माना जाता है कि बच्चे में सुनने की क्षमता मां के पेट से ही शुरू हो जाती है। इसी वजह से बहुत सी मांओं को इस समय हल्का-फुल्का म्यूजिक सुनने की सलाह दी जाती है। कई बार बच्चा इस म्यूजिक के प्रति रिएक्शन भी देता है। लेकिन जन्म के बाद पूरी तरह से सुनने की क्षमता करीब एक महीने के अंदर शुरू होती है। मदरहुड हॉस्पिटल में सीनियर पीडियाट्रिशन डॉक्टर अमित गुप्ता के अनुसार बच्चा पूरी तरह से साउंड के प्रति रिएक्शन देना तीसरे महीने से शुरू करता है। जन्म से तीसरे महीने तक बच्चे तेज ध्वनि पर प्रतिक्रिया देने लगते हैं। आपकी आवाज सुनकर मुस्कुराने लगते हैं और आपके बोलने पर शांत भी हो जाते हैं। चौथे से छठे महीने तक बच्चे ध्वनि की तरफ आंखें घुमाने लगते हैं। अलग-अलग व्यक्तियों की ध्वनि में फर्क करने लगते हैं और संगीत पर ध्यान देने लगते हैं। सातवें महीने से 1 साल के बच्चे उनके नाम पुकारने पर प्रतिक्रिया देते हैं और शब्दों में अंतर समझने लगते हैं। जैसे कि मां, पापा, दादा, दादी आदि। इनके साथ कुछ सामान्य शब्द जैसे कि नहीं, हां, इधर आओ पर प्रतिक्रिया देने लगते हैं।
कैसे जानें कि बच्चा सुन पा रहा है या नहीं
बच्चे के जन्म के बाद ऐसे बहुत से टेस्ट हैं, जिनको करने से पता चल सकता है कि बच्चा सुन पा रहा है या नहीं। अगर बच्चों के डॉक्टर को कोई डाउट होता है, तब वह कुछ टेस्ट सजेस्ट कर सकते हैं। हालांकि जो बच्चा गहरी नींद में सोता है वह डोरबेल या टेलीफोन की आवाज से नहीं जाग सकता। क्योंकि बच्चे आमतौर पर बड़ों के मुकाबले ज्यादा गहरी नींद में सोते हैं। इसको कम सुनने की क्षमता मानना गलत है।
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बच्चे की सुनने की क्षमता में चिंता की स्थिति कब होती है
- जब बच्चा तेज ध्वनि के प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है।
- जन्म के 6 महीने बाद भी बच्चे का ध्वनि के प्रति कोई प्रतिक्रिया ना देना, न ही ध्वनि के तरफ अपना सर घुमाना।
- बच्चे का आपकी तरफ केवल तभी देखना जब आप उसकी आंखों के सामने हो ना कि तब, जब आप बोल रहे हों।
लेकिन यह कारण भी पूर्ण रूप से यह साबित नहीं करते हैं कि बच्चे को सुनाई नहीं देता। क्योंकि हो सकता है कि बच्चे को कान में इंफेक्शन हो गया हो या फिर जुकाम के कारण उसका कान बंद हो गया हो। यह सभी कारण अस्थाई भी हो सकते हैं।
बच्चों की सुनने की क्षमता कब हो सकती है प्रभावित?
- जेनेटिक कारण की वजह से
- जन्म के समय मां को वायरल इन्फेक्शन होना जैसे कि हर्पीज, मीजल्स, रूबेला आदि।
- बच्चे का जन्म से पहले पैदा होना
- जन्मजात डिफेक्ट के साथ पैदा होना
- पीलिया
- एंटीरियर इन्फेक्शन आदि
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जन्म के बाद बच्चा कुछ हद तक सुनने की क्षमता और प्रतिक्रिया देने की क्षमता रखता है। लेकिन धीरे-धीरे यह क्षमता पहले से बेहतर होती जाती है। यदि माता-पिता को महसूस हो कि बच्चे की सुनने की क्षमता पूरी तरह से ठीक नहीं तो, उन्हें ऐसे में तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करना जरूरी है।
यदि आपको महसूस हो रहा है कि बच्चे को सुनाई नहीं दे रहा है तो तुरंत घबराए नहीं, बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी घरेलू उपचार बच्चे पर न आजमाएं । बच्चे को समय-समय पर डॉक्टर को दिखाते रहें और जांच करवाते रहें।
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