कोरोना वायरस और मंकीपॉक्स वायरस के बाद केरल में एक नई बीमारी ने दस्तक दी है जिसके चलते 47 साल के व्यक्ति की मौत हो गयी। केरल के त्रिशूर जिले में वेस्ट नाइल फीवर के कारण रविवार को एक व्यक्ति की मौत हो गयी है। आंकड़ों के मुताबिक केरल राज्य में बीते तीन साल के भीतर वेक्टर जनित इन्फेक्शन के कारण होने वाली यह पहली मौत है। मच्छरों के काटने से फैलने वाली यह बीमारी वेस्ट नाइल फीवर केरल में फैल रही है और इसको लेकर राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जरूरी दिशा निर्देश भी जारी किये गए हैं। वेस्ट नाइल वायरस (West Nile Virus in Hindi) को केरल में पहली बार साल 2011 में दर्ज किया गया था। जानकारी के मुताबिक वेस्ट नाइल फीवर (West Nile Fever) से होने वाली मौत के बाद केरल में अलर्ट जारी कर दिया गया है। गौरतलब हो कि वेस्ट नाइल फीवर एक वेक्टर जनित संक्रमण है जो मच्छरों के काटने से होता है। कई विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि अगर समय रहते इस बीमारी को काबू में करने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो यह बीमारी तेजी से फैल सकती है। आइए विस्तार से जानते हैं क्या है वेस्ट नाइल फीवर? इसके लक्षण, कारण, इलाज और बचाव के बारे में।
वेस्ट नाइल फीवर क्या है? (What is West Nile Fever?)
वेस्ट नाइल फीवर दरअसल एक ऐसी बीमारी है जो मच्छरों के काटने से होती है। वेस्ट नाइल वायरस से संक्रमित मच्छरों के काटने पर होने वाली बीमारी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक वेस्ट नाइल वायरस का पहला मामला साल 1937 में सामने आया था जिसके बाद 1953 में इस वायरस की पहचान मिस्र के डेल्टा रीजन के पक्षियों में की गयी थी। वेस्ट नाइल वायरस से संक्रमित मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है तो उस व्यक्ति में इसके लक्षण दिखने शुरू होते हैं। बीते 50 सालों में वेस्ट नाइल के मामले दुनियाभर के कई देशों में सामने आ चुके हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक यह बीमारी सिर्फ मच्छरों के काटने से ही नहीं बल्कि दूसरे संक्रमित पक्षियों और जानवरों से ब्लड या टिश्यू के संपर्क में आने से भी फैल सकती है। यह संक्रमण इंसानों से इंसानों में नहीं फैलता है या यूं कहें कि अब तक इस तरह का कोई मामला देखने को नहीं मिला है।
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वेस्ट नाइल फीवर के लक्षण (West Nile Fever Symptoms in Hindi)
वेस्ट नाइल फीवर से संक्रमित होने पर मरीज में कई तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। आमतौर पर शुरुआत फीवर से होती है और बीमारी बढ़ने पर इसके लक्षण गंभीर होने लगते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इस बीमारी से संक्रमित होने वाले 80 प्रतिशत मरीजों में शुरुआत में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। वेस्ट नाइल फीवर का शिकार होने पर बुखार, सिरदर्द, थकान और उल्टी आदि की समस्या हो सकती है। जब यह बीमारी गंभीर होती है तो ऐसे में मरीज को तेज बुखार और सिरदर्द की समस्या हो सकती है। वेस्ट नाइल फीवर की समस्या में दिखने वाले कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार से हैं।
- तेज बुखार और सिरदर्द।
- उल्टी और मतली।
- गर्दन में अकड़न।
- स्किन पर लाल रंग के रैशेज।
- मांसपेशियों का कमजोर होना।
- झटके लगना और बेहोश हो जाना।
- पैरालिसिस यानी लकवा मार जाना।
वेस्ट नाइल फीवर का इलाज और बचाव (West Nile Fever Treatment And Prevention in Hindi)
वेस्ट नाइल फीवर एक ऐसी बीमारी है जिसमें संक्रमण सिर्फ मच्छरों के काटने से या संक्रमित जानवरों के ब्लड या टिश्यू के संपर्क में आने से होता है। इस बीमारी के लिए कोई विशेष इलाज या वैक्सीन नहीं है। मरीज के लक्षणों के आधार पर उसका इलाज किया जाता है। इस वायरस की चपेट में आने से बचने के लिए आपको मच्छरों से बचने की सलाह दी जाती है। वेस्ट नाइल फीवर के लक्षण दिखने पर आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आसपास मच्छरों को पनपने नहीं देना चाहिए। इसके अलावा एनिमल-टू-ह्यूमन ट्रांसमिशन रोकने के लिए संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
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