पेट में दर्द कई कारणों से हो सकता है। कई बार ये सामान्य बीमारियों जैसे एसिडिटी, कब्ज, गैस आदि की वजह से हो सकता है और कई बार इसके पीछे कोई गंभीर बीमारी हो सकती है। अगर किसी को पेट के ऊपरी हिस्से में तेज दर्द हो रहा है तो संभव है कि उसे पैंक्रियाटाइटिस यानि अग्नाशयशोथ हुआ हो। मरीज की हालत के आधार पर ये रोग दो तरह का हो सकता है यानि एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस और क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस। इस बीमारी के नाम से आपको कुछ नहीं समझ आ रहा है तो घबराएं नहीं। हम आपको बता रहे हैं कि क्या है ये बीमारी और कैसे संभव है इससे बचाव।
क्या होता है पैंक्रियाटाइटिस
अग्नाशय पेट के पीछे उदर गुहा में होता है जो सामान्यतः छोटी आंत में खाना को पचाने वाले एंजाइम्स छोड़ता है। अग्नाशय से निकलकर जब ये एंजाइम्स छोटी आंत में पहुंचते हैं, तो एक्टिवेट होते हैं और खाना को पचाने की प्रक्रिया शुरू होती है। अगर यही एंजाइम्स छोटी आंत में पहुंचने से पहले ही सक्रिय हो जाएं, तो अग्नाशय को नुकसान पहुंचाते हैं। इसकी वजह से अग्नाशय यानि पैंक्रियाज में सूजन आ जाती है। अग्नाशय की इसी सूजन को प्रैंक्रियाटाइटिस कहते हैं। पैंक्रियाटाइटिस दो तरह के होते हैं। एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस यानि तीव्र पैंक्रियाटाइटिस, जो तेजी से मरीज को अपनी चपेट में लेता है और इससे मरीज के दिल, फेफड़े या गुर्दे पर प्रभाव पड़ सकता है। दूसरा क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस यानि दीर्घकालिक पैंक्रियाटाइटिस, जिसमें मरीज को लंबे समय तक इस अंग विशेष में सूजन रहती है।
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पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण
पैंक्रियाटाइटिस एक गंभीर बीमारी है क्योंकि ये मरीज के दिल को भी प्रभावित कर सकती है। एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस में मरीज को अचानक से इसका दर्द हो सकता है और इसका कारण ज्यादा मात्रा में शराब पीना, पित्ताशय में पथरी या किसी एक्सीडेंक के कारण लगी चोट हो सकती है। इसमें मरीज की जान को खतरा होता है लेकिन सही समय पर उपचार मिल जाए तो ये ठीक हो सकता है। इसके उलट क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस धीरे-धीरे फैलता है और लंबे समय तक परेशान करता है।
इसका कारण लगातार शराब पीना, अनुवांशिक या किसी खास पोषक तत्व की कमी भी हो सकती है। इस रोग का पहला और सामान्य लक्षण तो यही है कि इस रोग में पेट के ऊपरी हिस्से में तेज दर्द महसूस होता है। इस रोग में मरीज के दिल की धड़कन तेज हो जाती है और सांस लेने की दर भी बहुत तेज हो जाती है। इसके अलावा उल्टी, मतली और दस्त भी शुरू हो सकते हैं। पेट दर्द के साथ बुखार आना भी इस रोग का लक्षण हो सकता है। क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस के कारण शरीर में अन्य रोग जैसे डायबिटीज, पैंक्रियाटिक कैंसर और पाचन संबंधी कई बीमारियां हो सकती हैं।
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क्या हो सकते हैं कारण
पैंक्रियाटाइटिस गंदगी के कारण होता है। सड़क के किनारे खड़े ठेलों और रेहड़ी पर बनने वाले फूड्स जिनमें मक्खियां भिनभिनाती हैं और धूल-मिट्टी भर जाती हैं, उन्हें खाने से पैंक्रियाटाइटिस का खतरा होता है। इसके अलावा पैंक्रियाटाइटिस का सबसे बड़ा कारण शराब का सेवन है। ज्यादा मात्रा में शराब पीना या लगातार शराब पीने से पैंक्रियाज प्रभावित होते हैं। इसके अलावा कुछ दवाइयों के रिएक्शन से, पित्त नलिका में बाधा आने से, किसी संक्रमण से या खून में कैल्शियम घुलने से ये रोग हो सकता है। सही समय पर इलाज न करने से इस रोग के कारण पैंक्रियाटिक कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
कैसे करें बचाव
पैंक्रियाटाइटिस से बचाव के लिए एल्कोहलिक पदार्थों का सेवन बिल्कुल न करें। इसके अलावा एलर्जेंस यानि ऐसे पदार्थ जिनसे एलर्जी की संभावना होती है जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स, सोया प्रोडक्ट्स, केमिकल वाले फूड्स का सेवन बंद कर दें। कैफीन वाले पदार्थों का सेवन भी कम कर दें। इसके अलावा खाने में फल, सब्जियां, प्रोटीनयुक्त आहार, अनाज, ऑलिव ऑयल, कोकोनट ऑयल आदि का सेवन शुरू कर दें। रोजाना योग करें और तनाव से बचें।
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