नाक बंद हो जाए तो दिमाग भी काम करना बंदकर देता है, लोगों के अनुसार ऐसे में एंटिबायोटिक्स बेहद मददगार साबित होते हैं। लेकिन इसमें एक समस्या है। जहां एक और एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया को मारने में बेहद कारगर होते हैं, वायरस के खिलाफ वे विफल हो जाते हैं। फ्लू सहित कई वायरस, 90 प्रतिशत श्वसन संक्रमण के कारण होते हैं। तो ऐसे में पता होना चहिये कि कौंन सा एंटीबायोटिक किस बैक्टीरिया को मारने में कारगर है और इन्हें कब लेना चाहिये। चलिये जानें कि स्टफी नाक होने पर एंटिबॉयटिक का सेवन कब करें।
क्या कहते हैं शोध
ब्रिटेन में स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी द्वारा कराए एक सर्वेक्षण से पता चला कि एक चौथाई लोग मानते हैं कि एंटीबायोटिक से हर तरह की खांसी, ज़ुक़ाम, कफ और बंद नाक का इलाज हो सकता है। हालांकि वास्तविकता तो यह है कि एंटीबायोटिक का उन वायरसों पर कोई असर नहीं होता, जो आमतौर पर श्वास नली में संक्रमण की वजह होते हैं।
टॉप स्टोरीज़
ब्रिटेन में हुआ सर्वेक्षण
ब्रिटेन में 1800 लोगों पर किए गए इस सर्वे से एक और बात पता चली कि हर दस में से एक व्यक्ति बीमारी से मुक्त होने के बाद बची हुई एंटीबायोटिक दवाईयां रख लेता है और ज़रूरत पड़ने पर बिना डॉक्टर की सलाह उनका सेवन करता है। जबकि डॉक्टरों के अनुसार एंटिबायोटिक हर बीमारी का इलाज नहीं होते हैं। ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी की डॉक्टर क्लिओडन मैकनल्टी के अनुसार, 'डॉक्टर से बिना पूछे दवाई लेना ठीक नहीं है और इससे मरीज़ के शरीर पर दवाइयों के बेअसर हो जाने का जोखिम रहता है।'
इस सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से 500 लोगों को बीते साल एंटीबायोटिक दवाईयां लेने की सलाह दी गई थी। इन लोगों में से 11 प्रतिशत लोगों का कहना था कि उनके पास बची हुई दवाईयां रखी हुई थीं। 6 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उन्हें संक्रमण होने की स्थिति में वे एंटीबायोटिक दवाईयां खुद ही ले लेंगे। डॉ. मैकनल्टी ने बताया कि एंटीबायोटिक दवाओं की अधिकता से रोगी पर उनके बेअसर होने की आशंका बढ़ जाती है और एंटीबायोटिक से डायरिया होने का जोखिम भी बना रहता है। सर्वेक्षण के अनुसार 70 प्रतिशत लोगों को एंटीबायोटिक दवाओं की अधिकता से उनके बेअसर हो जाने की जानकारी थी।
एंटीबायोटिक जुकाम और बंद नाक का इलाज नहीं
ब्रिटेन की स्वास्थ सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक डॉक्टरों को भी रोगियों की ओर से एंटीबायोटिक दवाईयों की बिना जरूरत मांग को मना करना चाहिए। सर्वे में पाया गया कि जिन लोगों ने डॉक्टरों से एंटीबायोटिक दवाइयों की मांग की उनमें से 97 प्रतिशत लोगों को ये दवाइयां दे दी गईं। डॉक्टर मैकनल्टी ने बताया कि कई सालों से लोगों के बीच एंटीबायोटिक दवाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के बावजूद इस सर्वे से पता चला कि यह भ्रम लोगो में बीच अभी तक बना हुआ है। हमें पता है कि सर्दी, खांसी और ज़ुक़ाम आदि हो जाने पर लोग परेशान हो जाते हैं, लेकिन वास्तव में अधिकांश मामलों में यह अपने आप ही ठीक हो जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार एंटीबायोटिक दवाइयों को गलत तरीके से सेवन करने से रोगी को फायदे के स्थान पर नुकसान हो सकता है। साथ ही उसकी प्रतिरोधक क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। कई डॉक्टरों का मानना है कि एंटीबायोटिक दवाइयों के अधिक सेवन से जीवाणुओं के नए प्रकार में उभरने का भी वैश्विक खतरा होता है।