Link Between Liver Cirrhosis and Diabetes: कई बीमारियां एक दूसरे के साथ संंबंंधित होती हैं। अगर आपको एक बीमारी है, तो उसका असर दूसरी बीमारी पर पड़ सकता है या एक बीमारी, दूसरी को जन्म दे सकती है। लिवर सिरोसिस एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है जिसमें लिवर की सामान्य स्वस्थ टिशू डैमेज हो जाते हैं। इससे लिवर की कार्यक्षमता पर बुरा असर पड़ता है और लिवर डैमेज हो सकता है। जरूरत से ज्यादा शराब पीने के कारण लिवर डैमेज हो सकता है। हेपेटाइटिस बी और सी वायरस के संक्रमण के कारण लिवर को नुकसान पहुंच सकता है। मोटापा, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं भी लिवर को खराब कर सकती हैं। लिवर सिरोसिस होने पर थकान, कमजोरी, भूख में कमी, वजन कम होना, पेट में सूजन, पैरों में सूजन और खुजली आदि समस्याएं होने लगती हैं। कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि लिवर सिरोसिस और डायबिटीज में सीधा संबंध है। इस लेख में जानेंगे लिवर सिरोसिस और डायबिटीज के संबंध के बारे में। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
लिवर सिरोसिस और डायबिटीज के बीच क्या संबंध है?- Link Between Liver Cirrhosis and Diabetes
ऐसा माना जाता है कि फैटी लिवर डिजीज, टाइप 2 डायबिटीज के विकास में अहम भूमिका निभाता है। अगर टाइप 2 डायबिटीज को ठीक से मैनेज न किया जाए, तो बीमारी फैटी लिवर डिजीज में बदल सकती है। अगर आपको डायबिटीज है, तो लिवर का अल्ट्रासाउंड करवाएं। लिवर फंक्शन की मॉनिटरिंग जरूरी है। लिवर सिरोसिस में लिवर की कार्यक्षमता में बदलाव आते हैं। लिवर से ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है और इससे इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ सकता है। जिन लोगों को टाइप 2 डायबिटीज की बीमारी होती है, उनमें नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। यह लिवर सिरोसिस का कारण बन सकता है। ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने वाली दवाएं भी लिवर की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। लिवर सिरोसिस के मरीजों में हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा भी ज्यादा होता है क्योंकि लिवर ग्लूकोज का उत्पादन करने में सक्षम नहीं होता।
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लिवर सिरोसिस से बचने के उपाय- How to Prevent Liver Cirrhosis
- लिवर सिरोसिस से बचने के लिए एल्कोहल का सेवन बंद कर दें। एल्कोहल, लिवर सिरोसिस का प्रमुख लक्षण है।
- डाइट में ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन रिच फूड्स को शामिल करें।
- ऑयली, मसालेदार खाना और प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन करने से बचें।
- चीनी और नमक वाली चीजों का सेवन न करें।
- वजन को कंट्रोल करें। इससे नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।
- रोज एक्सरसाइज करें और हेल्दी डाइट का सेवन करें।
- हेपेटाइटिस बी इंजेक्शन लगवाएं और नशीली दवाओं का सेवन करने से बचें।
- समय-समय पर जांच करवाते रहें और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखें।
- फास्ट फूड या मीठी चीजों का सेवन न करें। इससे ब्लड शुगर लेवल तेजी से बढ़ सकता है।
- डॉक्टर के बताए जरूरी सुझावों और दवाओं का सेवन समय पर करें, तभी आप बीमारी के लक्षणों को कम कर पाएंगे।
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