आंखें हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं। ये इतनी नाजुक होती हैं कि जरा सी लापरवाही से गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। उम्र जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, आंखों की मांसपेशियां का लचीलापन कम होता जाता है। धीरे-धीरे कठोर होती मांसपेशियों के कारण आंखों में कई तरह के दोष उत्पन्न होने लगते हैं। इन्ही दोषों में से एक है निकट दृष्टि दोष यानि मायोपिया। दुनियाभर में बहुत सारे लोग मायोपिया से ग्रसित हैं। मायोपिया या निकट दृष्टि दोष आंखों की बीमारी है, जिसमें निकट की चीजें तो साफ-साफ दिखतीं हैं किन्तु दूर की चीजें देखने में समस्या होती है।
किस कारण होता है मायोपिया
आंखों में मायोपिया या निकट दृष्टि दोष उत्पन्न होने पर आंखों में वस्तुओं का प्रतिबिंब ठीक से नहीं बन पाता है इसलिए दूर की चीजें स्पष्ट नहीं दिखाई देती हैं। दरअसल मायोपिया होने वस्तुओं से आने वाली प्रकाश की किरणें आंखों द्वारा अपवर्तन के बाद रेटीना के पहले ही प्रतिबिम्ब बना देती हैं (न कि रेटिना पर) इस कारण दूर की वस्तुओं का प्रतिबिम्ब स्पष्ट नहीं बनता और चींजें धुंधली दिखतीं हैं। जिन लोगों को दो मीटर या 6.6 फीट की दूरी के बाद चीजें धुंधली दिखती हैं, उन्हें मायोपिया का शिकार माना जाता है। इस दोष को कांटैक्ट लेंस या सर्जरी से ठीक कराया जा सकता है। मायोपिया इस बात पर भी निर्भर करता है कि व्यक्ति अपनी आंखों का प्रयोग कैसे करता है। जैसे अगर वो बहुत ज्यादा देर तक कंप्यूटर पर काम करता है या किताब को बहुत पास से पढ़ता है या लंबे समय तक टेलीविजन देखता है तो मायोपिया का खतरा बढ़ जाता है।
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मायोपिया के लक्षण
मायोपिया का सबसे बड़ा लक्षण तो यही है कि इसमें दूर की चीजें साफ नहीं दिखाई देती हैं। इसके अलावा निकट दृष्टिदोष के रोगी को ड्राइविंग करने के दौरान, कोई खेल खेलने के दौरान या उंचाई से नीचे देखने के दौरान सिरदर्द, आंखों पर दबाव, चक्कर जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बच्चों में जब यह समस्या होती है तो वो अक्सर यह शिकायत करते हैं कि उन्हें स्कूल में ब्लैकबोर्ड साफ नहीं दिखता है।
क्या है इलाज
मायोपिया अगर गंभीर ना हो तो चश्मा लगाकर या कांटैक्ट लेंस लगाकर इस समस्या से निजात पा सकते हैं। इसके अलावा अगर स्थिति गंभीर हो तो ऐसी स्थिति में रिफ्रैक्टिव सर्जरी लैसिक ही इसका उपचार है। लासिक या कार्निया में एक पतला सा गोल फ्लैप तैयार किया जाता है। इसके बाद एक्समायर लेजर से फ्लैप को हटाकर उसके नीचे के कुछ टिश्यूज निकाले जाते हैं और पुन: उस भाग को फ्लैप से ढक दिया जाता है।
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पोषण की कमी से भी हो सकता है
कई बार शरीर में पोषक तत्वों की कमी से भी ये रोग हो सकता है। दाल न खाने, कम खाने या बिना छिलके वाली दाल खाने से ये समस्या हो सकती है। इसके अलावा हरी सब्जियों के कम सेवन से, विटामिन ए की कमी से या बिना चोकर वाला आटा खाने से भी ये समस्या हो सकती है। असंतुलित आहार, अस्वस्थ आहार और अनियमित आहार के कारण या ज्यादा मसालेदार, खटाई तथा तला - भुना खाने से भी मायोपिया हो सकता है।
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