बीते दिनों लॉकडाउन के कारण बच्चों का रुझान मोबाइल, लैपटॉप, टीवी आदि गैजेट्स पर ज्यादा रहता था। ऐसा इसलिए क्योंकि वह ऑनलाइन क्लासेस के जरिए अपना आधे से ज्यादा समय इन्हीं सब गैजेट्स पर बिता रहे थे। लेकिन लंबे समय तक इन गैजेट्स के सामने बैठने से ना केवल बच्चों की आंखें प्रभावित हुई बल्कि शरीर में दर्द, सुस्ती आदि समस्याओं का सामना भी बच्चों को करना पड़ा। वहीं अब सर्दियां शुरू हो गई हैं तो ऐसे में बच्चे फिर से आलस और थका हुआ महसूस कर रहे हैं। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि उनकी दिनचर्या में थोड़ा सा बदलाव करके वे उन्हें एक्टिव और फिट बना सकते हैं। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि घर पर रहकर बच्चों को कैसे एक्टिव बनाया जा सकता है। इसके लिए हमने जॉव्इंट केयर फिजियोथेरेपी एंड रेहाब सेंटर ग्रेटर नोएडा के डॉक्टर अंकुर नागर (Physiotherapist Dr. Ankur Naagar) से बात की है। पढ़ते हैं आगे
1 - रोप स्किपिंग करें
रोप स्किपिंग बच्चों के लिए एक अच्छा वर्क आउट विकल्प है। ऐसे में बच्चे रोप स्किपिंग को बेहद आसानी से अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना सकते हैं। माता-पिता खुद भी बच्चों के साथ रोप स्कीपिंग कर सकते हैं। मस्ती मस्ती में रोप स्किपिंग करने से ना केवल बच्चों के शरीर की मांसपेशियां मजबूत हो सकती हैं बल्कि वह खुद को ऊर्जावान भी महसूस करवा सकते हैं। ऐसे में माता-पिता बच्चों की दिनचर्या में रोप स्किपिंग को जोड़ सकते हैं।
टॉप स्टोरीज़
2 - एरोबिक्स के इस्तेमाल से
बता दें कि बच्चों के लिए एरोबिक्स एक बेहतर विकल्प है। एरोबिक्स करने से न केवल दिल को मजबूत बनाया जा सकता है बल्कि कोशिकाओं को ऑक्सीजन सरकुलेट करने में भी मदद मिल सकती है। ध्यान दें एरोबिक्स आसानी से बच्चे घर पर रहकर कर सकते हैं। जितना फायदा बच्चों को तैराकी, जोगिंग, दौड़ना, साइकिल चलाना आदि से मिल सकता है उतना ही फायदा उन्हें एरोबिक्स करने से भी मिल सकता है। ऐसे में माता-पिता बिना किसी डर के बच्चों की दिनचर्या में एरोबिक्स को जोड़ सकते हैं।
इसे भी पढ़ें- कंधे और बाजू को मजबूत बनाती है 'अल्टरनेटिंग डंबल शोल्डर प्रेस' एक्सरसाइज, जानें इसे करने का तरीका
3 - डांसिंग के इस्तेमाल से
आजकल के बच्चों को डांस करना बेहद पसंद है। ऐसे में माता-पिता डांस की मदद से इन बच्चों को एक्टिव भी रख सकते हैं। माता-पिता बच्चों के लिए डांस क्लासेज भी लगवा सकते हैं। ऐसा करने से ना केवल बच्चों के हुनर को आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा मिलेगी बल्कि वे खुद को ऊर्जावान महसूस करेंगे। इससे अलग यदि आपके बच्चे को डांस करना नहीं पसंद है तो आप नई स्किल्स के तौर पर भी बच्चों को डांस सिखा सकते हैं।
4 - कर्राटे के इस्तेमाल से
