वेट लॉस सर्जरी के कारण फ्रैक्चर हो सकती हैं आपकी हड्डियां, जानें वेट लॉस सर्जरी के प्रकार और खतरे

वेट लॉ़स सर्जरी करवाने से पहले कभी भी सर्जरी की विधि और उससे जुड़े खतरों के बारे में हमें अच्छे से जान लेना चाहिए।
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वेट लॉस सर्जरी के कारण फ्रैक्चर हो सकती हैं आपकी हड्डियां, जानें वेट लॉस सर्जरी के प्रकार और खतरे

'जर्नल ऑफ इंटरनल मेडिसिन' में प्रकाशित एक नए अध्ययन की मानें, तो वजन घटाने की सर्जरी से हड्डियों में फ्रैक्चर का खतरा बढ़ सकता है। अध्ययन में दो हजार से ज्यादा लोगों पर शोध किया गया, जो मोटापे से पीड़ित थे और उन्होंने इसके इलाज के लिए वेट-लॉस सर्जरी करवाई थी। इनमें से ज्यादातर लोगों को वेट-लॉस सर्जरी के बाद लगातार किसी न किसी हड्डी फ्रैक्चर आदि की समस्या का सामना करना पड़ा। वहीं कुछ लोग, जिन्होंने गैस्ट्रिक बाईपास, गैस्ट्रिक बैंडिंग, या वर्टिकल बैंडेड गैस्ट्रोप्लास्टी आदि की सर्जरी करवाई थी उनमें भी इस तरह की परेशानियां हुईं।

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क्या कहता है शोध?

शोध के परिणामों से पता चलता है कि गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी से फ्रैक्चर के दीर्घकालिक जोखिम में वृद्धि होती है। शोध में गैर-सर्जिकल मोटापे की तुलना की गई और और सर्जरी के परिणामों पर खास नजर रखा गया। स्वीडन में यूनिवर्सिटी ऑफ जिफेनबर्ग के प्रमुख लेखक सोफी अहलिन की मानें, तो अनुसंधान टीम विभिन्न बेरिएट्रिक सर्जरी प्रक्रियाओं और फ्रैक्चर जोखिम के बीच सहयोग की जांच की। शोधकर्ताओं के अनुसार, अलग-अलग उपचार समूहों के लिए 15 से 18 साल के बीच के फॉलोअर्स में गैस्ट्रिक बाईपास समूह में फ्रैक्चर के लिए उच्चतम घटना दर देखी गई थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि गैस्ट्रिक बाईपास समूह में फ्रैक्चर का जोखिम नियंत्रण समूह की तुलना में 2.58 गुना अधिक था, गैस्ट्रिक बैंडिंग समूह की तुलना में 1.99 गुना अधिक और ऊर्ध्वाधर बैंड गैस्ट्रोप्लास्ट समूह की तुलना में 2.15 गुना अधिक था।

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वेट-लॉस सर्जरी करवाते वक्त प्रक्रियाओं के चयन का रखें ख्याल

शोधकर्ताओं की मानें, तो "फ्रैक्चर का बढ़ा हुआ खतरा एक गंभीर दुष्प्रभाव है, जिसे शल्यचिकित्सा प्रक्रियाओं का चयन करते समय ध्यान में रखा जाना चाहिए और इसे गैस्ट्रिक बाईपास से गुजरने वाले रोगियों में पोस्ट-ऑपरेटिव फॉलो-अप के दौरान भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। आइए जानते हैं वेट-लॉस सर्जरी से प्रकार और उनसे जुड़े कुछ खतरों के बारे में। 

वेट-लॉस सर्जरी के प्रकार

प्रतिबंधित सर्जरी (Restrictive surgeries)

ये पेट के आकार को सिकोड़कर और पाचन को धीमा करके काम करती है। एक सामान्य पेट लगभग 3 चुटकी भोजन पकड़ सकता है। सर्जरी के बाद, पेट पहले एक औंस जितना छोटा हो सकता है, हालांकि बाद में 2 या 3 औंस तक फैल सकता है। पेट जितना छोटा होगा, आप उतना कम खा सकते हैं। जितना कम आप खाते हैं, उतना ही अधिक वजन कम होता है। एडजेस्टेबल गेस्ट्रीक बैंडिंग (Adjustable Gastric Banding) भी इसी के प्रकारों में से एक है।

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आंत की बाईपास सर्जरी  (Malabsorptive)

ये प्रतिबंधात्मक सर्जरी बदल जाती है कि आप भोजन में कैसे लेते हैं। इस कर्जरी के बाद पेट छोटा हो जाता हैं और फिर पाचन तंत्र के हिस्से को हटाते हैं या बाईपास भी करते हैं, जिससे आपके शरीर के लिए कैलोरी को अवशोषित करना कठिन हो जाता है। डॉक्टर शायद ही कभी विशुद्ध रूप से malabsorptive सर्जरी करते हैंष। जिसे आंत के बाईपास भी कहा जाता है। 

इलेक्ट्रिकल डिवाइस का इस्तेमाल (Implanting an electrical device) 

एक विद्युत उपकरण को लागू करना, तीन तकनीकों में से सबसे नया तरीका है। ये पेट और मस्तिष्क के बीच तंत्रिका संकेतों को बाधित करके वजन घटाने को बढ़ावा देता है। इससे आपको माइंड तक भूख लगने वाली बात पहुंच ही नहीं पाती और इस तरह आप खाना खाना बंद कर देते हैं।

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वेट-लॉस सर्जरी के कुछ खतरे

  • -डंपिंग सिंड्रोम, एक ऐसी स्थिति जिसके कारण मतली और चक्कर आना जैसे लक्षण हो सकते हैं
  • -लो ब्लड शुगर
  • -कुपोषण
  • -उल्टी
  • -अल्सर
  • -आंतड़ियों की रूकावट
  • -हर्निया

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