अब लिवर को 12 घंटे के बजाए 7 दिनों तक जिंदा रख सकती है ये नई तकनीक, रोगियों की बचेगी जानः शोध

सर्जन, बायोलॉजिस्ट और इंजीनियर के एक समूह ने चार साल की अवधि में ऐसी तकनीक इजात की है, जो लिवर को 7 दिनों तक जिंदा रख सकती है। 
  • SHARE
  • FOLLOW
अब लिवर को 12 घंटे के बजाए 7 दिनों तक जिंदा रख सकती है ये नई तकनीक, रोगियों की बचेगी जानः शोध


आपने कई फिल्मों में ये डायलॉग तो जरूर सुना होगा कि 'साइंस ने काफी तरक्की कर ली है' लेकिन यह बात वाकई हकीकत में तब्दील हो चुकी है। क्या आपने कभी सोचा है कि मानव के शरीर से किसी अंग को निकालकर उसे एक सप्ताह तक जिंदा रखा जा सकता है? अगर नहीं तो आप हैरत में पड़ने वाले हैं। जी हां, शोधकर्ताओं ने एक ऐसी नई मशीन बनाई है, जो इंसानों के क्षतिग्रस्त लिवर को रिपेयर कर सकती है और उन्हें सप्ताहभर शरीर से बाहर जिंदा रख सकती है। शोधकर्ताओं की इस खोज से ट्रांसप्लांटेशन के लिए उपबल्ध अंगों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। 

liver

तकनीक में लोगों की जान बचाने की क्षमता

शोधकर्ताओं के मुताबिक, क्षतिग्रस्त लिवर इस नई तकनीक के समर्थन से कई दिनों तक सही तरीके से काम कर सकता है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक में लिवर रोगों और कुछ प्रकार के कैंसर से जूझ रहे मरीजों की जिंदगियों को बचाने की क्षमता है। इस शोध में स्विट्जरलैंड के ETH ज्यूरिख के शोधकर्ता भी शामिल थे।

कैसे करता है अंगों की मदद

इस उपकरण के बारे में जर्नल नेचर बायोटेक्नोलॉजी में विस्तार से बताया गया है। यह एक प्रकार का कॉम्पलेक्स परफ्यूजन सिस्टम है, जो लिवर के सभी कार्यों की नकल कर अंगों को समर्थन करता है।

इसे भी पढ़ेंः कैसे आंतों में संक्रमण बन सकता है गंभीर समस्या का कारण, शोधकर्ताओं ने जताया सेल के नष्ट होने का खतरा

4 साल में तैयार की गई तकनीक

अध्ययन के मुताबिक, सर्जन, बायोलॉजिस्ट और इंजीनियर के एक समूह द्वारा चार साल की अवधि में विकसित किए गए इस अनूठे परफ्यूजन सिस्टम की सफलता ने ट्रांसप्लांटेशन में कई नए तरीकों के लिए रास्ता तैयार किया है। ETH ज्यूरिख  के प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक पियरी-एलाविन क्लैवीन ने बताया कि इसके साथ ही इस नई तकनीक ने लिवर उपलब्ध न हो पाने के कारण कैंसर की दवाईयों के सेवन पर निर्भर मरीजों को भी एक नई राह दिखाई है।   

liver

पहले केवल 12 घंटे तक रखा जा सकता था लिवर को जिंदा

अध्ययन के मुताबिक, जब 2015 में ये प्रोजेक्ट शुरू हुआ था तब वैज्ञानिकों ने कहा था कि लिवर को केवल 12 घंटों के लिए ही मशीन में रखा जा सकता है। लेकिन इस नई तकनीक के इजात होने के बाद वे खराब अवस्था में पहुंच चुके लिवर को दुरुस्त बनाने के लिए सात दिनों तक अपने पास रख सकते हैं। इस नई तकनीक के साथ वे

  • लिवर में मौजूद पुरानी चोटों को ठीक कर सकते हैं।
  • लिवर में जमा फैट को साफ कर सकते हैं। 
  • लिवर के एक हिस्से में फिर से सुधार कर सकते हैं। 

इसे भी पढ़ेंः पुरुषों में बांझपन (इनफर्टिलिटी) दूर करने वाले ये दो सप्लीमेंट हैं पैसे की बर्बादी, इनका सेवन है बेअसर

क्या थी सबसे बड़ी चुनौती

ETH ज्यूरिख के प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक फिलिप रूडॉफ वोन रोहर का कहना है कि हमारे प्रोजेक्ट के शुरुआती चरण में सबसे बड़ी चुनौती एक आम भाषा का पता लगाने की थी, जो डॉक्टरों और इंजीनियरों के बीच संपर्क को बेहतर बना सके।

वैज्ञानिकों ने दिए प्रमाण

वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन के साथ 10 में से छह खराब अवस्था के इंसानी लिवरों को दिखाया, जिन्हें यूरोप के सभी अस्पतालों ने ट्रांसप्लांट करने से मना कर दिया था। लेकिन इस नई तकनीक के साथ उन्होंने एक सप्ताह के भीतर लिवर को फिर से काम करने के लिए तैयार किया।

Read more articles on Health News in Hindi

Read Next

इस नए इंसुलिन से डायबिटीज रोगियों को मिल सकती है इलाज में मदद, शोधकर्ताओं ने जगाई उम्‍मीद

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version