भारत एक डायबिटीज कैपिटल बनता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मानें, तो भारत में लगभग 31.7 मिलियन लोग यहां डायबिटीज के एक उच्चतर स्तर डायबिटीज मेलिटस टाइप-2 से पीड़ित हैं। वहीं ये भी माना जा रहा है कि ये आंकड़े साल 2030 तक 79.4 मिलियन तक पहुंच सकता है। इस बीमारी के कारण लगभग आधा भारत किडनी और आंख की बीमारियों से बीमार हो रहा है। जबकि हर साल दो-तीहाई लोग डायबिटीज टाइप-1 और डायबिटीज टाइप-2 के कारण अपनी आंखों का रोशनी खो रहे हैं। डायबिटीज के कारण होने वाली इस बीमारी को 'डायबेटिक रेटिनोपैथी' कहते हैं। यानी कि वो बीमारी, जिसके कारण डायबिटीज के मरीज अपनी आंखों को हमेशा के लिए खो भी सकते हैं। इस बीमारी के बारे में जानने और इसके इलाज को समझने के लिए 'ओन्ली माई हेल्थ' ने मुंबई के जैन अस्पताल में कार्यरत एक सीनियर आई सर्जन और आंख विशेषज्ञ डॉ. अनुराग अग्रवाल,(एमबीबीएस,एमएस-नेत्र विज्ञान) से बातचीत की। पर इससे से पहले ये जान लेते हैं कि आखिरकार डायबेटिक रेटिनोपैथी (Diabetic Retinopathy)क्या है?
डायबेटिक रेटिनोपैथी (Diabetic Retinopathy)क्या है?
डायबिटीक लोगों में, हाई ब्लड शुगर के कारण आंख की छोटी रक्त वाहिकाओं (ब्लड शेल्स) की दीवारों को नुकसान पहुंचाता है और उनकी संरचना और कार्य को बदल देता है। इससे आंखों की सेल्स मोटी हो सकती हैं, लीक हो सकती हैं और इन में खून के थक्के (ब्लड कोल्ट्स) को विकसित हो सकते हैं। साथ ही ये सेल्स हमेशा के लिए बंद हो सकते हैं या गुब्बारों की तरह विकसित हो सकते हैं, जिन्हें माइक्रोन्यूरिसेस कहा जाता है। साथ ही पढ़ने जैसे कार्यों में उपयोग किए जाने वाले रेटिना के हिस्से में तरल पदार्थ जमा होता है, जिसे मैक्यूलर एडिमा भी कहा जाता है। उन्नत मामलों में, रेटिना की रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती है। फिर नाजुक ब्लड सेल्स से रक्तस्राव यानी ब्लीड़िंग होने लगती है, जिसके कारण हमारी रेटिना हमेशा के लिए खराब हो जाती हैं। वहीं नए ब्लड सेल्स आंख के भीतर तरल प्रवाह को भी रोक सकती हैं, जिससे आगे चलकर ग्लूकोमा हो सकता है।उपचार की जटिलताओं में धुंधली दृष्टि, सिरदर्द, मोतियाबिंद, अंधेरे में देखने में कठिनाई, परिधीय रंग और रंग की दृष्टि में कमी और ब्लीडिंग होना शामिल है। ज्यादातर मामलों में जब उपचार की सिफारिश की जाती है, तो वे लोग इन जोखिमों से आगे निकल जाते हैं।
डायबेटिक रेटिनोपैथी पर बातचीत करते हुए डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि ''आमतौर पर डायबिटीज दो तरीके के लोगों का ज्यादा नुकसान कर सकती है।
टॉप स्टोरीज़
- पहला- जिन लोगों को 20 साल से ज्यादा वक्त से डायबिटीज है, उनमें डायबेटिक रेटिनोपैथी की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे लोगों के लिए जरूरी है कि वे अपनी आंखों का चेक-अप लगातार करवाते रहें। हालांकि ऐसे लोगों में एक मोडरेट डायबिटीज लेवल भी रह सकता है अगर वो एक अच्छी दिनचर्या का पालन करें।
- दूसरा- 5 साल का डायबिटीज, यानी कि ऐसे मरीज, जिनको पिछले पांच सालों से डायबिटीज है और अब उनके आंखों पर इसका असर होने लगा है। ये बहुत रेयर होता है और उसी को ज्यादा होता है जो अपनी बीमारी और लाइफस्टाइल का बिलकुल भी ध्यान नहीं रखते।"
डायबिटिक रेटिनोपैथी का परीक्षण और निदान
