मूत्र में खून यानी रक्तमेह (Hematuria) की पहचान आसानी से नहीं की जा सकती है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में इसे केवल माइक्रोस्कोप के जरिये ही देखा जा सकता है। इसके मूल्यांकन के लिए पूरे मूत्र पथ यानी यूरीनरी ट्रैक्ट का परीक्षण किया जाता है। इसके निदान के लिए मूत्र के नमूने की जांच की जाती है, इसके अलावा सीटी स्कैन, सिस्टोस्कोपी और यूरीन सिटोलॉजी की जाती है। मूत्र में रक्त का प्रबंधन इसके मूल कारणों पर निर्भर करता है। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।
मूत्र में खून
रक्तमेह यानी मूत्र में खून कुछ मामलों में तो दिखाई दे जाता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में इसकी पहचान माइक्रोस्कोपिक (इसमें रक्त कोशिकायें केवल माइक्रोस्कोप से दिखती हैं) होती हैं। सकल रक्तमेह की उपस्थिति व्यापक रूप में भिन्न हो सकती है, ये हल्के गुलाबी या गहरे लाल रंग के थक्के के साथ होते हैं। हालांकि इसमें समस्या से ग्रस्त होने पर मूत्र में रक्त की मात्रा अलग-अलग हो सकती है, मूत्र की मात्रा के आधार पर ही इसका अवलोकन, परीक्षण और उपचार किया जाता है।
जिन लोगों के मूत्र में रक्त दिखता है वे सामान्यतया चिकित्सक से संपर्क करते हैं, लेकिन जिनको यह नहीं दिखता है उनको बाद में अधिक समस्या हो सकती है। इसलिए अगर पेशाब करने में कोई समस्या है तो नियमित रूप से मूत्र के नमूने की जांच कराते रहना चाहिए।
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रक्तमेह के कारण
हालांकि सकल और सूक्ष्म रक्तमेह के कारण एक जैसे हो सकते हैं, इन दोनों प्रकार की समस्या होने पर मूत्रमार्ग से कहीं से भी खून बहने की शिकायत हो सकती है। इसमें से किसी प्रकार में यह निर्धारित नहीं किया जा सकता है कि खून किडनी, मूत्रवाहिनी (यह एक प्रकार की ट्यूब होती है जो किडनी से मूत्राशय में मूत्र ले जाती है), मूत्राशय आदि जगह से निकल रहा है। इसका निर्धारण और मूल्यांकन चिकित्सक की कर सकता है।
मूत्र में संक्रमण इसे मूत्र मार्ग संक्रमण या यूटीआई भी बुलाते हैं। इसमें मूत्र जीवाणुरहित होता है और किसी प्रकार के जीवाणु इसमें नहीं होते हैं। गुर्द की पथरी की समस्या से भी अगर व्यक्ति ग्रस्त है तो परेशानी और बढ़ सकती है। इस समस्या को किडनी की बीमारी से जोड़कर देखा जाता है। कुछ दवायें जिनके कारण खून के थक्के बन सकते हैं, जैसे - एस्पीरिन, वारफेरिन आदि भी इसके लिए जिम्मेदार कारण हो सकते हैं, इनके कारण मूत्र में खून आने की समस्या भी हो सकती है। ब्लैडर कैंसर होने पर भी रक्तमेह हो सकता है।
निदान और उपचार
रक्तमेह के निदान के लिए मूत्र का नमूना लेकर उसकी जांच की जाती है, इसके अलावा सीटी स्कैन, सिस्टोस्कोपी और यूरीन सिटोलॉजी के जरिये इसका निदान होता है। चिकित्सक आपके शारीरिक परीक्षण और इससे पहले हुई किसी भी प्रकार की समस्या के बारे में जानकारी ले सकता है, यानी आप पहले से कोई दवा तो प्रयोग नहीं कर रहे हैं जो इसका कारण बन सकता है।
चिकित्सक इस समस्या से उपचार के पहले इसके पीछे जिम्मेदार कारणों और लक्षणों के आधार पर इसका उपचार करता है। इसके उपचार से पहले रक्तचाप और किडनी का परीक्षण किया जाता है, अगर किडनी सही तरीके से काम नहीं कर रही है तो उसका उपचार किया जायेगा, अगर रक्तचाप असामान्य है तो उसे समान्य किया जायेगा। अगर व्यक्ति की उम्र 50 से अधिक है तो उसका उपचार अलग तरीके से होता है।
इस समस्या को सामान्य बिलकुल न लें, क्योंकि यह ब्लैडर कैंसर के कारण भी हो सकता है, जो कि बहुत खतरनाक है। अगर मूत्र त्यागने में किसी प्रकार की समस्या हो, रक्तचाप असामान्य हो और किडनी संबंधित कोई समस्या हो तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क कीजिए।
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