हम अपने रोजमर्रा के अनुभव से ही आगे बढ़ना सीखते हैं। हमें ये सीखाया जाता है कि जिंदगी में कैसे भी मोड़ आएं हमें रुकना नहीं है, बस आगे बढ़ते जाना है। लेकिन जीवन में अचानक से कुछ ऐसी भी घटनाएं हो जाती हैं, जिनके लिए हम तैयार नहीं होते और इसी कारण उन्हीं घटनाओं की बुरी यादों को अपने दिमाग में बसा लेते हैं और अपनी गाड़ी को एक जगह पर रोक देते है। अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ हो रहा है तो सावधान हो जाएं क्योंकि ऐसा करना आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। बता दें कि इससे आपको पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसी बड़ी समस्या से सामना भी करना पड़ सकता है। आइये इस लेख के जरिये जानते हैं इसके बारे में सबकुछ...
पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण (Symptoms of Post-Traumatic Stress Disorder)
- दुर्घटना का सीन बार-बार याद आना
- अकसर दुर्घटना की बातें करना
- नींद में चौंक कर उठ जाना
- सपने में तेज-तेज रोना
- बुरे अनुभवों के बारे में ऐसे सोचना कि जैसे वे हाल ही में हुए हैं।
- भूख, प्यास न लगना और नींद कम आना।
- रोजमर्रा के कार्यों में मन न लगना
- जो लोग इस समस्या से ग्रस्त होते हैं उनके मन में ये भी आशंका रहती है कि कहीं वो दुर्घटना फिर से न हो जाए। इसलिए हर वक्त तनाव में रहते हैं।
- युद्ध या दंगों से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वालों लोगों में ये बीमारी ज्यादा पाई जाती है।
- व्यवहार में चिड़चिड़ापन
पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के कारण (Causes of Post-Traumatic Stress Disorder)
जो लोग पहले से ही एंग्जायटी डिसॉर्डर या डिप्रेशन की चपेट में होते हैं और अगर उनके जीवन में कोई अप्रिय घटना हो जाए तो वे इस समस्या का जल्दी शिकार होते हैं। इसके लिए एक शोध भी सामने आया था, जिसके मुताबिक, हमारा दिमाग हैप्पीकैंपस भावनाओं को नियंत्रित करता है। उनका आकार यदि छोटा हो तब भी ये परेशानी हो सकती है।
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पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण (Treatment of Post-Traumatic Stress Disorder)
- इसके लिए साइकोथेरेपी कारगर होती है, जिससे नींद और भूख ठीक प्रकार से काम करती है।
- इसके अलावा स्पेर्टिव टॉक थेरेपी से भी इसका इलाज किया जाता है। इस थेरेपी में मरीज से बातचीत के जरिये उसका मनोबल बढ़ाया जाता है।
- इस बीमारी के लिए कुछ खास रिलैक्सेशन एक्सरसाइज होती हैं जिससे पीड़ित को मेंटल ट्रॉमा से बाहर निकाला जा सकता है।
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कुछ जरूरी बातें
- अगर आसपास कोई व्यक्ति, जिसके जीवन कोई अप्रिय चीज घटी हो और वो खाना-पीना छोड़कर हमेशा अकेला बैठ जाता हो तो उसे तुरंत किसी काउंसलर के पास लेकर जाएं।
- ऐसी मनोदशा में पीड़ित को अकेला न छोड़े क्योंकि वो आत्महत्या के बारे में भी सोच सकता है।
- पीड़ित को किसी और काम में उलझाए रखें।
- पीड़ित के आसपास के माहौल को खुशनुमा बनाएं।
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