
जब भी हमें कभी बुखार महसूस होता है तो हम डॉक्टर के पास जाते हैं ताकि जल्द से जल्द राहत पाई जा सके। डॉक्टर हमारी जीभ के नीचे, या बगल में थर्मामीटर लगाकर हमारे शरीर का तापमान जांचता है कि हमें बुखार है या नहीं। जब हमारे शरीर का तापमान 98.6 फारेनहाइट (37 डिग्री सेल्सियस) रहता है तो उसे सामान्य कहा जाता है लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन के मुताबिक, मनुष्य के शरीर का औसत तापमान 19वीं सदी के शुरुआत में जन्में किसी भी व्यक्ति की तुलना के मुकाबले 0.59 डिग्री ठंडा हो गया है।
क्या है शरीर का नया औसत तापमान
अध्ययन के मुताबिक, वहीं महिलाओं के शरीर का औसत तापमान 18वीं सदी में जन्मीं महिलाओं के मुकाबले 0.32 डिग्री सेल्सियस हो गया है। अध्ययन में कहा गया कि महिला और पुरुष दोनों के शरीर का औसत तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से कुछ कम हो गया है। दरअसल 37 डिग्री सेल्सियस को शरीर का सामान्य तापमान माना जाता है। लेकिन इस अध्ययन में पुरुषों के शरीर का तापमान 36.62 डिग्री सेल्सियस (97.9 फारेनहाइट ) बताया गया है जबकि महिलाओं का शरीर पुरुषों के मुकाबले थोड़ा गर्म होता है। कुछ अन्य अध्ययनों में भी इसे प्रकार के नतीजे सामने आए हैं।
विशेषज्ञों ने बताया कारण
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में मेडिसिन एंड हेल्थ रिसर्च एंड पॉलिसी की प्रोफेसर और अध्ययन की लेखक डॉ. जूली पार्सोनेट का कहना है, ''हमारे शरीर का तापमान वह नहीं है, जैसा लोग सोचते हैं।'' उन्होंने कहा कि जैसा कि हम ये सुनते हुए बड़े हुए हैं कि हमारे शरीर का सामान्य तापमान 98.6 फारेनहाइट (37 डिग्री सेल्सियस) है, एकदम गलत है।
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सिविल वॉर से पहले के भी हैं आंकड़ें
शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर अमेरिका डेटा के तीन सेट का अध्ययन करने के बाद पहुंचे हैं। इन सेट में सिविल वॉर में लड़ने वाले सैनिकों से पहले के लोगों से भी जुड़े कुछ आंकड़े हैं। इस अध्ययन के निष्कर्ष इस महीने की शुरुआत में जर्नल ईलाइफ में प्रकाशित हुए थे।
हर व्यक्ति का तापमान हो सकता है अलग
टोरंटो-स्कारबोरोघ विश्वविद्यालय में बायोलॉजी के सहायक प्रोफेसर केनेथ वेल्च के मुताबिक, शरीर का तापमान लोगों के बीच अलग-अलग हो सकता है, कुछ लोग दूसरों के मुकाबले गर्म हो सकते हैं लेकिन आपके खुद के तापमान में भी अंतर हो सकता है। केनेथ भी अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं की टीम में शामिल थे।
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सर्दी में लंबे वक्त तक रह सकते है बीमार
उन्होंने कहा, ''अगर हमारे शरीर का तापमान सामान्य से बदल जाता है, तो हम बहुत ही गंभीर विषय के बारे में बात कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए फ्लू के साथ संक्रमण, या सर्दी या फिर हाइपोथर्मिया के मामले में सर्दी ठंड के महीनों में बहुत लंबे समय तक रह सकती है, जिसके कारण लोगों को एक वास्तविक समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
शरीर के तापमान को बढ़ाता है संक्रमण
उन्होंने कहा कि और तो और संक्रमण भी आपके शरीर के तापमान में थोड़ी सी वृद्धि कर सकता है, जिसके वास्तव में कोई बड़े लक्षण नहीं दिखते हैं। इसलिए शोधकर्ताओं का कहना है कि 19वीं सदी की तुलना में अब शरीर के औसत तापमान के कम होने का एक कारण यह भी हो सकता है कि लोग किसी न किसी तरह की बीमारी से कम संक्रमित हैं। संक्रमण शरीर के औसत तापमान को बढ़ा देता है।
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