चाहे गरीब हो या अमीर, चाहे अनपढ़ हो या पढ़ी-लिखी... महिलाएं किसी भी वर्ग की हों घरेलू हिंसा उनके लिए कोई नई बात नहीं है। महिलाएं घरेलू हिंसा की इतनी अधिक आदी हो गई हैं कि वे अब अपने ऊपर पति, पिता या भाई द्वारा चिल्लाकर बात करने को सामान्य ढंग से लेती हैं। जबकि ये भी एक तरह की मानसिक हिंसा ही है। सवाल ये है कि आखिर क्यों महिलाएं सफल होकर भी इन सारी हिंसा को चुपचाप सह लेती हैं?
इसे भी पढ़ें : शादी के कुछ सालों बाद क्यों एक जैसे लगने लगते हैं पति-पत्नी!
पहले अच्छी बातें...
आज महिलाएं घर से बाहर निकल रही हैं। नौकरी कर रही हैं। इस साल के शुरुआत में आए सर्वेक्षण के अनुसार 15 से 49 वर्ष की महिलाओं के बीच में साक्षरता दर बढ़ी है। सिक्किम में 86, हरियाणा में 75.4, गोवा में 89 फीसदी और मध्यप्रदेश में 59.4 फीसदी महिला साक्षरता दर रिकॉर्ड की गई है। आज महिलाएं अपने स्वास्थ्य को लेकर भी सचेत हुई हैं और बच्चे पैदा करने का अधिकार अपने पास रख रही हैं। लेकिन इन सारे आंकड़ों के बीच में कूछ आंकड़े भी हैं जो इन सारे आंकड़ों का मजाक उड़ाते हैं। जैसे-
टॉप स्टोरीज़
बुरे आंकड़े
- भारत में महिलाओं की जनसंख्या कुल आबादी का 48 फीसदी है लेकिन रोजगार करने में इनकी भागीदारी केवल 26 फीसदी की है।
- राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के रिकॉर्ड के अनुसार महिलाओं के साथ होने वाले अपराध जैसे बलात्कार, घरेलू हिंसा और दहेज हत्या में सलाना दर से 11 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
- ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक देश में हर 20 मिनट में एक महिला बलात्कार का शिकार होती है।
- न्यायपालिका और प्रशासन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व काफी कम है। 2013 के आंकड़ों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में केवल दो महिला ही न्यायधीश के पद पर थीं।
- यूएनडीपी की रिपोर्ट में भारतीय महिलाओं की स्थिति अफगानिस्तान को छोड़कर बाकी सारे दक्षिण एशियाई देशों से बदतर है।
इसे भी पढ़ें : मुंह की बीमारियों से भी होता है ब्रेस्ट कैंसर
सफल होने के बाद भी हिंसा
पहले जब महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती थीं तो तर्क दिया जाता था कि महिलाएं आर्थिक तौर पर दूसरों पर निर्भर होने के कारण हिंसा की शिकार होती हैं। लेकिन पिछले महीने महिला जज की हत्या करने की खबरें मीडिया में छाई थी। कानपुर की महिला जज प्रतिभा गौतम की हत्या उन्हीं के अधिवक्ता पति मनु अभिषेक ने की थी। दोनों पति-पत्नी के बीच गर्भपात को लेकर विवाद हुआ था। प्रतिभा के शरीर पर मिले 16 चोटों के निशान भी थे जिससे जाहिर होता है कि हत्या करने से पहले उसके साथ मारपीट भी गई है। अब ये सवाल लाजिमी हो जाता है कि जब जज होकर महिला हिंसा की शिकार हो सकती हैं तो घर में रहने वाली महिलाओं के लिए ये कौन सी बड़ी बात है।
ऐसा क्यों
- बचपन की सीख- बचपन से ही सिखाया जाता है लड़की, लड़की है और लड़का, लड़का।
- अकेलापन- शादी के बाद महिलाओं को सर्कल टूट जाता है। ना वो मां-बाप होते हैं, ना वो भाई-बहन ना वो सखी-सहेलियां। जबकि लड़कों के साथ ऐसा कुछ नहीं होता। ऐसे में जब वो शादी के बाद हिंसा की शिकार होती हैं तो पति का साथ छूटने के डर और आसपास किसी का साथ ना होने के कारण बातों को नजरअंदाज करना ही बेहतर समझती है।
- समाज में बदनामी का डर- आज भी समाज में अकेली महिला और तलाकशुदा महिला को शक की दृष्टि से देखा जाता है।
ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Image Source : Getty
Read more articles on healthy living in Hindi