बीते कुछ वर्षों में डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव के चलते लोगों को कई तरह के रोगों का जोखिम बढ़ा है। ऐसे में लोगों में ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। घटती शारीरिक गतिविधियों और अनियमित खानपान की वजह से ब्लड शुगर का स्तर अनियंत्रित हो सकता है। जब भी डायबिटीज का जिक्र आता है तो ज्यादातर लोग इसे हाई या लो लेवल की स्थिति को ही जानते हैं। लेकिन, वास्तव में डायबिटीज के कई चरण होते हैं। डायबिटीज के यह चरण अलग-अलग स्थिति में हो सकते हैं। इस लेख में अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉक्टर आदित्या देशमुख से जानते हैं कि डायबिटीज के कितन चरण हो सकते हैं?
डायबिटीज के कितने चरण होते हैं? - What are the Stages Of Diabetes In Hindi
डायबिटीज में तीन स्थितियों को शामिल किया जाता है, जिसमें टाइप 1, टाइप 2 और जेस्टेशनल डायबिटीज को शामिल किया जाता है। डायबिटीज के कई चरण होते हैं, जिनको शारीरिक बदलावों के द्वारा एक दूसरे से अलग किया जाता है। आगे जानते हैं टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के अलग-अलग चरणों के बारे में।
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टाइप 1 डायबिटीज की स्टेज
एनसीबीआई के अनुसार टाइप 1 डायबिटीज के अलग-अलग स्टेज को बारे में विस्तार से बताया है। जिसमें कहा गया है कि टाइप 1 डायिटक एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें व्यक्ति का इम्यून सिस्टम पैंकियाज के बीटा सेल्स को प्रभावित करता है और उन्हें डैमेज कर सकता है।
- प्री-स्टेज - इस चरण में, जेनेटिक एनालिसिस से जीनोटाइप की पहचान करने में मदद कर सकता है। यह जीनोटाइप टाइप 1 डायबिटीज से जुड़े होते हैं।
- चरण 1 - इस चरण में ब्लड में डायबिटीज की ऑटोएंटीबॉडी मौजूद होती है, जो पैंक्रियाज में मौजूद बीटा कोशिकाओं पर क्षति पहुंचाना शुरु करती है। लेकिन, इस स्थिति में ब्लड शुगर नॉर्मल बना रहता है।
- चरण 2 - इस स्टेज में ब्लड में कम से कम दो या उससे अधिक डायबिटीज संबंधी ऑटोएंटीबॉडी मौजूद होते हैं। इस स्थिति में ग्लूकोज इंटोलरेंस और ब्लड शुगर का लेवल बढ़ सकता है।
- चरण 3 - इसमें ऑटोइम्यूनिटी के कारण बीटा कोशिकाओं को क्षति पहुंचती है। इस दौरान, कई तरह के लक्षण जैसे कि भूख या प्यास अधिक लगना, थकान, बार-बार पेशाब जाना, वजन कम होना आदि दिखाई देते हैं, जिससे टाइप 1 डायबिटीज की पहचान की जा सकती है।
टाइप 2 डायबिटीज के स्टेज
- चरण 1- इस चरण को इंसुलिन रेजिस्टेंस के रूप में पहचाना जाता है। इस स्थिति में फैट और लिवर कोशिकाएं इंसुलिन रेजिस्टेंस हो जाती है। ऐसे में इन सेल्स ग्लूकोज को कोशिकाओं में लाने में परेशानी होती है। लेकिन, इस स्थिति में पैक्रिया अधिक इंसुलिन का उत्पादन करता है, जिससे ब्लड शुगर के स्तर सामान्य रखने में मदद मिलती है।
- चरण 2 - इस स्थिति को प्रीडायबिटीज के रुप में भी जाना जाता है। इसमें कोशिकाएं इंसुलिन रेजिस्टेंस हो जाती है, इस स्थिति में एक्सट्रा इंसुलिन भी ब्लड शुगर को वापस नॉर्मल नहीं बना पाती हैं। इस स्थिति में ब्लड शुगर नॉर्मल से थोड़ा अधिक रहता है।
- चरण 3 - इसमें ब्लड शुगर का स्तर आसामान्य रूप से अधिक रहता है। इससे ही टाइप 2 डायबिटीज की पहचान होती है। इस स्थिति में इंसुलिन रेजिस्टेंस और बीटा सेल में गड़बड़ी टाइप 2 डायबिटीज में ब्लड शुगर को हाई कर सकती है।
- चरण 4- इस स्टेज में ब्लड शुगर हाई होने के कारण नसों को क्षति पहुंच सकती है। ऐसे में व्यक्ति को क्रोनिक किडनी डिजीज, कोरोनरी आर्टरी रोग, हार्ट फेलियर और स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
डायबिटीज से बचाव के उपाय - Tips To Control Diabetes In Hindi
- संतुलित आहार लें जिसमें शुगर और फैट कम मात्रा में हो, लेकिन फाइबर अधिक हो।
- रेगुलर एक्सरसाइज करें।
- मोटापे और वजन को कंट्रोल में रखें।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
- स्ट्रेस और तनाव को दूर करें।
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डायबिटीज धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी है, लेकिन यदि समय रहते इसे पहचाना जाए और उचित कदम उठाए जाएं, तो इसे रोका या नियंत्रित किया जा सकता है। डायबिटीज के हमें बीमारी को समझने में मदद करते हैं, बल्कि यह भी सिखाते हैं कि किस मोड़ पर हमें सतर्क होना चाहिए। सही लाइफस्टाइल और डाइट से आप डायबिटीज को नियंत्रित बनाए रख सकते हैं।