
द बीएमजी (The BMJ) में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, जिन लोगों का 25 से लेकर 47 की उम्र के बीच वजन बढ़ता है उनमें समय से पूर्व मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। हौजोंग विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि वे लोग, जो 25 से 47 साल की उम्र के बीच मोटापे का शिकार होते हैं उनमें समय पूर्व मृत्यु का खतरा किसी भी कारण से 22 फीसदी तक बढ़ जाता है। वहीं ह्रदय रोगों से होने वाली मृत्यु का खतरा भी 49 फीसदी तक बढ़ जाता है।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि 25 से 47 साल के बीच वजन बढ़ने से युवाओं में मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है। लेकिन यह तथ्य उन लोगों के लिए भी सच है, जिन्होंने इस अवधि में वजन कम किया और मोटापे से स्वस्थ वजन हासिल किया।
अध्ययन के लेखक एनपेन और उनके सहयोगियों का कहना है कि अध्ययन के निष्कर्ष सामान्य वजन बनाए रखने के महत्व पर जोर देते हैं क्योंकि व्यस्कों को समय से पूर्व मृत्यु का खतरा कम करना होगा।
व्यस्कों में मोटापा समय से पूर्व मृत्यु के बढ़ते खतरे के साथ जुड़ा हुआ है, जिसके बारे में ज्यादातर लोग पहले ही जानते हैं। इस तथ्य की जांच के लिए पैन और सहयोगियों ने व्यस्कों के वजन में बदलाव और मृत्युदर के बीच संबंधों का पता लगाने की कोशिश की।
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अध्ययन के शोधकर्ताओं ने अमेरिका के नेशनल हेल्थ एंड न्यूट्रिशन एक्जामिनेशन 1988-94 और 1999-2014 के सर्वे से प्राप्त डेटा का अध्ययन किया। यह अध्ययन लोगों के साक्षात्कार, शारीरिक जांच और खून के नमूने लिए गए। अध्ययन के निष्कर्ष 40 और उससे ज्यादा की उम्र के 36,051 लोगों से प्राप्त डेटा पर आधारित थे। अध्ययन में उनके वजन और लंबाई को भी मांपा गया। उनसे पूछा गया कि 25 साल की उम्र में उनका वजन कितना था और 10 साल बाद उनके वजन में कितना अंतर आया।
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने किसी भी कारण से हुई मृत्यु विशेषकर ह्रदय रोगों पर करीब 12.3 साल तक नजर रखी। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि इस अवधि के दौरान करीब 10,500 लोगों की मौत हुई।
अध्ययन के मुताबिक, टीम ने पाया कि वे लोग जो अपने युवा दिनों में मोटे रहे उनमें समयपूर्व मृत्यु का खतरा सबसे ज्यादा रहा जबकि अपने जवानी के दिनों में सामान्य वजन रखने वाले व्यस्कों में यह खतरा कम पाया गया। जवानी के दिनों से लेकर 40 की उम्र तक पहुंचते हुए मोटापे का शिकार लोगों में मृत्यु का खतरा ज्यादा था जबकि इस अवधि के दौरान वजन कम करने वाले लोगों में इसके बढ़ते खतरे के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया।
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इसके विपरित, जिन लोगों ने वजन कम किया या इस अवधि में मोटापे से स्वस्थ जीवनशैली की ओर लौट गए उनकी मृत्यु दर जोखिम में ऐसी कोई वृद्धि नहीं देखी गई। हालांकि जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती गई वजन बढ़ने और मृत्युदर के बीच संबंध कमजोर होता गया। और जो लोग वजन कम करते गए उनमें यह संबंध मजबूत होता चला गया।
अध्ययन के लेखकों ने बताया कि यह शोध एक अवलोकन था और इसलिए संबंध के कारणों का मजबूती से समर्थन नहीं किया जा सकता है। हालांकि अध्ययन के निष्कर्ष बड़े और राष्ट्रीय पैमाने पर लिए गए आंकड़ों से निकाला गया है। साथ ही अध्ययन जीवन के विभिन्न चरणों पर वजन में आए बदलावों का विस्तृत विश्लेषण है।
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