
Ayurvedic Treatment For Hearing Loss: बहुत बार ऐसा होता है कि टीवी का वॉल्यूम बहुत तेज होने पर भी बहुत कम सुनाई देता है। इसके अलावा कई बार जब तक कोई चिल्लाकर आपसे कोई बात न कहे आपको कुछ भी सुनाई नहीं देता। अगर आपके साथ भी ऐसा अक्सर होता है तो यह इसे गंभीरता से लेने का समय है। क्योंकि यह बेहरेपन की शुरुआत हो सकती है ये बहरेपन के आम लक्षणों में से एक है। अगर आप इस तरह के लक्षणों का अक्सर अनुभव करते हैं तो आपको अभी से इसको लेकर सावधानी बरतनी चाहिए, और बहरेपन से बचने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए। आमतौर पर बहरेपन की समस्या तब होती है जब कान के अंदर के महीन सैल्स डैमेज होने लगते हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सक और पंचकर्म स्पेशलिस्ट डॉ. अंकित की मानें तो जीवनशैली की कई आदतें आपको बेहरेपन का शिकार बना सकती हैं। लेकिन आयुर्वेद की मदद से बेहरेपन की समस्या से आसानी से राहत पाई जा सकती है। इस लेख में हम आपको बेहरेपन का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment For Hearing Loss In Hindi) बता रहे हैं।
आइए पहले जानते हैं कि बेहरेपन के कुछ आम कारण (Hearing Loss Common Causes In Hindi)
- कानों में हेड फोन्स का अधिक इस्तेमाल और बहुत तेज आवाज में म्यूजिक सुनना।
- बहुत अधिक शोर में ज्यादा समय बिताना।
- किसी ऐसी जगह काम करना जहां बहुत ज्यादा शोर होता है
- पोषक तत्वों से भरपूर आहार न लेना। आपको कानों को स्वस्थ्य रखने के लिए विटामिन बी12 का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा आपको पोटैशियम, मैग्निशियम का सेवन करना चाहिए। कानों की सेहत को अच्छा रखने के लिए आपको आयरन रिच डाइट का सेवन करना चाहिए।
- अगर आपके परिवार में किसी को बहरेपन की समस्या है तो भी आपको चेकअप करवाना चाहिए, इससे आपके बहरेपन की आशंका बढ़ जाती है।
- कई ड्रग्स ऐसे होते हैं जिनके सेवन से बहरेपन की आशंका बढ़ सकती है इसलिए डॉक्टर से सलाह लिए बगैर किसी भी दवा का सेवन न करें।
- स्ट्रेस लेवल बढ़ने से भी बहरेपन की समस्या हो सकती है। आपको रेस्टोरेटिव योग करना चाहिए, ये कानों की सेहत के लिए अच्छा माना जाता है।
- हाई बीपी के कारण इनर ईयर के सैल्स डैमेज होते हैं और उसी तरह डायबिटीज बढ़ने के कारण भी बहरेपन की समस्या हो सकती है।
- बहुत ज्यादा स्मोकिंग या अल्कोहल का सेवन बहरेपन की समस्या का कारण बन सकता है इसलिए इससे बचें।
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बहरेपन का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? (Ayurvedic Treatment For Hearing Loss In Hindi)
- कर्ण प्रतिसरणम् (Karna Pratisarnam): इस थेरेपी में कानों में 2-3 बूदं गर्म तेल डाल जाता है और धीरे-धीरे कानों की मालिश की जाती है। कानों के लोब (Ear lobes) को दबाएं, और कान के बाहरी भाग की थोड़ी देर मालिश करें।
- कर्ण पुराण (Karna Purana): यह एक ऑयल थैरेपी है जिसमें कानों के ईलाज के लिए थोड़ी ऊंचाई से खानों के भीतर तक तेल डाला जाता है।
- शांति में बैठना: मौन की अवधि में बैठने से न केवल कान बल्कि मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। आयुर्वेद ऐसी प्रथाओं का वर्णन करता है जो कान के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकती हैं।
- कर्ण धूपनम (Karna Dhoopanam):एक आयुर्वेदिक प्रक्रिया है जो कान की विभिन्न बीमारियों जैसे कान में खुजली, कान में दर्द, फंगल संक्रमण आदि के इलाज में फायदेमंद है।
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