क्‍या ये नैचुरल स्‍वीटनर शुगर से हैं बेहतर

चीनी का अधिक सेवन कई तरह से सेहत के लिये हानिकारक हो सकता है। इस लिये ही अधिकांश लोग चीनी के सेहत पर दुष्प्रभावों से बचने के लिये नैचुरल स्‍वीटनर अर्थात प्रकृतिक मिठास का इस्तेमाल करने लगे हैं।
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क्‍या ये नैचुरल स्‍वीटनर शुगर से हैं बेहतर

भले ही समय के साथ लोगों की जीवनशैली में काफी बदलाव आए हों, लेकिन आज काफी लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर भी सतर्क हुए हैं। और उन्होंने सेहत के लिये अपने भोजन में भी कई बदलाव किये हैं। इसी कड़ी में एक नया नाम आता है शुगर सब्स्टीट्यूट का भी आता है। आज अधिकांश लोग चीनी के सेहत पर दुष्प्रभावों से बचने के लिये नैचुरल स्‍वीटनर अर्थात प्रकृतिक मिठास का इस्तेमाल करने लगे हैं। तो चलिये जानें कि क्या हैं चीनी के प्रकृतिक विकल्प और ये चीनी से किस प्रकार बेहतर हैं।

 

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चीनी क्यों नहीं बेहतर

बढ़ते वजन को नियंत्रित करने के लिए सबसे पहले चीनी का सेवन न करने को कहा जाता है। चीनी के कई नुकसान हो सकते हैं जैसे, चीनी से कोशिकाओं की लचक खत्म हो जाती है, चीनी से कोलेस्ट्रॉल के स्तर में ट्राइग्लिसराइड बढ़ जाता है, बच्चों को एकाग्रता में कमी आती है व चिड़चिड़ापन बढ़ता है तथा यह हाइपोग्लेसिमया, डाइबिटीज और मोटापे को भी बढ़ावा देती है। यहां तक कि चीनी में केवल कैलोरी होती हैं और विटामिन, खनिज और पौष्टिकता न के बराबर होते हैं। इसके अधिक सेवन से पाचन क्रिया भी प्रभावित होती है और कब्ज होने की संभावना बनी रहती है। चीनी के अधिक सेवन से खून में विटामिन ई की मात्रा भी कम हो सकती है।  

लेकिन समस्या ये है कि चीनी की जरूरत हमारी रूटीन डाइट में इस कदर समा चुकी है कि हम इसे छोड़ नहीं पा रहे हैं। चीनी शरीरी के लिए जरूरी इसलिये हैं क्योंकि यह शरीर को तुरंत ऊर्जा देती है। और इसीलिए भी तुरंत ऊर्जा पाने के लिए हमें बार-बार मीठा खाने की इच्छा होती है। लेकिन ये सेहत के लिये हानिकारक है। तो क्यों न चीनी के प्राकृतिक विकल्प अपनाये जाएं।

शहद

शहद शुगर सब्स्टीट्यूट के रूप में सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला पदार्थ है। मिठास के अलावा इसके कई अन्य फायदे भी हैं। शहद में फ्रुक्टोज (fructose) 38.2 प्रतिशत, ग्लूकोज़ 31 प्रतिशत तथा ग्लाइसेमिक इंडेक्स (glycemic index) 31 से 78 प्रतिशत होता है। शहद में विटामिन्स, मिनेरल्स, और एंटी-ऑक्सिडेट्स भी होते हैं।

गुड़

गुड़ स्वाद में मीठा होने के साथ-साथ कई तरह से फायदेमंद होता है। कफ, कब्ज और अपच में गुड़ का सेवन काफी लाभदायक होता है। आयरन का मुख्य स्रोत होने के कारण गुण यह युवतियों के लिए एनीमिया में भी लाभकारी होता है।

 

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गन्ने का रस

विटामिन बी और सी होने के साथ-साथ गन्ने का रस में कैल्शियम, आयरन व मैंगनीज भी होते हैं। एनीमिया व जॉन्डिस जैसी बीमारियों में गन्ने का रस पीना बेहद फायदेमंद होता है।

अंगूर

अंगूर को ग्लूकोज शुगर का अच्छा श्रोत माना जाता है। विटामिन ए, बी और सी से भरपूर होने के साथ-साथ अंगूर में कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन आदि भी होते हैं।

शहद

हृदय स्वास्थ्य के लिए शहद का सेवन काफी अच्छा माना जाता है। शहद रक्तशोधक होने के साथ-साथ, सर्दी-जुकाम व बुखार आदि में भी फायदेमंद होता है। इसके सेवन से एसिडिटी और वायुदोष की समस्या से भी बचाव होता है और त्वचा भी कांतिमय बनती है।

ताजे और सूखे फल

खजूर, किशमिश, आडू और खुबानी ऐसे मीठे फल व सूखे मेवाओं में जरूरी पौष्टिक तत्व और खनिज मोजूद होते हैं। इनमें शर्करा की मात्रा कम और प्राकृतिक गुण व मिठास अधिक होती है। ये सेहत के लिये बेहद लाभदायक होते हैं।

सेब का गाढ़ा रस भी मिठास का सेहतमंद व प्राकृतिक विकल्प है। इसके अलावा मोग्रोसाइड्स (Mogrosides) जोकि मोंक फल से निकला जाता है और चीनी से 300 गुना मीठा होता है। इसके अलावा सोर्बिटोल (Sorbitol) जो सेब, पीच में पाया जाता है। अधिकांशतः इसका प्रयोग कफ सिरप और च्युइंग गम बनाने में होता है। आदि भी चीनी के बेहतर प्राकृतिक विकल्प हैं।

सफेद चीनी को सुक्रोज कहा जाता है, जोकि गन्ने का रासायनिक सार होता है। वैसे सफेद के बजाय भूरी चीनी (ब्राउन शुगर) का सेवन करके भी हम खुद को धोखे में ही रहते हैं। सुपर मार्केट में उपलब्ध ब्राउन शुगर भी रिफाइंड चीनी मानी जाती है, बस उसकी रंगत और टेस्ट में थोड़ा फर्क होता है।

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