आंखों का कैंसर, कैंसर का ही एक प्रकार है। आंखों में कई तरह के कैंसर होते हैं। युवाओं में 'मेलेनोमा'सामान्य तौर पर पाया जाने वाला आंखों का कैंसर है। वहीं बच्चों में आंख का कैंसर रेटिनोब्लासटोमा बीमारी के नाम से हो सकता है। आंखों का कैंसर आंख में असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि के कारण होता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में प्रत्येक वर्ष दस हजार आंखों के कैंसर के मामले संज्ञान में आते हैं। इनमें से 70 से 80 फीसदी युवा और करीब 20 से 30 प्रतिशत बच्चे होते हैं। हर साल करीब डेढ़ हजार बच्चे रेटिनोब्लास्टोमा (बच्चों में होने वाला आंखों का कैंसर) से ग्रसित होते हैं। हालांकि नई तकनीक व उचित प्रबंधन की बदौलत आंखों की पलकों और आंखों के भीतरी भाग में होने वाले कैंसर को कम किया जा सकता है। आंखों का कैंसर पैदा हुए बच्चे को भी हो सकता है। जानकारी के अभाव में ज्यादातर लोग आंखों के कैंसर को गंभीरता से नहीं लेते।
बच्चों में आंखों के कैंसर के लक्षण
आंखों के कैंसर के लक्षण की बात करें तो जिन बच्चों को यह दिक्कत होती है उनकी आंखों के बीच में सफेद रोशनी दिखाई देने लगती है। इसके अलावा भेंगेपन के कई मामलों में भी कैंसर का खतरा हो सकता है। आंखों के कैंसर का उपचार नेत्र रोग विशेषज्ञ के द्वारा ही कराना चाहिए। पता चलने पर जल्दी से जल्दी इसका उपचार कराना चाहिए। इसकी जानकारी ही इसका पहला बचाव है। इसकी रोकथाम जागरुकता और इससे लड़ने की प्रतिबद्धता से ही की जा सकती है। यदि बच्चे का नेत्र विशेषज्ञ से समय पर परीक्षण कर लें तो बच्चे की दृष्टि बचाया जा सकता है। बच्चों में आंखों के कैंसर के प्रमुख लक्षण-
- आंख की पुतली का सफेद हो जाना (ल्यूकोकोरिया)
- आंखों से तिरछा देखना (भेंगापन)
- मोतियाबिंद के कारण आंखों में दर्द होना (बहुत कम मामलों में)
- आंखों की दोनों पुतलियों के रंग में अंतर होना
आंख के कैंसर के मुख्य लक्षण-
- एक आंख से धुंधला दिखाई देना
- फ्लोटर्स का बनना (दृष्टि क्षेत्र में छोटे 'अस्थायी'स्पॉट)
- आंख की पुतली (आईरिस) के रंग का बदलना या इस पर काला धब्बा पड़ना
- आंख का लाल होना या आंख में दर्द होना, या फिर दोनों
- आंख में उभार आना
- परिधीय दृष्टि का खत्म हो जाना
आंख के कैंसर के लिए उपचार का प्रकार, कैंसर के कारण व स्थिति पर निर्भर करता है। आंखों के कैंसर के उपचार में शल्य चिकित्सा, विकिरण चिकित्सा या लेजर तकनीक शामिल हैं।