Why Do Progesterone Levels Drop In Early Pregnancy In Hindi: प्रोजेस्टेरोन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण हार्मोन में से एक है। यह प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है। अगर महिला में प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होता है, तो उनके लिए गर्भधारण करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। यही नहीं, गर्भावस्था यानी प्रेग्नेंसी में भी इस हार्मोन का अहम रोल होता है। इसे हम ‘प्रेग्नेंसी हार्मोन’ के नाम से भी जानते हैं। दरअसल, यह ओवूलेशन के बाद शुरू होता है और प्रत्यारोपण के लिए एंडोमेट्रियल लाइनिंग को तैयार करता है। अपर्याप्त प्रोजेस्टेरोन का स्तर प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है और इससे प्रेग्नेंसी पर भी बुरा असर पड़ सकता है। यहां तक कि अगर प्रोजेस्टेरोन के स्तर को मैनेज न किया जाए, तो मिसकैरेज होने का रिस्क भी बढ़ जाता है। ऐसे में यह सवाल उठ सकता है कि आखिर कुछ महिलाओं में प्रेग्नेंसी की शुरुआत में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर कम क्यों हो जाता है? जानने के लिए लेख पूरा पढ़ें।
प्रेग्नेंसी की शुरुआत में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन कम क्यों हो जाता है?- Why Do Progesterone Levels Drop In Early Pregnancy In Hindi
कई बार ऐसा होता है कि प्रेग्नेंसी टेस्ट में रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, लेकिन प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है। ऐसा होना सही नहीं है। ऐसा होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे-
केमिकल प्रेग्नेंसी- Chemical pregnancy
केमिकल प्रेग्नेंसी, उस मिसकैरेज को कहा जाता है, जो कंसीव करने के बाद कुछ ही दिनों में हो जाता है। यहां तक कि कई बार महिला को अपने कंसीव करने के बारे में पता भी नहीं चलता है और गर्भपात हो जाता है। केमिल प्रेग्नेंसी का मुख्य कारण क्रोमोसोमल एब्नॉर्मलिटीज हैं। अगर किसी महिला को केमिकल प्रेग्नेंसी है, प्रेग्नेंसी टेस्ट में पॉजिटिव आने पर प्रोजेस्टेरोन का स्तर तेजी से गिर सकता है।
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एक्टोपिक प्रेग्नेंसी- Ectopic pregnancy
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी उस अवस्था को कहते हैं कि भ्रूण यूट्रस में प्रत्योरोपित नहीं होता है। इसके बजाय, यूट्रस के बाहर विशेषकर, फेलोपियन ट्यूब में प्रेग्नेंसी ठहरती है। चूंकि, भ्रूण के विकसित होने के लिए सही माहौल उसे यूट्रस यानी गर्भाशय में ही मिल सकता है। यह अवस्था महिला के लिए जानेलवा हो सकती है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षण के तौर पर प्रोजेस्टेरोन का स्तर में कमी नोटिस की जा सकती है। आपको बता दें कि एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने पर महिला को गर्भावस्था के सभी लक्षण नजर आ सकते हैं।
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पीसीओएस- PCOS
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित महिलाओं में एस्ट्रोजेन का स्तर बढ़ सकता है और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में कमी नोटिस की जा सकती है। वहीं अगर महिला कंसीव कर ले यानी प्रेग्नेंसी की शुरुआती दिनों में महिला अपना सही तरह से ट्रीटमेंट न करवाए या लापरवाही बरते, तो उनमें प्रोजेस्टेरोन का स्तर गिर सकता है। नतीजतन, महिला का मिसकैरेज भी हो सकता है।
हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए कैसे बढ़ाएं प्रोजेस्टेरोन- Ways To Increase Progesterone For A Healthier Pregnancy In Hindi
- प्रोजेस्टेरोन के स्तर को मैनेज करने के लिए जरूरी है आप स्ट्रेस को मैनेज करें। स्ट्रेस की वजह से पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं, जो कि इनफर्टिलिटी का मुख्य कारण हो सकता है।
- हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए जरूरी है कि महिला हेल्दी और बैलेंसड डाइट ले। बैलेंस्ड डाइट की मदद से शरीर को सभी जरूरी न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं, जिससे प्रोजेस्टेरोन के स्तर को मैनेज करने में मदद मिलती है।
- हर महिला को पर्याप्त मात्रा में नींद लेनी चाहिए। नींद की कमी के कारण शरीर में हार्मोन का स्तर बिगड़ सकता है। हार्मोन के लेवल में आई कमी के कारण पीरियड्स पर बुरा असर पड़ता है। कंसीव करने के लिए यह कंडीशन सही नहीं है।
- नियमित रूप से एक्सरसाइज करना हर महिला के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इससे हार्मोन बैलेंस्ड रहते हैं और हेल्दी प्रेग्नेंसी की संभावना भी बढ़ती है।
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