बच्चों के स्क्रीन एडिक्शन को इन तरीकों से दूर कर सकते हैं पैरेंट्स

यदि आपका बच्चा दिन 2 घंटे से ज्यादा टीवी देखता है तो ये अच्छी बात नहीं। क्योंकि बच्चे की टीवी देखने की आदत उसकी मानसिक व शारीरिक सेहत और वजन दोनों को हानि पहुंचा सकती है।
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बच्चों के स्क्रीन एडिक्शन को इन तरीकों से दूर कर सकते हैं पैरेंट्स


पहले की तुलना में आज के समय में घरों में बच्‍चों की अधिक टीवी देखने की आदत को गंभीरता से नहीं लिया जाता। और अब तो कंप्यूटर और स्मार्ट फोन की स्क्रीन भी बढ़ गई हैं। लेकिन आपको बता दें कि यदि आपका बच्चा दिन में 2 घंटे से ज्यादा टीवी देखता है तो ये अच्छी बात नहीं। क्योंकि बच्चे की टीवी देखने की आदत उसकी मानसिक व शारीरिक सेहत दोनों को हानि पहुंचा सकती है। तो बेहतर होगा कि उनकी इस आदत को बदला जाए। लेकिन इसके लिये केवल बच्चों पर ही दबाव न बनाएं, आपको भी अपनी आदतों को बदलना होगा। चलिये जानें कि बच्चों के स्क्रीन एडिक्शन को कैसे दूर किया जाए। -

 

Child's Screen Addiction in Hindi

 

पहले खुद में करें बदलाव

हममें से ज्यादातर माता-पिता खुद टीवी, मोबाइल और कंप्यूटर आदि से चिपके रहते हैं। ऐसे में भला बच्चों में इन चीजों का एडिक्शन कैसे रोका जा सकता है। स्कीन एडिक्शन माता-पिता और बच्चों, दोनों के लिए एक बड़ी परेशानी का कारण बनती जा रही है। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वे रोजाना बच्चों और खुद के लिए टीवी देखने के समय का निर्धारण करें। हर समय टीवी देखने के बजाय स्वयं को और बच्चों को अन्य बेहतर गतिविधियों में लगाएं।

खाना और टीवी साथ नहीं

ज्यादातर परिवारों में लोग रात को खाने के वक्त एक साथ बैठकर टीवी देखने की आदत होती है। ऐसा करना को वे पारिवारिक एकजुटता का प्रतीक समझने की भूल करते हैं। लेकिन ये सोच गलत है। रात के खाने के समय खाना तो सबको साथ मिलकर खाना चाहिये, लेकिन साथ में टीवी न देखें। बजाये इसके आपस में बात करें। खासकर बच्चों के मामले में अक्सर देखा गया है कि बच्चा टीवी में इतना मशगूल हो जाता है कि मां को बार-बार टोक कर खाना खत्म करना पड़ता है। ध्यान रहे कि जब बच्चा खाना खा रहा है तो टीवी बिल्कुल न चलाएं। आप जैसा माहौल बनाएंगे, बच्चे में वही आदत बन जाएगी।

बच्चों को टीवी देखने के नुकसान बताएं

बच्चे बेहद मासूम होते हैं, कच्ची उम्र में प्यार से आप उन्हें जैसा बनाना चाहें, वे वैसा बना सकते हैं। अगर आपका बच्चा कुछ गलत कर रहा है तो उसकी वजह कहीं न कहीं आपकी परवरिश भी होती है। अक्सर माता-पिता टीवी और कार्टून को दोष देकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। लेकिन आपको यह समझना चाहिये, कि यदि बच्चे ने टीवी कार्टून से कुछ गलत सीखा है तो उसकी वजह है कि आप उस वक्त उसके साथ नहीं थे। यदि उसी वक्त आपने बच्चे के साथ उस प्रोग्राम पर बात की होती, तो वे गलत सीख न लेते। बच्चा टीवी में जो कुछ भी देखता है उसके बारे में उससे खुलकर चर्चा करें। उसे बताएं कि कार्टून में वह जो देख रहा है, वह सच नहीं है।

 

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टीवी से चिपके रहने की आदत बदलें

देखा जाता है कि कई पेरेंट्स बच्चों को ज्यादा टीवी न देखने की नसीहत देकर खुद सारा समय सास बहू के सीरियल देखने में लगे रहते हैं। मां की देखादेखी जब बच्चे भी टीवी देखने लगते हैं, तो उन्हें पढ़ने और टीवी न देखने की सलाह दी जाती है। ऐसे में बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता और वे मां से छुप कर टीवी देखने लगते हैं। इसलिये बच्चों को टीवी न देखने की सीख देने से पहले खुद को बदलें। खुद की टीवी पर चिपके रहने की आदत पर नियंत्रण रखें। उन्हें 1-2 घंटा टीवी देखने दें और इस बात को फन टाइम से जोड़ने की कोशिश करें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि बच्चे क्या देख रहे हैं। हो सके तो उनके साथ बैठे और बीच-बीच में उनसे बात करें।


आपका बच्चा ज्यादातर वक्त आपको देखता है और आपसे सीखता है। एक लाइन में कहा जाए तो आप अपने बच्चे के रोल मॉडल होते हैं। आपके हाथ में अधिकतर समय मोबाइल फोन या टीवी का रिमोट रहता है। इससे आपके बच्चों को सीख मिल रही है कि गैजेट अच्छी चीज़ होते हैं। मम्मी खाना बनाते समय भी फोन पर व्यस्थ रहती हैं, वहीं हर घंटे पापा के भी ऑफिस से 2-4 कॉल तो आ ही जाते हैं। आपका बच्चा आपके साथ खेलना और समय बिताना चाहता है, लेकिन आप फोन या कंप्यूटर पर लगे होते हैं। यही नहीं आपने उन्हें पहली रायम मोबाइल पर दिखाई। अब खुद ही सोचिए कि, बच्चे को तो यही महसूस होगा कि गैजेट बहुत जरूरी चीज है। इसलिए पहले गैजेट्स को लेकर खुद के लिये कुछ नियम बनाइए और उस पर अमल करने के लिए न केवल अपने बच्चे से उम्मीद रखिए, बल्कि खुद भी अमल कीजिए।

 

 

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