सर्दी-जुकाम के साथ दिखें ये 3 लक्षण, तो हो सकता है सीओपीडी जैसा गंभीर रोग

सर्दी के मौसम में थोडी-बहुत खांसी होना आम बात है, लेकिन दवा लेने के बावजूद लंबे समय तक इसका ठीक न होना चिंता का विषय है।
  • SHARE
  • FOLLOW
सर्दी-जुकाम के साथ दिखें ये 3 लक्षण, तो हो सकता है सीओपीडी जैसा गंभीर रोग

सर्दी के मौसम में थोडी-बहुत खांसी होना आम बात है, लेकिन दवा लेने के बावजूद लंबे समय तक इसका ठीक न होना चिंता का विषय है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि यह श्वसन-तंत्र से संबंधित बीमारी सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) का भी लक्षण हो सकता है।

क्या है समस्या

सीओपीडी वास्तव में हमारे फेफडों और श्वसन-तंत्र से संबंधित समस्या है। जिसे सामान्य बोलचाल की भाषा में क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस भी कहा जाता है। हमारे शरीर में फेफडे फिल्टर की तरह काम करते हैं। दरअसल इसमें छोटे-छोटे वायु-तंत्र होते हैं, जिन्हें एसिनस कहा जाता है। जब हम सांस लेते हैं तो फेफड़े का यही हिस्सा शुद्ध ऑक्सीजन को छान कर उसे हार्ट तक पहुंचाता है। फिर वहीं से ऑक्सीजन युक्त रक्त का प्रवाह पूरे शरीर में होता है। इसके बाद बची हुई हवा को फेफडे दोबारा फिल्टर करके उसमें मौजूद नुकसानदेह तत्वों को सांस छोडने की प्रक्रिया के माध्यम से बाहर निकालते हैं। जब फेफड़े के इस कार्य में बाधा पहुंचती है तो इससे सीओपीडी की समस्या पैदा होती है।

क्या हैं इसके लक्षण

सीढियां चढने के दौरान बहुत जल्दी सांस फूलना, खांसी के साथ कफ आना, छाती में जकडन  और घरघराहट की आवाज सुनाई देना, दवाएं लेने के बावजूद हफ्तों तक खांसी ठीक न होना आदि ऐसे लक्षण हैं, जिन्हें कभी भी अनदेखा न करें।

इसे भी पढ़ें : आंतों से जुड़ी गंभीर बीमारी है क्रोंस डिजीज, ये हैं लक्षण और कारण

क्यों होता है ऐसा

ज्यादा स्मोकिंग करने वाले लोगों के फेफडों और सांस की नलियों  में नुकसानदेह केमिकल्स और गैस जमा हो जाते हैं। इससे सांस की नलिकाओं की भीतरी दीवारों में सूजन पैदा होती है। आमतौर पर सांस की ये नलिकाएं भीतर से हलकी गीली  होती हैं, लेकिन धुएं, धूल या हवा में मौजूद किसी अन्य प्रदूषण की वजह से श्वसन नलिकाओं के भीतर मौजृूद यह तरल पदार्थ सूखकर गाढा और चिपचिपा बना जाता है। कई बार यह म्यूकस सांस की नलियों की अंदरूनी दीवारों में चिपक जाता है। इससे व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है। बदलते मौसम में यह समस्या ज्यादा नजर आती है। चालीस वर्ष की उम्र के बाद लोगों में इस बीमारी की आशंका बढ जाती है क्योंकि उम्र बढने के साथ व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पडने लगती है।

क्या है इससे बचाव के उपाय

  • नियमित चेकअप  कराएं और सभी दवाएं सही समय पर लें।
  • सर्दियों में धूप निकलने के बाद मॉर्निग  वॉक  के लिए जाएं।
  • स्मोकिंग से बिलकुल दूर रहें।
  • आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक्स, दही और फ्रिज में रखी चीजों से बचने की कोशिश करें। सर्दियों में गुनगुना पानी पीएं।
  • दिन के वक्त खिडकियां खोलकर रखें, ताकि कमरे में ताजी हवा आ सके। तकियों की मदद से मरीज का सिरहाना थोडा ऊंचा रखें। इससे उसे सांस लेने में आसानी होगी।
  • ज्यादा गंभीर स्थिति होने पर डॉक्टर की सलाह पर घर पर ही नेबुलाइजर, पल्स ऑक्सीमीटर, ऑक्सीजन सिलिंडर या कंसंट्रेटर की व्यवस्था रखें। अगर पल्स ऑक्सीमीटर में ऑक्सीजन का सैचुरेशन 88 प्रतिशत से कम हो तो मरीज को ऑक्सीजन देने की जरूरत पडती है। परिवार का कोई भी सदस्य मरीज को आसानी से ऑक्सीजन दे सकता है।
  • अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो सीओपीडी  से पीडित व्यक्ति भी सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है।
  • नियमित एक्सरसाइज और संतुलित खानपान से बढते वजन को नियंत्रित रखें। मोटापे की वजह से सांस की नलियांअवरुद्ध हो जाती हैं। इससे व्यक्ति के शरीर में ऑक्सीजन  का प्रवाह कम हो जाता है। ऐसे में सीओपीडी के मरीजों की परेशानी और बढ जाती है।
  • अगर इस समस्या के साथ व्यक्ति को डायबिटीज हो तो संयमित खानपान और दवाओं के सेवन से उसे शुगर का स्तर नियंत्रित रखना चाहिए।

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read More Articles On Other Diseases In Hindi

Read Next

किडनी से जुड़े गंभीर रोगों को ठीक करता है पेरिटोनियल डायलिसिस, घर पर भी कर सकते हैं इसे

Disclaimer