एक्सप्लोडिंग हेड सिंड्रोम एक मानसिक विकार है। यह बहुत खतरनाक नहीं है, लेकिन यह दिमाग को पूरी तरह प्रभावित करती है। हालांकि इसके वास्तविक कारणों पर अभी भी वैज्ञानिकों में मतभेद है। जब कोई व्यक्ति एक्सप्लोडिंग हेड सिंडोम बिमारी से जूझ रहा होता है तो उसे नींद में बंदूक चलने और बिजली के कड़कड़ाने की आवाज जोरों से सुनाई देती है, इसके कारण नींद भी प्रभावित होती है। दिमाग में भयानक आवाजें गूंजती हैं। ऐसा केवल दिमाग में होता है, वास्तव में नहीं। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
इस बीमारी के कारण
विशेषज्ञों ने आमतौर पर एक्सप्लोडिंग हेड सिंड्रोम को अधिक थकान की संज्ञा दी है। हालांकि इस बीमारी के होने का अभी तक कोई ठोस कारण का पता नहीं चल पाया है और न ही इसकी कोई सही दवा ही बन पाई है। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। यह बीमारी पुरूषों की तुलना में महिलाओं में अधिक पाई जाती है। यह बीमारी 50 की उम्र के बाद ही देखी जाती है।
इसके लक्षण
एक्सप्लोडिंग हेड सिंड्रोम के लक्षण सभी में एक जैसे नहीं हो सकते हैं। अमेरिकन स्लीप एसोसिएशन के मुताबिक ऐसी स्थिति में किसी प्रकार का शारीरिक दर्द नहीं होता है। कुछ लोगों को इसमें जोर की आवाज सुनाई देती है साथ ही तेज रोशनी भी दिखाई देती है। इसके कारण हृदय की गति बढ़ जाती है और तनाव होता है। सांसे भी तेजी से आने-जाने लगती है, इससे सांसों की बीमारी के होने का खतरा भी अधिक होता है।
क्या है उपचार
इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति को अधिक चिंता होती है। इसलिए इसके उपचार के दौरान तनाव और थकान से बचने की सिफारिश की जाती है। इसके अलावा सोने से पहले स्टेस मैनेजमेंट तकनीक जैसे योगा, मेडिटेशन और हॉट बॉथ से भी इसकी संभावना को काफी हद तक कम किया जा सकता है। अगर ये तरीके कारगर न हों तो चिकित्सक से संपर्क करके उपचार करायें।
एक्सप्लोडिंग हेड सिंड्रोम से उबरने के लिए जरूरी है कि भावनात्मक रूप से मजबूत रहें, नियमित व्यायाम करें और हेल्दी आहार का सेवन करें।
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