Why Is Cancer Of The Gallbladder So Deadly: कैंसर एक घातक बीमारी है। समय रहते अगर इस बीमारी के बारे में पता न चले, तो यह जानलेवा भी हो सकती है। अगर पित्त की थैली में कैंसर सेल्स डेवेलप होने लगे, तो इसे पित्त की थैली का कैंसर कहा जाता है। आपको बता दें कि गॉलब्लैडर (Gallbladder) यानी पित्त की थैली एक पियर शेप का ऑर्गन यानी अंग है। यह पेट में ठीक लिवर के नीचे स्थित है। भोजन पचाने में इसका बहुत ही बड़ा योगदान होता है। अगर इसमें कैंसर हो जाए, तो इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। हालांकि, पित्त की थैली का कैंसर बहुत कॉमन नहीं है। इसके बावजूद, अगर शुरुआती स्तर पर पित्त की थैली के कैंसर का पता चल जाए, तो इसका इलाज संभव है। लेकिन, यह जान लेना जरूरी है कि पित्त की थैली का कैंसर बहुत ही खतरनाक है। ऐसा क्यों है? जानिए डॉक्टर से।
पित्त की थैली का कैंसर के लक्षण- Symptoms Of Gallbladder Cancer In Hindi
- पेट के दाहिने हिस्से में दर्द होना।
- अचानक वजन का घटना।
- पेट में ब्लोटिंग महसूस होना।
- त्वचा का पीला पड़ जाना या जॉन्डिस होना।
पित्त की थैली का कैंसर खतरनाक क्यों है- How Serious Is Cancer Of The Gallbladder In Hindi
ट्रीटमेंट में देरी होनाः पित्त की थैली में कैंसर तब घातक हो जाता है, जब समय रहते इसका इलाज न किया जाए। आपको बता दें कि ज्यादातर लोगों को पित्त की थैली के कैंसर से जुड़ी जानकारी नहीं होती है। ऐसे में जब तक इस बीमारी का पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इसके अलावा, बीमारी का पता चलने पर समय-समय पर मरीज को एग्जामिन करना पड़ता है, जो कि उसके लिए कष्टकारी हो सकता है।
पित्त की थैली में पथरीः पित्त की थैली में कैंसर होने का बड़ा कारण पित्त की थैली में पथरी का होना हो सकता है। खासकर, अगर किसी को पेट में इंफेक्शन हो, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
एज फैक्टरः माना जाता है कि पुरुषों की तुलना में पित्त की थैली का कैंसर महिलाओं में ज्यादा होता है। विशेषकर 65 साल की उम्र की महिलाओं में पित्त की थैली के कैंसर के मामले ज्यादा देखे गए हैं। इस तरह, देखा जाए, तो यह अधिक उम्र की महिलाओं के लिए ज्यादा घातक है।
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सर्वाइवल रेटः अगर बात करें कि पित्त की थैली के कैंसर का पता चलने के बाद मरीज के बचने की कितनी उम्मीद होती है, तो यह आंकड़ा कुछ लोगों को डरा सकता है। दरअसल, पित्त की थैली का कैंसर किस स्टेज पर है, इसी आधार पर सर्वाइवलव रेट का पता लगाया जाता है। वैसे, सही तरह से ट्रीटमेंट हो, तो मरीज आखिरी स्टेज में भी 5 साल तक जी सकता है। हालांकि, इस दौरान उन्हें हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करने की जरूरत होती है।
जीबीसी स्टेज मेंः पित्त की थैली के कैंसर के 4 स्टेज होते हैं। इसमें स्टेज 4 सबसे खतरनाक माना जाता है। अगर किसी का पित्त की थैली का कैंसर स्टेज 4 तक पहुंच जाए, तो इसका मतलब है कि कैंसर के सेल्स पित्त की थैली के अलावा अन्य अंगों तक पहुंच गए हैं। ऐसे में सर्वाइवल रेट कम हो जाता है। अगर स्टेज 3 की बात करें, तो इसमें कैंसर सेल्स न सिर्फ पित्त की थैली को प्रभावित कर चुके हैं, बल्कि आसपास के अंगों पर भी उनका हल्का असर दिखने लगता है। जबकि स्टेज 1 और स्टेज 2 को पित्त की थैली के कैंसर को शुरुआती स्तर के रूप में समझा जाता है। इस दौरान कैंसर सेल्स सिर्फ पित्त की थैली तक ही सीमित होते हैं। इस स्टेज में पता चलने पर मरीज की जान बचाई जा सकती है और वह हेल्दी लाइफस्टाइल के जरिए खुद को फिट रख सकता है।
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