दमा एक चिरकालिक श्वसन विकार है जिसका संबंध वायुमार्ग की सूजन से है। दमा की दवाईयों में ड्रग्स शामिल होती हैं और इनमें से अधिकांश ड्रग्स को इन्हेलर या नेबुलाइज़र से सांस द्वारा शरीर के भीतर लिया जाता है। इन्हेलर प्रैशर के साथ माइक्रो-स्प्रे के रूप में दवाई को शरीर में पहुंचाते हैं जिसकी वजह से मुख में मौजूद कैविटी में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, मुख शुष्क होने पर इन्हेलर की दवा मसूड़ों की कई समस्याओं को बढ़ावा दे सकती है। जब श्वसन विकार की दवा को कैप्सूल के रूप में लिया जाता है तो कैप्सूल टूटता है और अगर गला शुष्क हो तो सांस में गया पावडर गले व ओरल म्युकोसा में जलन पैदा करता है।
दमा की दवाएं लेने वाले मरीजों को मुंह सूखने, दंत-क्षय, दंत-क्षरण, मसूड़ों व दांतों के रोग तथा ओरल कैंडिडिआसिस का जोखिम उत्पन्न हो जाता है। इसलिए दवाएं ले रहे दमा रोगियों को विशेष रक्षात्मक ध्यान की आवश्यकता होती है। आज हम डॉक्टर प्रियंका माथुर, जीएम- क्लिनिक ओपरेशन, क्लोव डेंटल से बातचीत कर आपको मुख स्वास्थ्य से संबंधित कुछ जरूरी बातें बता रहे हैं।
मसूड़ों-दांतों की बीमारियों तथा दमा के बीच के रिश्ते की पड़ताल करने वाले अध्ययनों में पाया गया है की दमा रोगियों की के मसूड़ों-दांतों की सेहत अन्य लोगों के मुकाबले खराब होती है। दांतों का स्वास्थ्य बदतर हो जाए उससे पहले उनका ख्याल रखने के लिए यहां कुछ उपयोगी बातें बताई जा रही हैं जो मौखिक रोगों का शिकार बनने की संभावनाओं को घटा सकती हैं।
इन्हेलर इस्तेमाल करने के बाद, अपने मुख पर ध्यान दें
इन्हेलर का इस्तेमाल दमा उपचार के लिए होता है और हो सकता है की यह तालू में परेशानी उत्पन्न करे जिससे लाल रंग का घाव हो जाए और मुंह में अल्सर और छाले हो जाएं। इन्हेलर इस्तेमाल करने के बाद अपने मुख को पानी से जरूर धोएं। अगर आप अपने दांत ब्रश कर सकें तो और भी बढ़िया है। और नियमित रूप से इन्हेलर बदलना न भूलें।
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ज्यादा फ्लोराइड का सेवन करें
इस बात के साक्ष्य हैं की फ्लोराइड सप्लीमेंट का उपयोग करने से दमा रोगियों में दंतक्षय को बढ़ने से रोका जा सकता है। फ्लोराइड दंतवल्क को मजूबती देकर दांतों की सेहत को सुदृढ़ करता है जिससे वह दमा की दवाओं के असर से दंत क्षय व दंत क्षरण का मुकाबला करने में ज्यादा सक्षम हो जाता है।
दंत क्षरण से मुकाबला
दमा की दवाएं मरीज को दंत क्षरण के दायरे में ले आती हैं। दवाओं की वजह से अम्ल के खिलाफ लार जो सुरक्षा देती है उसमें कमी आ जाती है। दमा रोगी उन लोगों में शामिल होते हैं जिन्हें दंत क्षरण का उच्च जोखिम होता है। दंत क्षरण से लड़ने के लिए मरीजों को इन्हेलर इस्तेमाल करने के तुरंत बाद अपना मुख धो लेना चाहिए और डाॅक्टर की प्रैस्क्रिप्शन पर ऐंटासिड इस्तेमाल करना चाहिए।
मुंह से सांस लेने का उपचार
दमा के मरीजों में एक बुनियादी समस्या होती है- मुंह से सांस लेना जिससे व्यायाम प्रेरित दमा बिगड़ जाता है। ऐक्यूट अस्थमा अटैक के दौरान मुंह से सांस लेना बढ़ जाता है जिससे मुख सूख जाता है। मुंह से सांस लेना टेढ़े-मेढ़े दांतों या सघन दातों की वजह से हो सकता है। मंुह से सांस लेने की स्थिति में किसी योग्य दंत चिकित्सक से मिलें और अगर समस्या पाई जाती है तो उसके हल के लिए आॅर्थोडाॅन्टिक उपचार कराया जा सकता है।
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हाइजीन है सेहत की कुंजी
दमा मरीजों को याद रखना चाहिए की उन्हें मौखिक रोग होने का ज्यादा जोखिम है और इस प्रकार उन्हें ध्यान रखना चाहिए की हाइजीन उत्तम हो और पानी की कमी न होने पाए।
जरूरी टिप्स
दमा मरीजों को दंत रोग होने का ज्यादा जोखिम रहता है और उन्हें दमा एवं मौखिक स्वास्थ्य के बीच के संबंध की जानकारी होनी चाहिए। यह महत्वपूर्ण है की आपको जानकारी रहे और आप भावी समस्याओं से स्वयं को सुरक्षित कर सकें। और हां, इन्हेलर इस्तेमाल करने के पहले मुख को धोना न भूलें।
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