
जब ब्लड में शुगर की मात्रा कम हो जाती है तो उस परिस्थिति को हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं। बता दें कि शरीर के लिए ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत शुगर ही है। इसका सीधा संबंध डायबिटीज से है लेकिन कई बार स्थिति ऐसी भी आ जाती है जब डायबिटीज ना होने पर भी लोग लो ब्लड शुगर के शिकार हो जाते हैं। बुखार आ जाना या हाइपोग्लाइसीमिया की परिस्थिति बनना स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का संकेत दे सकती है। ऐसे में आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि ब्लड शुगर कम होने के लक्षण क्या हैं? इसके कारण और बचाव भी जानेंगे? पढ़ते हैं आगे...
हाइपोग्लाइसीमिया यानि ब्लड शुगर कम होने के लक्षण
शरीर और मस्तिष्क को काम करने के लिए शुगर की जरूरत होती है यदि इसका स्तर कम हो जाए तो निम्न लक्षण नजर आने लगते हैं-
1- चुपचाप चिड़चिड़ापन महसूस होता है।
2- व्यक्ति तनाव में रहना शुरू कर देता है।
3- त्वचा पीली पड़ जाती है।
4- शरीर में थकान हो जाती है।
5- अचानक भूख लगने लगती है।
6- नींद के दौरान रोना आता है।
7- पसीना आना शुरू हो जाता है।
8- शरीर काम करना शुरू कर देता है।
जब स्थिति गंभीर हो जाती है तो निम्न लक्षण नजर आते हैं-
1- इंसान बेहोशी का शिकार हो जाता है
2- व्यक्ति को धुंधला दिखाई देने लगता है उसे देखने में परेशानी होती है
3- चेतना खत्म हो जाती है और व्यवहार में ऐसा मान्यता आ जाती है
4- व्यक्ति को दौरे पड़ने शुरू हो जाते हैं
जो व्यक्ति इस समस्या से ग्रस्त रहता है उसे देखकर लगता है कि वह हर वक्त नशे में रहते हैं और शब्दों को स्पष्ट रूप से नहीं बोल पाते हैं।
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हाइपोग्लाइसीमिया के कारण
- ब्लड में शुगर की मात्रा के कम होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि डायबिटीज के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयों के साइड इफेक्ट इस बीमारी का कारण बन सकते हैं।
- इसके अलावा यदि ब्लड में ग्लूकोस की जगह इंसुलिन लेता है तब भी शुगर का स्तर काफी कम हो जाता है और परिणाम स्वरूप व्यक्ति को हाइपोग्लाइसीमिया हो जाता है।
- कोई व्यक्ति कम आहार ग्रहण करता है या व्यायाम ज्यादा करता है तब भी शरीर में शुगर की मात्रा कम हो जाती है।
- गंभीर समस्याएं जैसे हेपेटाइटिस आदि के कारण भी हाइपोग्लाइसीमिया हो जाता है।
- कई बार ऐसा होता है जब व्यक्ति भोजन खाना छोड़ देता है तो ब्लड में शुगर की मात्रा कम हो जाती है। लेकिन कई बार खाना खाने के बाद भी इस तरह की समस्या देखी जाती है क्योंकि शरीर जल्दी से ज्यादा इंसुलिन बना लेता है।
हाइपोग्लाइसीमिया से बचाव
अगर आपको डायबिटीज है तो डॉक्टर द्वारा बनाए गए डायबिटीज के प्लान का पालन करें। अगर आप भोजन या दवाइओं में अदल बदल कर रहे हैं तो पहले डॉक्टर की सलाह लें उसके बाद ही बदलाव करें। सीजीएम, निरंतर ग्लूकोस मॉनिटर एक ऐसा उपकरण है जो पीड़ित को यह बताता है कि उसके रक्त में शुगर का स्तर कितना नीचे जा रहा है। अगर आप के शुगर में ब्लड का स्तर गिर रहा है तो अपने पास हमेशा ग्लूकोस की टेबलेट रखें। साथ ही जूस आदि चीजे रखें, जिससे आप अगर इस परिस्थिति में पहुंचे तो तुरंत इन चीजों का सेवन करें।
अगर आपको डायबिटीज नहीं है तो पूरे दिन कुछ ना कुछ खाते रहें। ऐसा करने से यह ब्लड में शुगर का स्तर सामान्य रखता है अगर लक्षण दिखें तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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हाइपोग्लाइसीमिया से होने वाले कॉम्प्लिकेशंस
मस्तिष्क को ठीक से काम करने के लिए शुगर की जरूरत पड़ती है। ऐसे में अगर आप अधिक समय तक इस समस्याओं को टालते रहेंगे तो आप अपनी चेतना को खो सकते हैं। ऐसे में इनके लक्षणों को जल्दी पहचानें वरना सीजर, बेहोशी या व्यक्तियों की संभावना हो सकती है।
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