लड़का हो या लड़की आज के समय में दोनों को कर्राटे आने जरूरी हैं। ऐसे इसलिए जिससे कि वह स्वयं की रक्षा कर सकें। बचपन से ही यदि बच्चों की दिनचर्या में कर्राटे क्लासेस को जोड़ा जाए तो ऐसा करने से न केवल बच्चों की कसरत हो सकती है बल्कि बच्चे खुद को ऊर्जावान और एक्टिव महसूस रख सकते हैं। कर्राटे करने से न केवल पूरे शरीर का इस्तेमाल होता है बल्कि इससे माइंड भी शार्प होता है। माता-पिता बच्चों को कराटे सिखाने के लिए उनकी कराटे क्लास भी लगवा सकते हैं।
5 - मेडिटेशन भी जरूरी
यदि बच्चे नियमित रूप से सुबह उठकर तकरीबन 1 घंटे योगा या मेडिटेशन करें तो ऐसा करने से ना केवल उनके शरीर में ऊर्जा बनी रहती है बल्कि इससे उनका दिमाग भी तेज हो सकता है। इसके अलावा माता-पिता सही गाइडेंस के लिए बच्चों के साथ खुद भी योगा, मेडिटेशन करें। क्योंकि अगर आप बच्चों के साथ यह दोनों चीजें करेंगे तो बच्चा आपकी कॉपी करने की कोशिश करेगा और एक्सरसाइज करते वक्त आनंद भी लेगा।
इसे भी पढ़ें- 30 की उम्र के बाद घुटने होने लगे कमजोर? रोज आधा घंटा करें ये 5 एक्सरसाइज, दूर होगी घुटने की कमजोरी
बच्चों को व्यायाम करने के फायदे
1 - अगर नियमित रूप से व्यायाम करते हैं तो ऐसा करने से ओबेसिटी से बचा जा सकता है।
2 - नियमित रूप से व्यायाम करने वाले बच्चे फिट और एक्टिव रहते हैं।
3 - जो बच्चे नियमित रूप से व्यायाम करते हैं उनकी मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत होती हैं।
4 - नियमित रूप से व्यायाम करने वाली बच्चों का बीपी और कोलेस्ट्रोल दोनों ही नियंत्रित रहता है।
5 - माइंड को तेज करने में नियमित रूप से व्यायाम एक बेहतर विकल्प है।
6 - यदि बच्चों की स्मरण शक्ति कमजोर है तो माता-पिता ऊपर बताए गए व्यायामों को बच्चों की दिनचर्या में जोड़ सकते हैं।
एक्सपर्ट की राय
अगर आप घर पर रहकर बच्चों से व्यायाम करवा रही हैं या उनसे किसी नए व्यायाम को करने के लिए कह रहे हैं तो ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वह उनके पोश्चर का ध्यान रखें। इससे अलग माता-पिता उनके वर्कआउट के दौरान साथ रहें। माता-पिता चाहे तो बच्चों के साथ मिलकर भी वर्कआउट कर सकते हैं। ऐसा करने से ना केवल बचा वर्कआउट करने के लिए प्रेरित होगा बल्कि वह खुद भी एक्टिव और फिट महसूस करेगा।
नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि कुछ व्यायाम बच्चों को ना केवल एक्टिव रख सकते हैं। बल्कि उन्हें फिट भी बनाए रख सकते हैं। ऐसे में यदि बच्चे सर्दियों में आलस महसूस करते हैं या सर्दियों में उनके दिनचर्या से शारीरिक गतिविधियों की कमी हो रही है तो माता-पिता इन आसान तरीकों को बच्चों से करवा सकते हैं। लेकिन यदि आपके बच्चे को कोई शारीरिक समस्याएं हैं या इन व्यायामों को करते वक्त बच्चे को किसी भी प्रकार की दिक्कत महसूस हो रही है तो उसे जबरदस्ती इन व्यायामों को करवाने से नकारात्मक प्रभाव भी उसकी दिनचर्या पर पड़ सकता है।