Difference Between A Heart Attack And Heart Failure: खराब जीवनशैली हृदय रोगों जैसी गंभीर बीमारियों का कारण है। हृदय से जुड़ी बीमारियों (Cardiovascular disease) में सबसे ज्यादा मौतों का का कारण- हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर और कार्डियक अरेस्ट है। इससे खुद को बचाए रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि ये बीमारियों अब युवाओं और महिलाओं में भी बढ़ रही है। इन बीमारियों से बचने के लिए जागरूकता सबसे जरूरी है। जागरूक होकर आप एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. संतोष कुमार डोरा ने दोनों तरह की दिल की बीमारियों पर कुछ अहम सवालों के जवाब देने के दौरान कहा कि हार्ट फेल्योर और हार्ट अटैक दोनों ही दिल की ऐसी बीमारियों से संबंधित हैं, जिनके कारक तो समान हैं, मगर दोनों में काफी फर्क है। डॉक्टर डोरा ने हमारे कुछ सवालों के जवाब दिए हैं, जिन्हें आप यहां पढ़ सकते हैं:
हार्ट अटैक और हार्ट के फेल हो जाने में क्या अंतर है?
किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक तब आता है, जब हृदय की तरफ बहने वाले रक्त में व्यवधान पैदा होता है। अमूमन ऐसा धमनियां प्लाक के जमा हो जाने की वजह से होता है। हृदय तक ख़ून नहीं पहुंच पाने की ऐसी गंभीर समस्या के चलते हृदय की मांसपेशियों के बुरी तरह से क्षतिग्रस्त होने की आशंका पैदा हो जाती है। दूसरी तरफ़, हार्ट फेल्योर एक दीर्घ किस्म की बीमारी है, जो धीरे-धीरे से किसी को अपना शिकार बनाता है। हृदय की मांसपेशियां कमज़ोर पड़ जाती हैं और ऐसे में उन्हें रक्त को पम्प करने में मुश्किलें पेश आती हैं, जो कि कोशिकाओं के संवर्द्धन के लिए बेहद जरूरी होता है।
हार्ट अटैक से यह संभव है कि हार्ट के पम्प करने की क्षमता कमज़ोर हो जाए, जिससे हार्ट फेल होने की आशंका पैदा हो जाती है। कई बार ऐसा होता है कि अचानक आये हार्ट अटैक के बाद किसी व्यक्ति का हार्ट फेल हो जाता है। इसे एक्यूट हार्ट फेल्योर कहा जाता है।
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हार्ट अटैक के सामान्य लक्षण क्या हैं?
सामन्य हार्ट अटैक के दौरान सीने में दर्द, शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द होता है- आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि दर्द आपके शरीर के एक हिस्से से होकर आपके हाथों (सामान्यतः आपका बायां हाथ अधिक प्रभावित होता है, मगर इससे दोनों हाथ प्रभावित हो सकते हैं) तक पहुंच जाता है। इसके अलावा, आपके जबड़े, गले गर्दन, पीठ और पेट में दर्द, सिर में भारीपन का एहसास अथवा चक्कर आना, सांस लेने में तकलीफ, उल्टियां आना, बार-बार तनाव सा महसूस होना (कुछ पैनिक अटैक की तरह ही), खांसी अथवा छींक आना भी इसके अन्य लक्षणों में शामिल है। (इन 6 कारणों से कभी भी हो सकता है आपका हार्ट फेल, जानिए बचाव कैसे करें)
हार्ट के फेल हो जाने के सामान्य लक्षण क्या हैं?
हार्ट फेल्योर के कुछ प्रमुख लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ (खासकर लेटने की मुद्रा में), कोहनियों, पैरों और पेट में सूजन, तरल पदार्थों के सेवन से वजन का बढ़ना, सांस लेते वक्त हांफना अथवा खांसना, दिल का तेजी से या अनियमित रूप से धड़कना, थकावट, असमंजस की स्थिति पैदा होना आदि का शुमार है।
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कृपया हार्ट अटैक के इलाज के बारे में बताएं?
डॉ. संतोष कुमार डोरा कहते हैं कि, हार्ट अटैक के इलाज के लिए फौरी तौर पर इसके आकलन और फिर इलाज की ज़रूरत होती है। हार्ट अटैक के लक्षण देखे जाने के बाद अस्पताल ले जाकर मरीज का अगर एक घंटे में इलाज शुरू कर दिया जाए, तो ऐसे मरीजों के बचने की उम्मीद कहीं अधिक होती है। ऐसे में मरीज की स्थिति के आकलन के लिए उसे फ़ौरन इमरजेंसी डिपार्टमेंट/वॉर्ड अथवा आईसीयू में दाखिल कराया जाता है। हार्ट अटैक की पहचान सामान्य क्लिनिकल प्रेज़ेनटेशन अथवा इसके लक्षणों से होती है, जिसकी पुष्टि ईसीजी अथवा इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम, रक्त की जांच और 2D एकोकार्डियोग्राम से होती है।
इसके इलाज के लिए डॉक्टर अमूमन हृदय की ब्लॉक्ड धमनियों को हटाने के लिए प्राथमिक एंजियोप्लास्टी करते हैं अथवा हृदय की धमनियों को ब्लॉक करने वाले खून के थक्कों को गलाने के लिए दवाइयां देते हैं।
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कृपया हमें हार्ट फेल्योर के इलाज के बारे में जानकारी दें?
डॉ. डोरा के मुताबिक, हार्ट के फेल हो जाने संबंधी इलाज में दवाइयां का सेवन, जीवनशैली में बदलाव और सर्जरी का शुमार होता है। डॉक्टर जो दवाइयां लेने के निर्देश देते हैं, उनमें रक्तचाप को कम करने, दिल की धड़कनों को कम करने, पेशाब की मात्रा को बढ़ाने, हार्ट की पम्पिंग में सुधार लाने, दिल पर पड़ने वाले बोझ को कम करने संबंधी दवाइयों का शुमार होता है। हार्ट फ़ेल्योर संबंधी जटिलताओं से बचने के लिए जीवनशैली में बदलाव एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। धूम्रपान से दूरी बरतना, वज़न घटाना, नियमित रूप से व्यायाम करना, नमक का सेवन कम करना आदि जैसे बदलावों से स्वास्थ्य पर काफ़ी फर्क पड़ता है। (हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में क्या है अंतर)
हार्ट फेल्योर की स्थिति में और गिरावट आने के बाद एक डिवाइस लगाने की जरूरत पड़ती है, जिसके लिए सर्जरी करना आवश्यक होता है। गंभीर मामलों में हार्ट ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत पड़ सकती है।
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