कंगना रनौट और रितिक रोशन के बीच चल रहा शीत युद्ध मीडिया पर छाया हुआ है। वैसे तो झगड़े में कई तरह के आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं। लेकिन इन सबमें एक आरोप बहुत ज्यादा प्रचार में है और वह यह कि कंगना को एक तरह की मानसिक बीमारी है। इस बात का खुलासा साइबर क्राइम तहकीकात सेल से हुआ जो ऋतिक ने पिछले दिनों कंगना और ऋतिक के बीच के कुछ ई-मेल को साइबर क्राइम को सौंपे थे। इनमें से एक मेल में कंगना ने लिखा है, कि मुझे लगता है मैं एस्परगर (asperger's syndrome) सिंड्रोम से ग्रस्त हूं। और इसको लेकर मैं बहुत ज्यादा स्ट्रेस में हूं। रितिक ने कंगना के बारे में कहा कि उनको एसपरगर सिंड्रोम (Asperger) है। आइए इस आर्टिकल के माध्यम से जानें आखिर यह कौन सा सिंड्रोम है।
क्या है एस्परगर सिंड्रोम
इस बीमारी के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी हैं कि ये है क्या? एसपरगर सिंड्रोम बहुत ही कम पाया जाने वाला सिंड्रोम है और कोई सिरियस डेवलॉपमेंट डिसऑर्डर नहीं है बल्कि आटिज्म स्पेकट्रम डिसऑर्डर का ही एक उदाहरण है। एस्परगर सिंड्रोम एक तरह का PDD (परवेसिव डेवलपमेंट डिसऑर्डर) है। इसका मरीज गुमगुम रहता हैं। दूसरे लोगों से घुलने-मिलने में उन्हें परेशानी होती है। अपने मन की बात दूसरों को समझाना इनके लिए मुश्किल होता है। इस सिंड्रोम में बातचीत करने में समस्या होने के साथ-साथ भाषा ज्ञान का भी सही तरह से विकास नहीं हो पाता है। एसपरगर बीमारी से ग्रस्त लोग एक ही तरह का या प्रतिबंधित तरह के आदत या व्यवहार के आदि होते है। इसके लक्षण 3 साल की उम्र से लेकर जीवनभर दिख सकते हैं।
इस बीमारी की खास बात ये है कि इसके लक्षण स्पष्ट रूप से नजर नहीं आते हैं और न ही मरीज के रूप-रंग-चलन से पता चलता है। इस बीमारी में सबसे ज्यादा परेशानी की बात ये होती है कि इसके कारण सोशल इंटरेक्शन, बात-चीत और कल्पना में असुविधा होती है। एसपरगर ऑटिज्म डिसऑर्डर है। क्योंकि इस बीमारी के लक्षण ऑटिज्म की तरह कम या ज्यादा होते रहते है। लेकिन ऐसे लोग एवरेज से ज्यादा कुशल होते हैं। वे विशेष रूप से किसी हॉबी या रूटीन को लेकर बहुत ज्याद उत्सुक रहते
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किसे होता है एस्परगर सिंड्रोम?
एस्परगर सिंड्रोम के असली कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह जेनिटिक बीमारी है। यानी परिवार में किसी को यह समस्या होने पर उसके आगे की पीढ़ी में इसका खतरा बढ़ जाता है।
एस्परगर सिंड्रोम के लक्षण
- इसके शिकार लोगों के सीखने की क्षमता धीमी होती है और उन्हें बोलने और नई भाषाएं सीखने में देर लगती हैं।
- एस्परगर सिंड्रोम के मरीज दूसरों की आंखों में देखकर बात करने से कतराते हैं।
- एस्परगर सिंड्रोम से ग्रस्त लोग अपनी बातों या शब्दों को बार-बार दोहराते हैं।
- इससे ग्रस्त लोग काम करने का अपना अलग तरीका बनाते हैं और इसमें कोई भी बदलाव उन्हें पसंद नहीं आता है।
- एस्परगर के कई मरीज बहुत प्रतिभाशाली होते हैं। वे किसी एक क्षेत्रफल जैसे म्यूजिक, एक्टिंग जैसा कोई एक काम बहुत अच्छी तरह से कर दिखाते हैं।
- इसके मरीज एक साथ कई चीजों को एन्जॉय करते हैं। जैसे डांस करना पसंद है, तो जरूरी नहीं कि म्यूजिक या पेटिंग भी उन्हें अच्छी ही
एस्परगर सिंड्रोम का इलाज
फिलहाल इस सिंड्रोम से बचाव का कोई तरीका मौजूद नहीं हैं, लेकिन स्पेशल शिक्षा, सोशल स्किल थेरेपी, स्पीच थेरेपी, बिहेवियर मॉडिफिकेशन ट्रेनिंग और दवाइयों के जरिये इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
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