पूरी दुनिया में इस समय कोरोनावायस ने लोगों को घर में बंद रहने के लिए मजबूर कर दिया है। हर तरह एक चिंताजनक स्थिति है, ऐसे में ज्यादातर लोग किसी न किसी स्ट्रेस से गुजर रहे हैं। भारत में 21 दिन का लॉकडॉउन है और बहुत से लोग वर्क फ्रॉम होम है। वर्क फ्रॉम होम के दौरान लोग अपने हेल्थ को लेकर भी चिंतित है क्योंकि एक जगह रहना, काम करना, खाना-पीना और सो जाना कई लोगों अंदर ही अंदर परेशान कर रहा है। वहीं कई लोग पूरे दिन चिप्स, बिस्कुट और अन्य स्नैक आइटम को खाते हुए घर पर काम कर रहे हैं। इस तरह काम करते हुए लगातार खाना एक तरह से स्ट्रेस ईटिंग (Stress Eating) का संकेत है, जो स्वास्थ्य के लिए कई तरह से हानिकारक और जीवनशैली से जुड़ी की बीमारियों का एक कारण बन सकता है।
तनावपूर्ण भोजन करना यानी स्ट्रेस ईटिंग एक मानसिक स्थिति है, जब व्यक्ति मन ही मन टेंशन में होता है और एंग्जाइटी और स्ट्रेस को कम करने के लिए खाने का विकल्प चुनता है। वहीं कई लोग ज्यादातर अपनी नकारात्मक भावना या विचार से मुकाबला करने के लिए भी आसान तरीके के रूप में चुनते हैं। ऐसे में आप मन में चल रहे विचारों को खाने के लिए खाना खाते जाते हैं। कितना खा रहे हैं, भूख कितनी है ये सब बिना सोचे समझे लोग करते हैं। अगर यह खाने का पैटर्न सामान्य सीमा से अधिक होता है, तो यह संभावित रूप से खाने के विकारों को जन्म दे सकता है।
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स्ट्रेस ईटिंग में हम जंक फूड्स ही क्यों खाते हैं?
स्ट्रेस ईटिंग में आमतौर पर हमारे आराम करने वाले खाद्य पदार्थ, जिन्हें हम जंक फूड करते हैं वो ज्यादा शामिल होते हैं। इनमें जंक फूड, डेसर्ट और अन्य प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ शामिल हैं। इन खाद्य पदार्थों में उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जो ब्लड शुगर को बढ़ाने का काम करते हैं। जब आप इन्हें खाते हैं, तो भले ही आपको ये अच्छा लग रहा हो पर असल में ये आपके शरीर में वजन बढ़ाने और ब्लड प्रेशर को बढ़ाने का भी काम कर रहा होता है। उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला कोई भी भोजन ऐसा करता है। एकमात्र समस्या यह है कि ये खाद्य पदार्थ वास्तव में भूख पर अंकुश नहीं लगाने देते, बल्कि हमारी भूख बढ़ती ही जाती है। इसलिए, आमतौर पर आपको कुछ समय बाद ही फिर से खाने की जरूरत महसूस होती है।
स्ट्रेस ईटिंग के नुकसान
तनाव आपके चयापचय या हृदय स्वास्थ्य के संदर्भ में आपके शारीरिक स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित कर सकता है। यह आपको जीवन शैली की बीमारियों के विकास के जोखिम में भी डालता है, जिनके अपने हानिकारक प्रभाव हैं। डायबिटीज मोटापा, मूड स्विंग्स भी इसी कारण लोगों में बढ़ते जाते हैं। वहीं लगातार खाने के कारण आप आत्मअपराध की भावना से भी जूझते रहते हैं। जैसे-जैसे आप खाते जाते हैं आपको अपने इस काम पर पछतावा होता रहता है। यह भावना क्षणिक है होत है पर यह चिंता या अवसाद के जोखिम को बनाए रखता है और समय के साथ बढ़ता जाता है।
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स्ट्रेस ईटिंग से निपटने के टिप्स
- - घर पर एक सही कार्यस्थल की पहचान करें और जब आप काम कर रहे हों तो उस जगह पर खाने की चीजें न रखें। वहीं जंक फूड को खास तौर पर अपनी पहुंच से दूर रखें।
- -एक सख्त दिनचर्या का पालन करें, जिसे हम घर से काम करते समय छोड़ देते हैं।
- - अब जब आप पूरे दिन घर पर हैं, तो नियमित अंतराल पर पूर्ण स्वस्थ भोजन करें।
- - जब आप भोजन करते हैं, तो टेलीविजन या अपने फोन को देखने से बचें। मन लगाकर खाना खाएं, जो आपके द्वारा खाए जा रहे भोजन से आपका पेट भरेगा और आपको बार-बार भूख नहीं लगेगा।
- -आप अपने आराम वाले और मनपसंद खाद्य पदार्थों को खा सकते हैं लेकिन इसे संयम से खाएं।
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