पोलियो एक गंभीर बीमारी है, जिसे नजरअंदाज करना कई बार अन्य भयंकर बीमारियों का भी कारण बन सकता है। आमतौर पर पोलियो की समस्या 5 साल से कम की उम्र के बच्चों को होती है। इससे बचने के लिए लोग बच्चों को पोलियो की वैक्सीन लगवाते हैं ताकि आगे चलकर उन्हें पोलियो का शिकार न होना पड़े। हर साल 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस मनाया जाता है।
विश्व पोलियो दिवस का इतिहास
विश्व पोलियो दिवस पहली बार रोटरी इंटरनेश्नल द्वारा मनाया गया था। भारत में पोलियो के टीकाकरण की शुरुआत पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा साल 1995 में में की गई थी। इसके बाद से ही बच्चों को वैक्सीन लगाई जाने लगी थी। साल 1962 में पहली बार अल्बर्ट साबिन द्वारा की गई थी। वहीं साल 1980 में पोलियो से संक्रमित लोगों से सबसे ज्यादा मामले देखे गए थे।
विश्व पोलियो दिवस का महत्व
विश्व पोलियो दिवस को हर साल मनाने के पीछे का मकसद लोगों को जागरूक करना है। दरअसल, इस दिन हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स द्वारा जगह-जगह कैंप और सेमिनार का आयोजन किया जाता है। इस दिन कैंप आयोजित कर लोगों को पोलियो से बचने की टिप्स और इसके वैक्सीन लगवाने के महत्व के बारे में समझाया जाता है। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग पोलियो को समझ पाएं।
इसे भी पढ़ें - पोलियो वैक्सीन लगवाना क्यों जरूरी है? डॉक्टर से जानें किन रोगों से बचाती है ये वैक्सीन
पोलियो के लक्षण
- पोलियो होने पर सिर में तेज दर्द या फिर भारीपन महसूस हो सकता है।
- पोलियो की समस्या होने पर आपको कई बार पैरालाइसिस होने की भी आशंका बढ़ जाती है।
- इस स्थिति में शरीर में लंबे समय तक थकान और कमजोरी बनी रहती है।
- पोलियो होने पर आपकी पीठ, गर्दन और मांसपेशियों मेंं भी जकड़न हो सकती है।
- पोलियो होने पर मांसपेशियों में खिंचाव और मसल स्ट्रेन जैसी समस्या भी हो सकती है।