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ऑर्थोट्रॉपिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी क्या है? किस बीमारी में पड़ती है इसकी जरूरत

इस सर्जरी के जरिए एक व्यक्ति से अंग निकाला जाता है और दूसरे व्यक्ति में लगाया जाता है। 

Ashu Kumar Das
Written by: Ashu Kumar DasUpdated at: Feb 10, 2023 20:32 IST
 ऑर्थोट्रॉपिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी क्या है? किस बीमारी में पड़ती है इसकी जरूरत

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Kidney transplant: लाइफस्टाइल के कारण आज लोगों को किडनी से संबंधित कई तरह की बीमारियां हो रही हैं। किडनी की बीमारी वक्त के साथ बढ़ती चली जाती है और एक वक्त ऐसा आता जब किडनी अपने काम करने की क्षमता खो देती है। जब किसी व्यक्ति की दोनों किडनियां खराब हो जाती हैं तो मरीज का डायलिसिस करवाया जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि किसी व्यक्ति की दोनों किडनियां काम नहीं  करती हैं तो उसे बचाने के लिए एक खास तरह की सर्जरी की जाती है। मेडिकल की भाषा में दोनों किडनी खराब होने की स्थिति में मरीज की जान बचाने के लिए ऑर्थोटॉपिक किडनी ट्रांसप्लांट की सर्जरी करवानी पड़ती है। भारत में पहली बार किसी मरीज की ऑर्थोटॉपिक किडनी ट्रांसप्लांट की सर्जरी सक्सेसफुल हुई है।

वैशाली के मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में 43 वर्षीय रिटायर्ड पुलिस अफसर अंतिम स्टेज की किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। उनकी जान बचाने के लिए ये सर्जरी की गई। इस सर्जरी को मैक्स अस्पताल के डॉक्टर अनंत कुमार के नेतृत्व में किया गया। डॉक्टरों का कहना है कि ये केस बहुत ही चुनौतीपूर्ण था। ऐसा इसलिए क्योंकि इस केस में जो डोनर थे उनकी किडनी फेल हो गई थी और किडनी एथेरोस्क्लेरोसिस से पूरी तरह से ब्लॉक हो गई थी। इसके बाद डॉक्टरों ने उनकी ऑर्थोटॉपिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी की। इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं क्या है ऑर्थोटॉपिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी से जुड़ी सभी जानकारी।

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ऑर्थोटॉपिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी क्या है?

इस सर्जरी के जरिए एक व्यक्ति से अंग निकाला जाता है और दूसरे व्यक्ति में लगाया जाता है। इसकी जरूरत तब पड़ती है जब मरीज का वो अंग काम नहीं करता या फिर किसी चोट या बीमारी से क्षतिग्रस्त हो जाता है। सर्जरी के दौरान डोनर के शरीर से किडनी निकालकर मरीज के शरीर में ट्रांसप्लांट की जाती है।किडनी ट्रांसप्लांट कितने समय तक चलता है यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकता है। सामान्य तौर पर, एक जीवित व्यक्ति द्वारा दान की गई किडनी मृत व्यक्ति द्वारा दान की गई किडनी की तुलना में अधिक समय तक चलते हैं। औसतन, हालांकि, प्रतिरोपित गुर्दे लगभग 10 वर्षों तक जीवित रहते हैं।

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इस सर्जरी के जोखिम क्या है?

किडनी ट्रांसप्लांट के जोखिम किसी भी सर्जरी के समान ही हैं। रक्तस्राव (bleeding), संक्रमण (infection) या सांस लेने में तकलीफ (breathing problem) होने का खतरा है। आप दवाओं से कुछ साइड इफेक्ट भी अनुभव कर सकते हैं, और आप संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं क्योंकि प्रत्यारोपण के बाद आप जो दवा लेंगे वह आपके शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमता को कम करती है। 

सर्जरी के बाद क्या करें और क्या नहीं?

किडनी के लिए किए जाने वाले इस ऑपरेशन के बाद मरीज को क्या करना चाहिए और क्या नहीं इसके बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। ध्यान रहे कि किडनी ट्रांसप्लांट या किसी भी सर्जरी के बाद मरीज को डॉक्टर द्वारा दी गई दवाएं, डाइट और एक्सरसाइज ही करनी चाहिए। इसके अलावा किसी अन्य तरह का काम नहीं करना चाहिए।

 

 

 

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