डॉ. अनुराग अग्रवाल के अनुसार भारत में लगभग 75 से 80 प्रतिशत डायबिटीज के मरीज को रेटिनोपैथी की परेशानी हो जाती है। उन्होंने आगे बताया कि ये महत्वपूर्ण है कि, जिस किसी को भी मधुमेह है, वह नेत्र रोग विशेषज्ञ से वार्षिक नेत्र परीक्षण करवाता रहे, इससे रेटिनोपैथी का जल्द पता लगाया जा सकता है। डॉ. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि '' जब आप किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास जाते हैं, तो वह आपसे आपकी मेडिकल हिस्ट्री और विजन के बारे में सवाल करेगा और आपसे आई चार्ट पढ़ने के लिए कहेगा। तब डॉक्टर आपके नेत्र को सीधे ओपथेलमोस्कोप (ophthalmoscope)नामक एक उपकरण का उपयोग करके जांच करेगा।''
मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी के लिए उपचार में एक चिकित्सा चिकित्सक और एक नेत्र रोग विशेषज्ञ दोनों शामिल होना चाहिए। आपका मेडिकल डॉक्टर आपके ब्लड शुगर को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने में मदद कर सकता है और मधुमेह की अन्य जटिलताओं का इलाज कर सकता है। ऐसे में रेटिनोपैथी के इलाज के लिए 2 प्रकार के ट्रीटमेंट होते हैं।
लेज़र ट्रीटमेंट-
डायबिटिक रेटिनोपैथी के लिए लेज़र ट्रीटमेंट, जिसे लेज़र फोटोकोएग्युलेशन कहा जाता है। डॉ. अनुराग अग्रवाल के अनुसार से भारत में सबसे ज्यादा लोग करवाते हैं क्योंकि ये सस्ता और डायबिटिक रेटिनोपैथी के पहले स्टेज के लिए सफल इलाज होता है। इससे रेटिना लीक करने वाले सेल्स को सील कर दिया जाता है। इससे आपकी आंखों में आए सूजन में कमी आ जाती है। पर ध्यान रखने वाली बात ये है कि ये इलाज प्रारंभिक रेटिनोपैथी के लिए है। अगर किसी के रेटिनोपैथी का स्टेज ज्यादा एडवांस होता है, तो उसे वीट्रेक्टॉमी की जरूरत पड़ सकती है।
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विट्रेक्टोमी-
ऐसे में आपके नेत्र रोग विशेषज्ञ सीधे रेटिनोपैथी का इलाज लेजर या एक शल्य प्रक्रिया के साथ कर सकते हैं, जिसे विट्रेक्टोमी कहा जाता है, जिससे आगे आपके आंखों के सेल्स में परिवर्तन में रोका जा सकता है। इससे आगे चलकर आपके दृष्टि को संरक्षित किया जा सके। यदि आपका रेटिना पुरी तरह से खराब हो गया है तो डॉक्टर विट्रेक्टोमी सर्जरी की सिफारिश कर सकता है। वीट्रेक्टॉमी के दौरान, आपका डॉक्टर आंख के अंदर जेल जैसे पदार्थ को खींचता है, जिससे वह किसी भी ब्लीडिंग को साफ करता है। हालाँकि ये दोनों उपचार बहुत प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन उपचार के लिए आपकी अपेक्षाएँ यथार्थवादी होनी चाहिए। आमतौर पर लेजर या सर्जिकल उपचार खोई हुई दृष्टि को बहाल नहीं कर पाता है। बस ये उपचार आंखों की रोशनी के किसी भी अतिरिक्त नुकसान को रोक सकता है।
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मधुमेह रेटिनोपैथी को लेकर अपने चिकित्सको के पास जाएं अगर:
- आपको या आपके बच्चे को मधुमेह का पता चला है और आपने अपने डॉक्टर से रेटिनोपैथी और नियमित नेत्र परीक्षा की चर्चा नहीं की है।
- आपको मधुमेह है और गर्भावस्था पर विचार कर रहे हैं।
- आपको ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए अपने डॉक्टर की सिफारिशों को पूरा करने में परेशानी हो रही है।
- आपको डायबिटीज है और धीरे-धीरे आपकी आंखों की रोशनी जा रही है।