
पीठ में दर्द की मुख्य वजह रीढ़ की हड्डी होती है। रीढ़ की हड्डी में लचीलापन न होना या दर्द व्यक्ति को परेशान कर देता है। इस वजह से ऑफिस में बैठकर काम करने में परेशानी होती है, जबकि महिलाओं को रीढ़ की हड्डी संबंधी समस्या होने पर घर के काम में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बेशक आप इस समस्या के लिए दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन योगासन से भी आप इस समस्या में आराम पा सकते हैं। योग से आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। साथ ही योग से मोटापा और रीढ़ की हड्डी का दर्द दूर होता है और लचीलापन बेहतर बनता है। आज के दौर में खुद के लिए समय निकालना बेहद मुश्किल होता है। लेकिन यदि आप सुबह मात्र 30 मिनट खुद के लिए निकाल लें तो इससे आप कई तरह की समस्याओं से निजात पा सकते हैं।
इस लेख में हम आपको रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन को बेहतर करने और इसके दर्द को दूर करने के लिए कुछ योगासन बताने जा रहे हैं। इन योगासनों से आप रीढ़ की हड्डी की सभी तरह की समस्याओं को कम कर सकते हैं।
रीढ़ की हड्डी के दर्द को दूर करने के लिए योगासन - Yoga For Spinal Cord In Hindi
रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन के लिए भुजंगासन
रीढ़ की हड्डी को कम करने के लिए आप भुजंगासन कर सकते हैं। भुजंगासन में आपकी स्पाइनल कोर्ड पीछे की ओर मुड़ती है और इससे आपके कूल्हे मजबूत बनते हैं। रीढ़ की हड्डी में लचीलपन लाने के लिए आप इस योग को रोजाना करीब दो से तीन मिनट तक करें। शुरूआत में इसे कुछ ही सेकेंड के लिए साथ ही इसमें कमर को उतना ही मोड़े जितना की आपको ज्यादा दर्द महसूस न हो। इस योगासन से कंधों, पेट और छाती में भी खिंचाव आता है। ये एक बेहतरीन स्ट्रेचिंग योग है।
इसे करने के लिए आप पेट के बल पर जमीन पर लेट जाएं। दोनों ही पैरों को सीधी रखें और हथेलियों को जमीन पर रखते हुए कंधों से खुद को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। सिर सामने रखें और इस पोजीशन में करीब 2 से 3 मिनट तक शरीर को होल्ड करें।
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धनुरासन
धनुरासन से आपकी रीढ़ की हड्डी का दर्द कम किया जा सकता है। इस धनुरासन से सीने और फेफड़े खुलते हैं। साथ ही इससे पीठ की मांसपेशियों मजबूत होती हैं। अगर आपके बैठने का पॉश्चर गलत है, तो भी इस योगासन को करें। इस योगासन को करने से पीठ का दर्द कम होता है।
धनुरासन को यदि आप पहली बार कर रहें हैं तो ऐसे में आपको परेशानी हो सकती है। लेकिन अभ्यास करने से आप इस योगासन को करने लगेंगे। इस योगासन में आपको पेट के बल लेटना होता है। इसके बाद आपको अपनी एंडियों को अपने हाथ से पकड़ना होता है। धीरे धीरे सांस लेते हुए जांघों को भी ऊपर उठानी होती है। इसके साथ ही सिर को भी ऊपर उठाएं। इस पोजीशन में थोड़े समय तक रूकने के बाद वापस नॉर्मल पोजीशन में आएं। इससे रीढ़ की हड्डी के साथ ही सीने में जलन की समस्या भी ठीक होती है।
चक्रासन से रीढ़ की समस्या को करें ठीक
इस आसन से फेफडों को स्ट्रेच किया जाता है। रीढ़ की हड्डी का लचीलापन बेहतर करने के लिए आप चक्रासन कर सकते हैं। इससे पैर, कंधा और पेल्विक एरिया मजबूत होते हैं। इसे करने के लिए आप पीट बल लेट जाएं। इसके बाद अपने पैरों को मोड़ें जब तक पैर और हथेली सपाट न हो जाए। इसे आपको उल्टा यू बनाना होता है। इस योग में रीढ़ की हड्डी को ऊपर की ओर उठाना होता है। इस पोजीशन में करीब 2 से 5 मिनट तक रहें। इससे गर्दन की मांसपेशियों के साथ पेट और कंधों की मांसपेशियां भी लचीली बनती हैं।
शलभासन से रीढ़ की हड्डी का दर्द होता है दूर
इस आसन को करने पीठ की मांसपेशियां मजबूत होती है और कमर का दर्द कम होता है। ये आसन बेहद ही सरलता से किया जा सकता है। इसमें आपको पेट के बल पर लेटना होता है, इसके बाद ठुड्डी को नीचे की ओर जमीन पर लगाएं। इसके बाद हथेलियों को जांघों के नीचे रखें। इसके बाद पैरों को ऊपर की उठाएं। इस पोजीशन को दो से पांच बार करें और पैरों को ऊपर उठाकर कुछ मिनट तक होल्ड करें।
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सेतुबंधासन
सेतुबंधासन को ब्रिज पोज कहा जाता है। दरअसल इसमें आपको एक पुल की आकर्ति की तरह पोज बनाना होता है। इसमें आपको पीठ के बल पर लेटना होता है और इसके बाद हाथों से एड़ियों को पकड़ते हुए रीढ़ की हड्डी को ऊपर की ओर उठाएं। इससे पेट की मांसपेशियां, और रीढ़ की हड्डी का लचीलापन ठीक होता है। इस योगासन को आप रोजाना 2 से 5 मिनट तक कर सकते हैं।
योग को जीवनशैली में अपनाकर आप खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बना सकते हैं। इससे आपको रोग होने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है। साथ ही आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी सुधार होता है।