
हम में से कई लोग जो अब कोरोनोवायरस लॉकडाउन के बीच घर से काम कर रहे हैं, वे घंटों तक अपने लैपटॉप के साथ बिस्तर पर बैठे रहते हैं। भले ही इससे हमें गर्दन और पीठ दर्द की शिकायत हो पर वो इसे नजरअंदाज करते हुए हम बिस्तर पर बैठकर लगातार काम करते रहते हैं। पर हाल ही में आया शोध उन सभी लोगों के लिए चिंताजनक हो सकता है, जो बिस्तर पर बैठकर घंटों ऑफिस का काम करते हैं। दरअसल शोध बताते हैं कि बिस्तर से काम करना आपके स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। हम में से ज्यादातर लोग काम करते समय अकड़ जाते हैं जो हमारी रीढ़ को प्रभावित कर सकते हैं। पर इसका नुकासान यहीं नहीं रूकता, बल्कि आगे और बढ़ता जाता है। तो आइए जानते हैं इस शोध के बारे में विस्तार से।
क्या कहता है शोध
ब्रिटिश कायरोप्रैक्टिक एसोसिएशन (British Chiropractic Association) की मानें, तो जो लोग बिस्तर पर बैठकर काम करते हैं, उनकी हड्डियां बैठने के सही आसान को भूल जाते हैं। इसी तरह ऐसे लोगों में रीढ़ की हड्डी में तेज दर्द और इसके बनावट से जुड़ी परेशानियां भी हो सकती हैं, जो कि मुद्रा को नुकसान पहुंचाती है। वहीं पीठ या गर्दन में दर्द होना इनके सबसे आम परिणामों में से एक है। शोध में बताया गया है कि जब हम अपने लैपटॉप पर काम करते हुए या किताब पढ़ते हुए बिस्तर पर बैठने हैं, तो हमारे पीठ को समर्थन नहीं मिल पाता है, जिसकी वजह से मांशपेशियों में दर्द होने लगता है। इसके अलावा जब आप काम करते समय कम झुकते हैं, जो रीढ़ के लिए बुरा है। वहीं इसके कई अन्य नुकसान भी हैं, आइए जानते हैं इनके बारे में।
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स्लिप डिस्क की समस्या
दरअसल स्लिप डिस्क की समस्या उन लोगों को होती है जो गलत ढंग से बैठकर काम करते हैं। जो लोग बिस्तर पर बैठकर काम करते हैं वो सही से बैठ नहीं पाते और उनकी रीढ़ भी सही तरीसे से एलाइन नहीं होती इसके कारण उन्हें स्लिप डिस्क की समस्या हो जाती है। डिस्क स्लिप में स्पाइनल कॉर्ड से कुछ बाहर की ओर आ जाता है। डिस्क में मौजूद कुशन जैसा हिस्सा कनेक्टिव टिश्यूज के चारों ओर से बाहर की ओर निकल आता है और आगे बढा हुआ हिस्सा स्पाइन कॉर्ड पर दबाव बनाता है। इससे स्पाइन में दर्द होने लगता है और चलने फिरने में तकलीफ होने लगती है । जिसकी वजह से पैरों में दर्द या सुन्न होने की समस्या हो जाती है।
नींद की दिक्कत
बिस्तर से काम करने से काम और नींद के बीच की सीमा धुंधली हो जाती है। मस्तिष्क एक विशेष व्यवहार के साथ किसी स्थान को कैसे जोड़ता है, ये हमारे मस्तिष्क को ही पता होता है। इसी कारण से बिस्तर पर बैठकर काम करने से आपकी नींद की गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है। मनोवैज्ञानिकों की मानें, तो जब आप बिस्तर पर बैठकर काम करते हैं, तो दिमाग के लिए काम और नींद के बीच स्विच करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में काम के वक्त आपको नींद आ सकती है और नींद के वक्त आपकी नींद आंखों से गायब हो सकती है।
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गर्दन और कंधे का दर्द
गर्दन और कंधे का दर्द बिस्तर पर बैठकर काम करने के सबसे आम असरों में से हैं। वहीं गर्दन और कंधे के दर्द वाले रोगियों में नींद की समस्याएं और बढ़ सकती हैं। दरअसल इस दौरान मांसपेशियों को आराम करने और संकुचन का नेतृत्व करने का मौका नहीं मिलता है, जिससे नींद में कठिनाई होती है।
अगर आप अपने बिस्तर से काम कर रहे हैं, तो ध्यान रखने वाली बातें :
- -अगर आपको बिस्तर पर बैठ कर ही काम करना है, तो सुनिश्चित करें कि आप सीधे बैठें और अपनी बैक को सही सपोर्ट दें।
- - इसके अलावा लैपटॉप को इतना ऊंचा रखें कि आपको अपनी गर्दन न झुकानी पड़े।
- - वहीं इस बात का खास ख्याल रखें कि जब आप बैठें, तो सिर, गर्दन और रीढ़ एक सीधी रेखा में रखें।
- -अपने पैरों को सीधा रखने की कोशिश करें या घुटनों को थोड़ा मोड़ कर रखें। लेकिन बहुत देर तक एक ही पोजीशन में न बैठें।
- - समय-समय पर उठें, पांच मिनट तक चलें और काम शुरू करने से पहले अपने शरीर को स्ट्रेच करें।
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