पूजा-पाठ और तमाम शुभ अवसरों पर घर को महकाने के लिए आप भी अगरबत्ती और धूपबत्ती का खूब इस्तेमाल करते हैं, तो सावधान हो जाएं। अगरबत्तियों और धूपबत्तियों को जलाने से उठने वाला धु्ंआ आपकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। कई शोधों में ये पाया गया कि आपके फेफड़ों पर अगरबत्ती और धूपबत्ती में इस्तेमाल होने वाले पॉलीएरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) का असर बहुत बुरा पड़ता है। आइए आपको बताते हैं कि क्यों खतरनाक है अगरबत्ती और धूपबत्ती का प्रयोग और इससे किन रोगों का होता है खतरा।
क्यों खतरनाक है अगरबत्ती या धूपबत्ती का धुंआ
अगरबत्ती या धूपबत्ती को बनाने में कई बार घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है। बेहतर सुगंध के लिए इसमें पॉलीएरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) का इस्तेमाल किया जाता है। इसके कारण जब आप अगरबत्ती या धूपबत्ती जलाते हैं, तो आपको वातावरण सुगंधित तो लगता है मगर इसके धुंए में इस केमिकल की काफी मात्रा होती है। धुंए में मौजूद हाइड्रोकार्बन सेल मेम्ब्रेन में चिपक जाते हैं और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। शोध के मुताबिक लगातार अगरबत्ती के धुंए के सेवन से सांस लेने की क्षमता 30 प्रतिशत तक प्रभावित हो सकती है।
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खून में भी घुल जाते हैं केमिकल्स
अगरबत्ती या धूपबत्ती में प्रयोग होने वाले केमिकल्स धुंए के साथ आपके फेफड़ों में पहुंचते हैं और आपको बीमार बना सकते हैं। लंबे समय तक धुएं के संपर्क में रहने से हाइड्रोकार्बन फेफड़ों में जमता जाता है। इसे देखने पर ये तत्व फेफड़ों में चारकोल के चिपकने जैसा लगता है। ये विषाक्त रसायन फेफड़े की झिल्लियों में संक्रमण पैदा कर जीवन पर खतरा बन रहे हैं। यही नहीं धुएं में डामर की तरह पाया जाने वाले रसायन में कई भारी तत्व एवं हाइड्रोकार्बन होते हैं, जो 10 माइक्रान से छोटे होने पर सीधे रक्त में दाखिल हो सकते हैं। ऐसे में ये आपकी किडनी, लिवर और दिल को भी प्रभावित कर सकते हैं।
सांस संबंधी बीमारियों का खतरा
अगरबत्ती और धूपबत्ती में ऐसे ढेर सारे हानिकारक तत्व होते हैं, जो इंसान की सेहत के लिए बहुत खतरनाक माने जाते हैं जैसे- सल्फर डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन और फॉर्मल्डेहाईड आदि। ये केमिकल्स छोटे कणों और गैस के रूप में मौजूद होते हैं। इनके संपर्क में अधिक समय तक रहने से अस्थमा और सीओपीडी जैसी श्वसन संबंधी समस्या हो सकती है। इसके धुंए में लगातार रहने से फेफड़ों की कोशिकाओं में सूजन आ सकती है।
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नर्व्स को भी करता है प्रभावित
सुगंधित अगरबत्तियों से निकलने वाला केमिकलयुक्त धुंआ आपके नर्व्स को भी प्रभावित करता है। इसलिए लंबे समय तक प्रयोग से इसका असर आपके दिमाग पर भी पड़ता है। इसके कारण सिरदर्द और एकाग्रता की कमी की समस्या हो जाती है। कई बार लोग डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसे रोगों के भी शिकार हो जाते हैं। चूंकि बहुत छोटे कण खून में भी घुल जाते हैं इसलिए इसके कारण खून में जानलेवा गैसों की मात्रा बढ़ने से मस्तिष्क की कोशिकायें प्रभावित होती हैं जिसके कारण तंत्रिका से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
किन रोगों का होता है खतरा
अगरबत्ती या धूपबत्ती का धुंआ मुख्य रूप से आपके फेफड़ों को प्रभावित करता है। इसके कारण आपको अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मॉनरी डिजीज या सीओपीडी, फेफड़ों का कैंसर, श्वासनली का कैंसर, डिमेंशिया, अल्जाइमर, त्वचा रोग, सिरदर्द, माइग्रेन आदि की समस्या हो सकती है। छोटे कणों के खून में घुल जाने के कारण खून की अशुद्धि भी हो सकती है।
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