World Asthma Day 2020: अस्थमा (दमा) श्वसन तंत्र से जुड़ा ऐसा रोग है, जिसमें मरीज को सांस लेने में काफी तकलीफ होती है। बदलती जीवनशैली और बढ़ते प्रदूषण के कारण अस्थमा रोगियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।अस्थमा रोग में श्वास नलियों में सूजन आ जाती है और श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। गर्मियों में अस्थमा की समस्या और बढ़ जाती है इसलिए जरा-सी भी लापरवाही अस्थमा अटैक का कारण बन सकती है। इस बदलते मौसम में अस्थमा के लक्षणों को कैसे पहचाना जाए और कैसे खुद को इससे सुरिक्षत रखा जाए, जिसके बारे में एक्सपर्ट आपको बता रहें हैं।
अस्थमा की बीमारी किसी व्यक्ति में कब और किस कारणों से होती है?, जिसपर श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के रेस्पीरेटरी मेडिसिन के सीनियर कंसलटेंट डॉ. ज्ञानदीप मंगल ने बताया कि अस्थमा की बीमारी सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों में कभी भी हो सकती है। अस्थमा रोग जनेटिक कारणों से भी हो सकता है। अगर माता-पिता में से किसी एक या दोनों को अस्थमा है तो बच्चें में इसके होने की आशंका बढ़ जाती है। इसके साथ ही वायु प्रदूषण, स्मोकिंग, धूल, धुआं, अगरबत्ती और कॉस्मेटिक जैसी सुगंधित चीजें अस्थमा रोग के मुख्य कारणों में शामिल है। इसके अलावा सिगरेट, कुछ एंटी-बायोटिक दवाएं, तनाव भी अस्थमा होने की संभावना को बढ़ा देते है।
इसे भी पढ़ेंः स्ट्रोक से एक महीने पहले ही शरीर देने लगता है ये 6 संकेत, रहें सावधान
अस्थमा के लक्षण की पहचान करें
- रोगियों में सांस फूलना
- सांस लेते समय सीटी की आवाज आना
- लम्बें समय तक खांसी आना
- सीने में दर्द की शिकायत होना
- सीने में जकड़न होना।
उन्होंने बताया, ''अस्थमा में खासतौर पर फेफड़ो की जांच की जाती है, जिसके अंतर्गत स्पायरोमेट्री, पीक फ्लो, ब्लड टेस्ट और लंग्स फक्शन टेस्ट शामिल है। इसके साथ ही अस्थमा के कुछ मरीजों के लिए मेथाकोलिन चैलेंज, नाइट्रीक ऑक्साइड, इमेजिंग टेस्ट, एलर्जी टेस्टिंग, स्प्यूटम ईयोसिनोफिल्स टेस्टों का भी इस्तेमाल किया जाता है।''
टॉप स्टोरीज़
उपचार के तरीके
वैसे तो अस्थमा को जड़ से खत्म करने का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। अस्थमा को नियंत्रित करने में दवा का नियमित सेवन जरूरी है। अस्थमा के लिए इंहेलर्स सबसे अच्छी दवा है। इंहेलर्स से दवा सीधे फेफड़ों में पहुंचती है, जिससे पीड़ित को आराम महसूस होता है। यह सीरप के मुकाबले कहीं ज्यादा फायदेमंद है।
अस्थमा से जुड़े कुछ घातक परिणाम
वैसे तो अस्थमा के रोगियों कभी भी अटैक पड़ सकता है लेकिन यदि किसी मरीज को खाने की किसी चीज से एलर्जी है तो अस्थमा का एक बड़ा अटैक पड़ने की आशंका बढ़ जाती है, जिसके कभी-कभी घातक परिणाम हो सकते है।
इसे भी पढ़ेंः अस्थमा को बढ़ाते हैं ये 5 कारक, जानिए कैसे करें बचाव
अस्थमा से बचाव के लिए क्या करें
- अस्थमा के मरीजों को अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
- अस्थमा के मरीजों को अपनी दवा का इस्तेमाल समय पर करना चाहिए, कभी दवा छोड़ना नहीं चाहिए।
- इसके साथ ही बहुत ज्यादा ठंडी और खट्टी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- धूल-धुंआ और धूम्रपान से बचकर रहना चाहिए।
- पालतू जानवरों जैसे कुत्ता, बिल्ली के संपर्क से दूर रहें।
अस्थमा की रोकथाम के तरीकें
- अस्थमा के मरीजों को घर एंव घर के आस-पास साफ-सफाई का विशेष सावधानी रखना चाहिए।
- उन्हें हेल्दी भोजन का सेवन करना चाहिए, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो सके।
- अस्थमा के रोगियों को व्यायाम करते समय भी सावधानी रखनी चाहिए।
- अस्थमा के रोगियों को नियमित रूप से इंफ्लूएंजा का वैक्सीनेशन करना चाहिए।
Read More Articles On Other Diseases in Hindi