क्रोन डिजीज आंतों से जुड़ी एक बीमारी है। इस बीमारी के कारण आंतों में लंबे समय के लिए सूजन आ जाती है, जिससे पाचन क्रिया प्रभावित होती है। लंबे समय तक इस बीमारी के प्रभाव में रहने से आंतों में छेद भी हो सकता है और ये जानलेवा हो सकता है। इस रोग के लक्षण पेट दर्द, डायरिया, मल के साथ खून आना और तेजी से वजन घटना आदि हैं। आमतौर पर इस बीमारी से बचाव का एक ही रास्ता है कि अपनी जीवनशैली में थोड़ा बहुत फेरबदल करें। शारीरिक व्यायाम और संतुलित आहार के द्वारा इस बीमारी को दूर रखा जा सकता है। इस रोग की वजह से आप कुपोषण के शिकार भी हो सकते हैं।
क्या है ये बीमारी
क्रोन बीमारी में आपके पाचन तंत्र में सूजन आ जाती है, जिसके कारण तेज पेट दर्द होने लगता है और शरीर को आपके द्वारा खाने में लिये गए पौष्टिक तत्व और ऊर्जा पूरी तरह नहीं मिल पाती है। कई स्थितियों में ये रोग जानलेवा होता है इसलिए इसे एक खतरनाक बीमारी माना जाता है। कुछ लोगों में इस रोग से आंतों का अंतिम छोर ही प्रभावित होता है जबकि कुछ लोगों में आंतों का बड़ा हिस्सा प्रभावित होता है। कई बार ये बीमारी इतनी गहरी हो जाती है कि मल द्वार तक पहुंच जाती है और मल त्याम में भी बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी का कोई कारण अब तक नहीं पता चला है लेकिन कुछ दवाओं और ट्रीटमेंट द्वारा इसे ठीक किया जा सकता है। हालांकि कई बार ये बीमारी दोबारा उभर आती है।
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क्या है इस बीमारी का कारण
इस बीमारी का मुख्य कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना है। रोग प्रतिरोधक क्षमता के कम होने के कारण कोई वायरस या बैक्टीरिया आंतों तक पहुंचकर इसे प्रभावित कर सकता है जिससे आंतों में सूजन आ सकती है और ये बीमारी हो सकती है। इसके अलावा ये अनुवांशिक कारणों से भी होती है। परिवार में किसी अन्य सदस्य को ये बीमारी होने पर इसके होने की संभावना बढ़ जाती है।
क्रोंस बीमारी के संकेत
- डायरिया
- बुखार
- थकान और सुस्ती
- पेट में मरोड़ और तेज दर्द
- गुदा द्वार से खून निकलना
- मुंह के छाले होना
- पाचन क्षमता का कम हो जाना
- तेजी से वजन घटने लगना
- बवासीर या फिश्चुला और मल त्याग में तेज दर्द
- त्वचा, आंखों और जोड़ों में सूजन होना
- लिवर के आसपास सूजन होना
- बच्चों का विकास रुक जाना या देर से होना
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मिलती-जुलती बीमारी है कोलाइटिस
आंत की सूजन, जलन या दूसरी तरह की तमाम बीमारियों को कोलाइटिस कहते हैं। यह एक तरह की कोलाइटिस बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी के अतिक्रमण से होती है। अगर कोलाइटिस की वजह सालमोनला या कोई दूसरा बैक्टीरिया है तो इससे निजात पाने के लिए एंटी-बॉयोटिक्स का सहारा लिया जा सकता है। एंटीबायोटिक्स का सहारा कोलाइटिस के इलाज के साथ ही कुछ मामलों में इसकी पहचान के लिए भी लिया जाता है। परजीवी या अमीबा से होने वाले कोलाइटिस में एंटीबायटिक के अलावा एंटी पैरासाइट दवाइयों का प्रयोग किया जाता है। वायरस से होने वाले कोलाइटिस का इलाज थोडा मुश्किल होता है। वायरस से होने वाले कोलाइटिस में मरीज के शरीर में पानी कम होने की शिकायत होती है।
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