यह समझने की जरूरत है कि यह कोई जीवन का अंत नहीं बल्कि नए कल की शुरुआत है।
- हाई क्लास की सुविधा पाने की इच्छा भी बच्चे को तनाव में लाता है। अक्सर बच्चे को इस बात का मलाल रहता है कि दूसरों के जैसा हाई लिविंग स्टैंडर्ड उसका क्यों नहीं है।
- मां-बाप द्वारा बच्चे को ज्यादा समय न दे पाना भी बच्चो को डिप्रेशन में डालता है। ऐसे में बच्चा अपने को अकेला महसूस करता है।
बच्चे में डिप्रेशन के लक्षण
- खाने-पीने से, पढ़ाई से और खेलों में मन लगना।
- बेवजह खुश या दुखी हो जाना।
- बिना किसी बात के घंटों रोना।
- हमेशा मूड खराब रहना, गुमसुम रहना।
- पारिवारिक सदस्यों या दोस्तों के साथ आवेशपूर्ण व्यवहार करना।
- बैचेन रहना, चिड़चिड़ापन।
- बहुत जल्दी घबरा जाना।
- स्कूल से बच्चे की बहुत अधिक शिकायतें आना।
- मन में आत्महत्या जैसे नकारात्मक विचार आना।
अगर आपको भी लगे कि आपका बच्चा आजकल कुछ अजीब व्यवहार कर रहा है तो आप उसकी भावनाओं को समझिये और ज्यादा से ज्यादा वक्त उसके साथ बिताइए। लेकिन फिर भी बच्चा अगर डिप्रेशन में है तो बाल चिकित्सक से संपर्क अवश्य कीजिए।
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