अस्थमा रोगियों के लिए वरदान से कम नहीं हैं ये 5 योगासन और प्राणायाम, सांसों की समस्या करते हैं दूर

अस्‍थमा के दौरान सांस लेने में होने वाली दिक्कतों को योगासन से ठीक किया जा सकता है।
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अस्थमा रोगियों के लिए वरदान से कम नहीं हैं ये 5 योगासन और प्राणायाम, सांसों की समस्या करते हैं दूर

तेजी से बढ़ते  प्रदूषण की वजह से अस्‍थमा की समस्‍या बढ़ रही है। हवा से फैलने वाली एलर्जी, जैसे परागकण, धूल के कण, पालतू जानवरों की डेंड्रफ या क्रॉकरोच के मल से भी अस्थमा हो सकता है। अस्‍थमा में  मरीज को सांस लेने में समस्या होने के साथ ही कमजोरी, छाती में दर्द और बुखार जैसी अन्य समस्‍याओं का भी सामना करना पड़ता है। प्रदूषण और स्मॉग की वजह से सांस लेने में होने वाली परेशानी से बचने के लिए आप कुछ योगासनों की मदद ले सकते हैं। चलिए जानते हैं इन योगासनों के बारे में। 

1. भ्रामरी प्राणायाम 

  • सुखासन, अर्द्धपद्मासन या पद्मासन जैसे योगासन को करने के लिए सबसे पहले आरामदायक पोजिशन में बैठ जाएं। 
  • अपनी पीठ को सीधा करें और आंखों को बंद कर लें। 
  • हाथ के अंगूठे को कान के ऊपर रखें। 
  • फिर रिंग फिंगर को नाक के पास रखें, मिडल फिंगर को पलकों के ऊपर और इंडेक्स फिंगर को माथे पर रखें। 
  • अब गहरी सांस लें। सांस लेते समय ॐ का उच्चारण करें। 
  • इस प्रक्रिया के दौरान मुंह को बंद रखें और  ध्वनि के कंपन को महसूस करें। 

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2. सूर्य नाड़ी सोधन 

  • ये एक प्राचीन योग तकनीक है। इसका उपयोग सूर्य तंत्रिका  तंत्र को सक्रिय करने के लिए किया जाता है, ये हमारे पूरे शरीर में कार्य करता है। 
  • इस तकनीक के अभ्यास से हमारे शरीर के भीतर कार्य करने वाला पूरा सौर चैनल पुनर्जीवित होकर फि‍र से सक्रिय हो जाता है।
  • इसे करने के लिए दंडासन में बैठें, पीठ को सीधा रखें और  गहरी सांस लें। 
  • सुखासन की स्थिति में रहते हुए, अपने पैरों को मोड़ लें और दिमाग को अभ्यास के लिए तैयार करें। 
  • एक आरामदायक पोजिशन जैसे सुखासन, वज्रासन, अर्द्धपद्मासन, पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाएं।
  • पीठ को सीधा करें और आंखों को बंद कर लें। 
  • अपनी हथेलियों को घुटनों के ऊपर की तरह रखें। 
  • अंगूठे से बाईं नासिका को बंद करें और दाईं नासिका से सांस लें, अब इंडेक्स या मिडल फिंगर से दाईं नासिका को बंद करें और बाईं से सांस छोड़ें।
  • सीधी तरफ से सांस लेकर उसे बाईं से छोड़ते हुए इस प्रक्रिया को कई बार दोहराएं। 

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3. चंद्र नाड़ी शोधन   

  • इस आसन का अभ्‍यास करने के लिए दंडासन में बैठें, पीठ को सीधा रखें और गहरी सांस लें। 
  • सुखासन में रहते हुए अपने पैरों को मोड़ें और दिमाग को  शांत करें। 
  • आंखों को बंद कर लें। अपनी हथेलियों को अपने घुटनों पर ऊपर की तरफ रखें। 
  • दाईं ओर की नासिका को बंद करने के लिए अंगूठे का प्रयोग करें।
  • अपने बाईं नासिका से सांस लें। 
  • अब इंडेक्स या मिडल फिंगर से बाईं नासिका को बंद करें और दाईं से सांस को छोड़ें। 

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4. भस्त्रिका प्राणायम

  • इसे करने के लिए किसी भी आरामदायक पोजीशन में बैठ जाए। 
  • पीठ को सीधा रखें। 
  • आखों को बंद कर लें। 
  • हथेलियों को घुटनों के ऊपर प्राप्ति मुद्रा में रखें।
  • गहरी सांस लें और कुछ समय बाद इसे पूरी तरह से बाहर निकाल दें। 
  • सांस लेने और छोड़ने का अनुपात बराबर रखें। 
  • उदाहरण के लिए अगर आप छह गिनने तक सांस ले रहे हैं तो सांस छोड़ने तक भी छह गिनें। 

 

5. कपालभाति 

  • किसी भी एक आरामदायक स्थिति में बैठें। 
  • पीठ को सीधा रखते हुए आंखें बंद करें।
  • हथेलियों को घुटनों पर प्राप्ति मुद्रा में रखें।
  • सामान्य तरीके से सांस लें, छोटी और लयबद्ध सांस पर ध्यान लगाते हुए इसे छोड़ें।
  • फेफड़ों से हवा को पूरी तरह से बाहर निकालने के लिए अपने पेट का दबाएं। 
  • आप अपनी शारीरिक गतिविधि को बढ़ाकर और कुछ लाइफस्टाइल में बदलाव कर, अपने फेफड़ों को बीमार होने से बचा सकते हैं।

योग आपको कई तरह की बीमारियों से दूर रखने में कारगार भूमिका निभाते हैं। इसे आपको अपनी रोजाना की दिनचर्या में अवश्य शामिल करना चाहिए। 

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