प्रेग्नेंसी हर महिला के लिए बेहद ही खास समय होता है। इस दौरान उसके शरीर में कई तरह के बदलाव होना शुरु होते हैं। वहीं, दूसरी ओर महिला इमोशनली बदलावों का भी सामना करना पड़ता है। इस समय पहली बार कंसीव करने वाली महिलाओं को थोड़ी अधिक परेशानी हो सकती है। कंसीव करने के तुरंत बाद महिलाओं को कुछ जरूरी टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। जिसके बाद महिलाओं की प्रेग्नेंसी को कंफर्म किया जाता है। इसके बाद डॉक्टर महिला को कई तरह की सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं। लेकिन, पहली बार मां बनने वाली महिलाओं के मन में प्रेग्नेंसी से जुड़े कई सवाल होते हैं। इन सभी सवालों के जवाब को आप ओनली माय हेल्थ में खोज सकते हैं। इसी तरह प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं के मन में प्रश्न आता है कि बच्चे का कौन सा अंग सबसे पहले बनता होगा। इस पर हमने मुबंई के एनएच-एसआरसीसी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की स्त्री रोग विशेषज्ञ और कंसलटेंट डॉ रुजुल झावेरी से बात कि तो उन्होंने इस विषय को विस्तार से समझाया।
प्रेग्नेंसी का पहले चरण में भ्रूण का विकास
प्रेग्नेंसी में महिलाओं के मन में सबसे पहले यही सवाल आता है कि उनके बच्चे का कौन सा अंग सबसे पहले बनना शुरु करता है। दरअसल यह अत्यंत नाजुक समय होता है। इस समय भ्रूण न्यूरल ट्यूब बनती है। इसमें रीढ़ की हड्डी और ब्रेन का डेवलपमेंट होता है। इसके बाद शिशु की आंखें, मुंह, नीचे की ओर का जबड़ा और गर्दन बनाना शुरू होती है। इसके आलावा, ब्लड सेल्स बनना शुरू हो जाते हैं। साथ ही, ब्लड सर्कुलेशन भी होने लगता है। पहले महीने में भ्रूण का आकार चावल के दाने की तरह होता है। दूसरे महिने में चेहरा आकार लेना शुरू करता है। इसके बाद धीरे-धीरे कान, हाथ और पैर बनने लगते हैं। इसके आहार नलिका और हड्डियां बनना शुरू होती हैं।
9वें से 13वें सप्ताह में बच्चे का कौन सा अंग विकसित होता है?
प्रेग्नेंसी के 9वें से 13 वें सप्ताह तक शिशु के चेहरा कान, हाथ-पैर और अंगुलियां पूरी तरह से बन चुकी होती हैं। इसके बाद नाखून बनना शुरू हो जाते हैं और जेनेटल पार्ट बनने लगते हैं। तीसरे माह के अंत तक हार्ट, नसें, लिवर व यूरिनरी ट्रैक्ट काम करना शुरू कर देते हैं। तीसरे महीने के अंत तक शिशु की लम्बाई 5.4 सेंटीमीटर तक पहुंच जाती है। इस दौरान बच्चे का वजन 4 ग्राम तक पहुंच सकता है।
पांच महीने में बच्चे के दांत और हड्डियां मजबूत होने लगती हैं। इस समय तक बच्चा मां के गर्भ में सिर घुमाना, अंगूठा चूसना आदि शुरू कर देता है। 13वें व 15वें सप्ताह में शिशु के बाल आना शुरू हो जाते हैं। छठे महीने में शिशु का रंग लाल होता है, जिसमें से धमनियों को देखा जा सकता है। इसके बाद बच्चे के सुनने की क्षमता बढ़ने लगती है। आठवे माह तक बच्चा मां के गर्भ में हलचल शुरू कर देता है। नौवें माह तक बच्चा पलके झपकाने लगता है। साथ ही उसके लंग्स भी डेवलेप हो चुके होते हैं।
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प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कई तरह की समस्याओं को सामना करना पड़ता है। इस दौरान भ्रूण का आकार बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं को सिरदर्द, उल्टी आना, पेट में दर्द, ब्रेस्ट पेन, पैरों में सूजन आदि लक्षण महसूस हो सकते हैं। प्रेग्नेंस में हर महिला को अलग-अलग लक्षण महसूस हो सकते है, जो डिलीवरी के बाद अपने आप ठीक हो जाते हैं।