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गठिया के रोगियों को सर्जरी की जरूरत कब पड़ती है? डॉक्टर से जानें

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गठिया के रोगियों को सर्जरी की जरूरत कब पड़ती है? डॉक्टर से जानें

When To Consider Surgery In Arthritis: बढ़ती उम्र में लोगों को जोड़ों और घुटनों की समस्या का सामना करना पड़ता है। लेकिन, कई बार छोटी उम्र के लोगों को भी हाथ-पैरों और जोड़ों में दर्द की समस्या होती है। यह समस्या सीधे रूप से गठिया (Arthritis) की ओर संकेत करती है। गठिया एक गंभीर रोग है, जो व्यक्ति की लाइफस्टाइल को प्रभावित करती है। इस रोग में जोड़ों में अकड़न आ जाती है। साथ ही, हाथ-पैरों व जोड़ों में सूजन बनी रहती है। यह सूजन और दर्द इतना अधिक होता है कि व्यक्ति को रोजाना के काम करने में भी बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में व्यक्ति के मन में प्रश्न उठता है कि क्या इस समस्या में सर्जरी करवा सकते हैं? साथ ही, गठिया होने पर कब सर्जरी का आवश्यकता होती है? इस लेख में वेव क्योर सेंटर के सीनियर ऑर्थोपेडिक्स डॉक्टर अंकित पाठक से जानते हैं कि गठिया होने पर सर्जरी की जरूरत कब होती है?

गठिया के रोगियों को सर्जरी की जरूरत कब पड़ती है - When To Consider Surgery In Arthritis In Hindi

रोजमर्रा के काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहना

गठिया के कारण कई बार लोगों के दैनिक कार्य जैसे चलना, उठना-बैठना, सीढ़ियां चढ़ना, आदि मुश्किल से होते हैं। यदि जोड़ों का दर्द इतना गंभीर हो जाता है कि सामान्य कार्य करना भी असंभव हो जाए, तो सर्जरी पर विचार किया जा सकता है।

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दवाओं से आराम न मिलना

अर्थराइटिस के शुरुआती फेज में डॉक्टर मरीज को दर्द कम करने वाली और सूजन कम करने वाली एंटी-इफ्लेमेटरी दवाएं और पेन किलर देते हैं। अगर, रोगी के शरीर में दवाओं का असर सही तरह से नहीं होता है या किसी तरह का साइड इफेक्ट होता है तो ऐसे में दवाएं बंद करके सर्जरी की जा सकती है।

जोड़ों की बनावट खराब होना

अर्थराइटिस के लंबे समय तक जारी रहने से जोड़ों में बनावट में बदलाव आने की संभावना अधिक होती है। इस दौरान जोड़ घिस जाना या विकृत होना आम परेशानी मानी जाती है। खासकर घुटनों, कूल्हों और कंधों में ऐसे लक्षण देखे जाते हैं। ऐसे में जॉइंट रिप्लेसमेंट या जोड़ से जुड़ी अन्य सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

लाइफस्टाइल प्रभावित होना

यदि गठिया के कारण जीवन की क्वालिटी पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, तो सर्जरी एक उचित विकल्प हो सकती है। निरंतर दर्द और गतिशीलता की कमी के कारण लोगों में मानसिक तनाव और अवसाद भी उत्पन्न हो सकता है।

शारीरिक सक्रियता में कमी

फिजिकली रूप से फिट न रहने वाले लोगों पर अर्थराइटिस का बुरा असर पड़ सकता है। सर्जरी से जोड़ों की मूवमेंट में सुधार किया जा सकता है। लेकिन, रोगी को एक्टिव रहने की सलाह दी जाती है।

अर्थराइटिस में की जाने वाली सर्जरी के प्रकार - Type of Surgery in Arthritis In Hindi

  • जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी (Joint Replacement Surgery)
  • सिनोवेक्टॉमी (Synovectomy)
  • जोड़ स्थिरता सर्जरी (Arthrodesis)

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अर्थराइटिस यानी गठिया होने पर सर्जरी तब की जाती है, जब रोगी को गंभीर दर्द का सामना करना पड़ रहा हो या रोग के कारण उनके जोड़ की बनावट में बदलाव आ सकता है। इससे रोगी के रोजर्मरा के काम करने की आदतों में बदलाव आता है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह के बाद ही सर्जरी का विकल्प चुना जा सकता है।

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