
अगर आपका बच्चा दुबला-पतला और कमजोर है, तो उसका वजन बढ़ाने और हेल्दी बनाने के लिए आपको क्या करना चाहिए, बता रही हैं न्यूट्रीशनिस्ट।
माता-पिता अपने बच्चों को हर सुख देना चाहते हैं जो उन्होंने बच्चे को पहली बार देखकर सोचे होंगे। पैरेंट्स के लिये इससे बड़ी खुशी कुछ और नहीं हो सकती कि उनका बच्चा स्वस्थ और हंसता खेलता रहे। बच्चे के पैदा होने के बाद अभिभावक बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये न जाने क्या-क्या तरीके आजमाते हैं। इतनी कोशिशों के बाद भी अगर परिणाम ठीक न निकले तो निराशा ही हाथ लगती है। खान-पान से लेकर मालिश जैसे तमाम प्रयास के बाद भी कुछ बच्चों का वजन नहीं बढ़ पाता। उनकी उम्र में एक सामान्य बच्चे का वजन उनसे कई गुना ज्यादा लगता है। ये सब समझने के लिये आपका ये जानना बेहद जरूरी है की हर बच्चा दूसरे से अलग हो सकता है पर बहुत ज्यादा अंतर दिखने पर सावधान हो जायें।
बच्चे के विकास पर चर्चा करें तो 4 महीनों में बच्चे का वजन उसके जन्म के समय के वजन से 2 गुना होना चाहिये। जब तक बच्चा एक साल पूरा करेगा तो उसका वजन जन्म के समय के वजन से 3 गुना होना जरूरी है। इसके साथ ही जब बच्चा 2 साल पूरे कर लेता है तो उसका वजन, जन्म के समय वाले वजन से लगभग 4 गुना होना चाहिये। आपको अपने बच्चे पर ध्यान देने की जरूरत है। आपका बच्चा सक्रिय है या नहीं, उसकी चुस्ती और तंदुरुस्ती पर ध्यान दें। बच्चे से बात करें उसके जवाब देने का तरीका देखें। क्या वो आपकी बातों पर ध्यान नहीं दे रहा है? अगर नहीं तो ये सभी बीमारी की तरफ जाने वाले शुरूआती लक्षण हो सकते हैं। बच्चे का वजन अगर सामान्य से कम है तो इसके बहुत से कारण हो सकते हैं। वजन बढ़ाने के उपायों को करने से पहले कारण जानना जरूरी है। आपको बचपन से ही बच्चे की डाइट, सक्रियता पर पैनी नजर रखनी होगी। आज हम बात करेंगे The Nutriwise Clinic, लखनऊ की न्यूट्रिशनिस्ट नेहा सिन्हा से जो हमें बतायेंगी कि ऐसे बच्चों में आखिर क्या कमी होती है और उसे कैसे दूर किया जा सकता है।
कैसे पहचानें कि आपके बच्चे का विकास रुका है? (under weight)
सबसे पहला तरीका तो ये है कि बच्चे की लंबाई और उसके वजन पर ध्यान दें। अगर उसकी लंबाई की तुलना में उसका भार अन्य बच्चों की तुलना में बहुत कम है, तो ये चिंता की बात है। बाल रोग विशेषज्ञ जन्म से लेकर 2 वर्ष तक बच्चों की लंबाई-वजन पर निगरानी रखते हैं। 2 साल की उम्र के बाद हम बच्चे की फिटनेस का पता लगाने के लिए वजन, ऊंचाई के साथ बीएमआई (body mass index) भी देखते हैं।
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क्या है बच्चे की ग्रोथ रुकने या वजन कम रहने के संकेत?
एक्सपर्ट की मदद से आप ये समझ पायेंगे कि वर्तमान समय में बच्चे का वजन कितना कम है। घर पर इस बात पर गौर करें कि आपके बच्चे के कपड़े कैसे फिट होते हैं। अगर बच्चा हर मौसम में एक ही साइज के कपड़े पहन रहा है तो आपको विशेषज्ञ से मिलना चाहिए। नहलाते समय आप अपने बच्चे की पसलियों को देख सकते हैं। जो पसलियां चिपक जाती हैं या साफ दिखाई देती हैं वो इस बात की ओर संकेत करती हैं कि बच्चा कम वजन का हो सकता है।
क्या बच्चे का वजन न बढ़ने का कारण कोई बीमारी भी हो सकती है?
समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे अक्सर कम वजन के होते हैं। लेकिन बड़े होने के बाद पर्याप्त भोजन न करने से भी बच्चे पोषक तत्वों की कमी के कारण बढ़ नहीं पाते। कई बीमारियां भी हैं जो भूख को दबा सकती हैं या शरीर में पोषक तत्वों के इस्तेमाल को रोक सकती हैं। इसमें लंबे समय से दवाओं का लगातार सेवन भी एक कारण हो सकता है। कुछ दवाओं से अक्सर बच्चों की भूख मर जाती है और उनका वजन ठहर जाता है। दूसरा कारण है खाने की चीज से एलर्जी (food allergy)। तीसरी समस्या जो देखी जाती है वो है हार्मोनल या पाचन समस्या। पर्याप्त पोषक तत्व पेट में न जाने से कभी-कभी वजन बढ़ने से रुक जाता है।
कैसे ट्रैक करें बच्चों की फूड हैबिट्स? (food habits)
आपको आमतौर पर एक फूड रिकॉर्ड रखने के लिए कहा जाएगा जो आपके बच्चे के खाने की आदतों की जांच करता है। आहार विशेषज्ञ अन्य संभावनाओं को भी देखेंगे। आपको इस बात पर भी ध्यान देना है कि बच्चा दिन में पर्याप्त कैलोरी का सेवन कर रहा है या नहीं। खेल और अन्य गतिविधियों पर भी नजर रखी जाती है। अगर बच्चा सक्रिय नहीं लगता तो उसे उच्च कैलोरी की आवश्यकता भी हो सकती है। बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गौर करें। जिन घरों में माता-पिता के बीच अनबन रहती है वहां बच्चे अक्सर बीमार पाये जाते हैं।
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किन आदतों से बच्चों को रखना होगा दूर?
नेहा ने बताया कि अपने बच्चे को सही तरीके से वजन बढ़ाने में मदद करनी चाहिए। परिवारों को भोजन और नाश्ते का समय निर्धारित करना चाहिए ताकि बच्चे को संतुलित भोजन करने से पहले भूख लगने का समय मिले। अगर वे भोजन का इंतजार करते हैं तो इसका मतलब उन्हें पर्याप्त कैलोरी मिल रही है। बच्चे की सेहत के लिये उसे टीवी के सामने बैठाने की बजाय टेबल पर सबके साथ खाना देना चाहिये। जितना हो सके उन्हें इलेक्ट्रॉनिक गैजैट्स से दूर रखें। ये उसकी आदतों पर असर डाल सकता है। आहार विशेषज्ञ माता-पिता और परिवारों के साथ मिलकर काम करते हैं ताकि उन्हें ये समझने में मदद मिल सके कि भोजन का सेवन अपर्याप्त क्यों है और एक ऐसी योजना बनाई जाये जो परिवार के हिसाब से सही हो। नेहा ने बताया कि हम बच्चे के विकास के लिये वन ऑन वन काम करते हैं। इसमें परिवार के मुताबिक शाकाहारी या मांसाहारी आहार तय किया जाता है। कई बार धार्मिक या सांस्कृतिक मान्यताओं से भी खाने की आदत प्रभावित होती है ऐसे में हम माता-पिता की भी काउंसलिंग करते हैं।
किस तरह के आहार खिलाने से बढ़ने लगेगा बच्चे का वजन? (nutritional food)
वैश्विक माहमारी के कारण इस समय ज्यादातर लोग घरों से काम कर रहे हैं। ये सही समय है अपने बच्चे पर ध्यान देने का। अगर आप चिंतित हैं कि आपके बच्चे का वजन कम होता जा रहा है तो सबसे पहले अपने बच्चे के चिकित्सक से परामर्श करें। घर में आप उसे दूध के उत्पाद जैसे छाछ, दही (milk products) या अंडे भी दे सकते। प्रोटीन की मात्रा अच्छी करने के लिये बच्चे को सभी तरह की दाल, पीनट बटर, अखरोट बटर, बीन सूप (protein food) खिलायें। नट, बीज और एवोकाडो आपके बच्चे का वजन बढ़ाने में मदद करने के लिए स्वस्थ वसा स्रोत हैं। अनाज, सलाद, पास्ता और सब्जियों में नट और बीज जोड़ने की कोशिश करें। नाश्ते के लिए एक स्मूदी बनाएं। स्मूदी पोषक तत्वों और कैलोरी प्राप्त करने का एक आसान तरीका है। बीज, ड्राई फ्रूट्स और चॉकलेट चिप्स के साथ बने ग्रेनोला को भी पूर्ण वसा वाले दही के साथ मिलाकर दिया जा सकता है। अपने बच्चे को खाने की खरीददारी और भोजन की तैयारी में शामिल करें ताकि वो खाने में अपनी रुचि को प्रोत्साहित कर सके।
इन सभी बातों पर ध्यान देकर आप अपने बच्चे के सही विकास को समय रहते ठीक कर सकते हैं। उच्च पोषण, संतुलित आहार और आदतों से आप इस परेशानी को आसानी से हल कर पायेंगे। किसी भी मदद के लिये एक्सपर्ट या डॉक्टर से संपर्क करें।
Written by Yashaswi Mathur
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