
पिट्सबर्ग की रहने वाली एक महिला में दुर्लभ सिंड्रोम का पता लगा है, जिसमें यीस्ट और शुगर के फर्मंटेशन के कारण मूत्राशय में शराब बन रही है और पेशाब करते वकत शराब निकल रही है। दुनिया में इस तरह का ऐसा पहला मामला सामने आया है। 61 साल की इस महिला को डायबिटीज और लिवर सिरोसिस है। यह महिला लिवर ट्रांसप्लांट की सूची में भी शामिल है, जो किसी डोनर का इंतजार कर रही है। हालांकि इस महिला को सूची से बाहर कर दिया गया है और उसे अल्कोहल अब्यूज ट्रीटमेंट की सलाह दी गई है।
डॉक्टरों का मानना है कि उसकी समस्या शराब की लत है हालांकि मरीज का कहना है कि उसने कभी भी शराब नहीं पी है। डॉक्टर शराब के लिए कई बार महिला के पेशाब टेस्ट की जांच कर चुके हैं लेकिन सभी टेस्ट पॉजिटिव आए हैं, जिसके कारण उन्हें बहुत ज्यादा संदेह है। वहीं जब डॉक्टरों ने महिला का ब्लड टेस्ट किया तो उन्हें उसके खून में किसी प्रकार के शराब की संदिग्धता नहीं दिखी, जिसके लेकर डॉक्टर भी हैरान हैं।
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इस रहस्य पर से पर्दा उठाने के लिए पेंसिलवेनिया की यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग मेडिकल सेंटर के प्रोफेसर केनिची तमामा ने कुछ जरूरी टेस्ट किए और पाया कि महिला के पेशाब में यीस्ट जमा है। पेशाब में यीस्ट होना आमतौर पर सामान्य नहीं है। हालांकि ऐसा माना जाता है कि डायबिटीज के कारण पेशाब में शुगर की मात्रा ज्यादा पाई जाती है। इन दोनों तत्वों की सक्रियता की जांच के लिए तमामा ने महिला के पेशाब की जांच की और पाया कि यीस्ट महिला के ब्लैडर यानी की मूत्राशय में शुगर का फर्मेंटेशन कर रहा था।
डॉक्टर ने इस स्थिति को 'यूरिनरी ऑटो ब्रयूरी सिंड्रोम' नाम दिया है। इस यीस्ट की पहचान कैंडिडा ग्लैब्राटा के रूप में हुई है। यह शरीर में सामान्य रूप से पाया जाता है और ये शराब बनाने के लिए प्रयोग किए जाने से संबंधित है। ये प्रक्रिया जिससे ब्लैडर में शराब बन रही है ठीक वैसी ही है जैसी बीयर निर्माताओं द्वारा उपयोग की जाती है। इसमें यह कहना गलत नहीं होगा कि ये बहुत ही असाधारण है क्योंकि अब हम जान चुके हैं कि यही प्रक्रिया मानव शरीर में भी हो सकती है।
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डॉक्टरों के मुताबिक, कुल मिलाकर यह बात सामने आई है कि पेशाब करते वक्त शराब आना किसी प्रकार की कोई बड़ी समस्या नहीं है। तमामा के मुताबिक, यह मरीज के स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करती है। हालांकि यीस्ट को खत्म करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन वह सफल नहीं हो पाए हैं क्योंकि मरीज को डायबिटीज है।
डॉक्टरों के मुताबिक, मरीज को लिवर ट्रांसप्लांट के लिए फिर से सूची में डाला गया है लेकिन उसका इलाज कहां होगा इस बात की जानकारी अभी नहीं है। अध्ययन के निष्कर्ष एनाल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित हुए हैं।
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