95% बेबी फूड्स में पाए गए जहरीले केमिकल्स और मेटल्स, दिमाग का विकास होता है बुरी तरह प्रभावित

स्टडी में पाया गया है कि बाजार में बिकने वाले ज्यादातर बेबी फूड्स, फार्मूला मिल्क, फ्रूट जूस, बिस्किट आदि में खतरनाक केमिकल्स, मेटल्स और शुगर की ज्यादा मात्रा पाई गई है। इनका असर बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर बुरा पड़ता है। एक्सपर्ट से जानें क्या है आपके नन्हे शिशु के लिए सुरक्षित आहार।
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95% बेबी फूड्स में पाए गए जहरीले केमिकल्स और मेटल्स, दिमाग का विकास होता है बुरी तरह प्रभावित


नन्हे शिशुओं के बेहतर विकास का दावा करने वाले सैकड़ों फूड आइटम्स बाजार में मौजूद हैं। बच्चों के लिए फार्मूला मिल्क, बिस्किट, जूस, सीरियल्स, प्यूरीज, पफ्स आदि के लुभावने विज्ञापन भी आप रोजाना टीवी और अखबारों में देखते होंगे। मगर ये खबर आपको चौंका सकती है कि हाल में हुए अध्ययन में पाया गया है कि बाजार में बिकने वाले 95% से ज्यादा बेबी फूड्स में हानिकारक केमिकल्स और मेटल्स पाए गए हैं, जो बच्चों के मस्तिष्क के विकास के लिए खतरनाक माने जाते हैं।

बेबी फूड्स में 4 बेहद खतरनाक धातुएं मिली

ये स्टडी यूस में बिकने वाले 168 पॉपुलर बेबी फूड्स पर की गई है। स्टडी में पाया गया कि 95% बेबी फूड्स में लेड (Lead), 73% में आर्सेनिक (Arsenic), 75% में कैडमियम (Cadmium) और 32% में मरकरी (Mercury) पाया गया है। कई फूड्स तो ऐसे भी पाए गए, जिनमें ये चारों ही खतरनाक केमिकल्स और मेटल्स मौजूद थे। इनमें से ज्यादातर प्रोडक्ट वो थे जिन्हें चावल से बनाया जाता है। इसके अलावा स्वीट पोटैटो (शकरकंद) और फ्रूट जूस (फलों के जूस) में भी ये हानिकारक तत्व असुरक्षित मात्रा में पाए गए हैं।

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शिशु के मस्तिष्क के विकास पर बुरा असर

सिद्धार्थनगर के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ. राम आशीष बताते हैं, "ये बात थोड़ी असहज करती है कि नन्हें बच्चों के लिए बनाए जाने वाले फूड्स में भी सुरक्षा मानकों पर ध्यान नहीं दिया जाता है। लेड, आर्सेनिक, कैडमियम और मरकरी, चारों ऐसे खतरनाक तत्व हैं, जो इंसानों के लिए थोड़ी मात्रा में भी सुरक्षित नहीं माने जा सकते है। फिर नवजात शिशुओं में तो किडनी, लिवर और ब्रेन का विकास जन्म के काफी समय बाद तक चलता रहता है। ऐसे में ये खतरनाक तत्व उसके पूरे शरीर के विकास के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।"

डॉ. आशीष आगे कहते हैं, "पहली बात तो ये है कि 6 माह तक शिशु को स्तनपान कराना चाहिए, न कि कोई बाहरी फूड या दूध पिलाना चाहिए। 6 माह के बाद ही शिशु को बाहर की चीजें खिलाना शुरू करना चाहिए। व्यस्त रहने के कारण ज्यादातर मां-बाप विज्ञापनों में दिखाए जाने वाले बेबी फूड्स को बच्चों के लिए हेल्दी मान लेते हैं क्योंकि इन विज्ञापनों में दिखाया जाता है कि सभी तरह के विटामिन्स और मिनरल्स शिशु को उन्हीं का प्रोडक्ट खिलाने से मिलेंगे। जबकि सच्चाई ये है कि ताजे फलों, सब्जियों, मोटे अनाजों, अंडे, मीट आदि में सभी तरह के विटामिन्स, मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट्स और प्रोटीन पाए जाते हैं, जो बच्चे के विकास के लिए पर्याप्त और सुरक्षित हैं।"

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बच्चों को क्या खिलाना है सुरक्षित

American Academy of Pediatrics के अनुसार बच्चे को 6 महीने तक सिर्फ स्तनपान कराएं। 6 माह के शिशु को थोड़े-थोड़े सॉलिड फूड्स खिलाना शुरू करें, मगर स्तनपान भी एक साल की उम्र तक जारी रखें। 9 माह की उम्र के बाद शिशु को दिन में 2-3 बार हेल्दी स्नैक्स देने चाहिए, जिसमें ताजे मुलायम फल और उबली हुई सब्जियां या इनसे बने सूप आदि शामिल करें। इसके अलावा आप 1 साल के बच्चों को ओट्स, दलिया, क्विनोआ, जौ आदि भी खिला सकते हैं। अगर कोई मजबूरी न हो, तो बच्चों को फ्रूट जूस न दें, क्योंकि इनमें शुगर की मात्रा ज्यादा होती है, जबकि फाइबर बिल्कुल कम होता है। बाजार में मिलने वाले फ्रूट जूस में कुछ तत्व बच्चों  लए खतरनाक भी हो सकते हैं।

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