What is Wet Bulb Temperature in Hindi: दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है। भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली, लखनऊ, राजस्थान और पंजाब की कई जगहों पर तापमान 50 डिग्री के पार जा चुका है। मैदानी इलाकों में लू और हीट वेव ने लोगों को जीना मुहाल किया हुआ है। दिल्ली में हीट वेव की वजह से 1 व्यक्ति की मौत की पुष्टि हुई है। तो वहीं, तटीय क्षेत्रों में उमस से लोग परेशान हैं। कोलकाता, मुंबई और दक्षिण भारत के राज्यों में तापमान बेशक 35 से 40 डिग्री है, लेकिन यहां पर ह्यूमिडिटी ने लोगों को परेशान किया हुआ। ह्यूमिडिटी की वजह से लोगों में सांस लेना, बेहोशी और चक्कर आने जैसी समस्या देखी जा रही है। इस स्थिति को वेट बल्ब कहते हैं। स्वास्थ्य के लिहाज से वेट बल्ब टेम्परेचर, हीट वेव और लू से भी ज्यादा खतरनाक होता है। आज इस लेख में उत्तर पूर्वी दिल्ली के जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, डॉ. पीयूष मिश्रा जानेंगे वेट बल्ब टेम्परेचर क्या है।
'वेट बल्ब टेम्परेचर' क्या होता है?- What is Wet Bulb Temperature in Hindi
किसी भी स्थान पर तापमान और आर्द्रता (ह्यूमिडिटी) का कॉम्बिनेशन क्या है, इसकी जानकारी वेट बल्ब टेम्परेचर से की जाती है। मुख्य रूप से वेट बल्ब टेम्परेचर तटीय इलाकों में मापा जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि तटीय क्षेत्रों में गर्मी कम होती है, लेकिन पानी की वजह से वहां की आद्रता ज्यादा होती है। तटीय इलाकों में समुद्र और नदी का पानी वाष्प बनकर उड़ता है, जिसकी वजह से हवा में एक नमी आ जाती है। नमी और गर्मी का यह कॉम्बिनेशन सेहत के लिहाज से ज्यादा घातक साबित होता है। डॉ. पीयूष मिश्रा के अनुसार, जब किसी क्षेत्र में गर्मी को मापा जाता है, तो सिर्फ तापमान का पता लगाया जाता है। हवा के अंदर कितनी नमी है इसको अमूमन मौसम विभाग नहीं मापता है। वहीं, वेट बल्ब टेम्परेचर में हम गर्मी के साथ ह्यूमिडिटी को भी मापते हैं। इस प्रोसेस में गीला कपड़ा लेकर थर्मामीटर बल्ब पर लपेट दिया जाता है और हवा चलाई जाती है। अब गर्म थर्मामीटर का बल्ब और ठंडा कपड़ा जो तापमान देगा उसे 'वेट बल्ब टेम्परेचर' कहा जाता है।
इसे भी पढ़ेंः जिम में वर्कआउट के दौरान कलाई में आ गया है ट्विस्ट? करीना कपूर की ट्रेनर से जानें इसे ठीक करने के टिप्स
हीट वेब से ज्यादा खतरनाक है वेट बल्ब टेंपरेचर?
डॉ. पीयूष मिश्रा के अनुसार, ज्यादा तापमान होने की वजह से शरीर से जो पसीना निकलता है, वह हवा के संपर्क में आने से सूख जाता है। लेकिन ह्यूमिडिटी के दौरान जो पसीना निकलता है, वह जल्दी सूखता नहीं है। जब पसीना लंबे समय तक शरीर पर ही रहता है, तो इसकी वजह से सोडियम और मिनरल्स की कमी हो जाती है। लंबे समय तक सोडियम और मिनरल्स की कमी होने की वजह से किडनी और हार्ट से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
इसे भी पढ़ेंः रोजाना सुबह पिएं मेथी और सौंफ वाली ये हेल्दी चाय, जानें इसकी रेसिपी और फायदे
डॉक्टर के अनुसार, वेट बल्ब टेंपरेचर में आपको ज्यादा परेशानी न हो, इसके लिए ज्यादा मात्रा में पानी पिएं। शरीर को हाइड्रेट रखने की कोशिश करें। जहां तक संभव हो दोपहर का वक्त घर के भीतर ही बिताने की कोशिश करें।
All Image Credit: Freepik.com
Read Next
चेहरे और बालों पर नजर आने वाले ये 5 लक्षण हो सकते हैं विटामिन बी12 की कमी का संकेत, न करें नजरअंदाज
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version