नई पहल: दुनिया का पहला एचआईवी पॉजिटिव स्‍पर्म बैंक की शुरुआत

न्‍यूजीलैंड में दुनिया का पहला एचआईवी पॉजिटिव स्‍पर्म बैंक की शुरूआत की गई है। इससे एड्स पीड़ितों उपचार में मदद मिलेगी! 
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नई पहल: दुनिया का पहला एचआईवी पॉजिटिव स्‍पर्म बैंक की शुरुआत

एचआईवी-एड्स के कलंक को कम करने के प्रयास में, न्यूजीलैंड ने इस अपक्षयी बीमारी के साथ जी रहे पुरुषों के लिए दुनिया का पहला एचआईवी पॉजिटिव स्‍पर्म बैंक (HIV positive sperm bank) की शुरूआत की है। इस पहल का उद्देश्य एचआईवी एड्स से पीड़ित लोगों के साथ होने वाले कलंक को कम करना है क्योंकि भेदभाव उन्हें चिकित्सा सहायता लेने या गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने से रोकता है।

बैंक, जिसे "स्पर्म पॉजिटिव" के रूप में जाना जाता है। वर्तमान में इसमें तीन डोनर हैं। डोनर वे पुरुष होते हैं जिनके पास "अनडिटेक्टेबल वायरल लोड" की स्थिति काफी कम होती है। क्योंकि इस मामले में, असुरक्षित यौन संबंध या प्रसव के माध्यम से एचआईवी किसी अन्य में फैलता नहीं है। यानी इनके खून में वायरस तो है लेकिन इन्‍हें मानक तरीकों से पहचान करना मुश्किल है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि एचआईवी पूरी तरह से ठीक हो गया है। इसका मतलब यह है कि, रोगी के उपचार ने वायरस को कम करने के लिए सफलतापूर्वक काम किया है, वायरस आगे प्रसारित नहीं हो रहा है।

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डोनर में से एक डेमियन रूल-नील को 1999 में सकारात्मक रूप से एचआईवी का पता चला था। लेकिन, 18 साल पहले  इलाज शुरू करने के बाद एक "अनडिटेक्टेबल वायरल लोड" का परीक्षण किया गया था, जिसकी पुष्टि हुई थी। 

डेमियन ने कहा, न्यूजीलैंड में लोगों के बीच 'अनडिटेक्टेबल वायरल लोड' को लेकर अभी भी जागरूकता की कमी है।  डेमियल ने बताया कि, उन्‍होंने शुरू से ही अपने काम और व्यक्तिगत जीवन दोनों में एचआईवी के साथ रहने के बारे में कलंक का अनुभव किया था। उन्होंने कहा, मेरे कई दोस्त हैं, जो एचआईवी के साथ जी रहे हैं और उनके बच्चे भी हैं। 

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स्पर्म बैंक प्रशासन के मुताबिक, डोनर तलाश रहे लोगों को बताया जाएगा कि स्पर्म डोनर को एचआईवी है, लेकिन वे प्रभावी उपचार पर हैं। इसलिए उनका वायरस ट्रांस्फर नहीं हो सकता। 

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इस पहल की परिकल्‍पना, न्‍यूजीलैंड एड्स फाउंडेशन ने पॉजिटिव विमेन इंक और बॉडी पॉजिटिव के साथ मिलकर की थी, इस विशेष स्‍पर्म बैंक का उद्देश्‍य लोगों में एचआईवी एड्स और इसके संचरण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। 

एचआईवी एड्स के साथ रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए सबसे बड़ी बाधाएं रूढ़ीवादी सोच हैं।

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